भैरवगढ़ जेल : ऊँची चारदीवारों के बीच बसी हैं एक अलग ही दुनिया
अर्जुन सिंह चंदेल
हम भारत के नागरिक जिस समाज में रहते हैं हम उसके ही नियम कायदे-कानून जानते हैं और उनका ही पालन, अनुसरण करते हैं। सभ्य समाज से परे एक और संसार और समाज है वह है अपराधियों का। जहाँ के रस्मों रिवाज अलग होते हैं। इन्हीं अपराधियों का एक और ठिकाना है कारावास या जेल, बंदीगृह, कृष्ण मंदिर आदि जिसे अन्य नामों से जाना व पुकारा जाता है।
बीते दिनों मध्यप्रदेश के उज्जैन की केन्द्रीय भैरवगढ़ जेल में जेल कर्मचारियों के भविष्यनिधि खातों में हुए करोड़ों के गबन कांड ने मीडिया में बहुत सुर्खियां बटोरी जो अनवरत जारी है।
भैरवगढ़ जेल की ऊँची चारदीवारों के बीच भी एक अलग ही दुनिया है जिसका काला सच जानकर साधारण पाठक दाँतों तले ऊँगलियां दबाये बिना नहीं रह सकता है। क्या आप विश्वास करेंगे कि जेल के अंदर प्रतिमाह 75 लाख से 1 करोड़ रुपयों का अवैध लेन-देन होता है। इस अवैध कमाई में साधारण संतरी, सजायाफ्ता कैदी, जेलर, चक्कर ऑफिसर, जेल अधीक्षक एवं भोपाल में बैठे संतरी, मंत्री सब शामिल है।
अग्निपथ की टीम ने जेल के अंदर चल रहे गोरखधंधों की जब छानबीन शुरू की तो आश्चर्य हुआ। आइये आपको ले चलते हैं भैरवगढ़ जेल का सच जानने। किसी भी अपराधी न्यायालय से जेल वारंट बनते ही जेल के अंदर बैठे सूरमा उस व्यक्ति के जेल पहुँचने के पहले ही उसकी जन्मकुंडली खोल डालते हैं। सबसे पहले उस व्यक्ति का कद देखा जाता है कि वह उच्च वर्ग, मध्यमवर्ग या निम्न वर्ग से है, यह जानकारी निकालने के बाद उसका सामाजिक, राजनैतिक कद नापा जाता है कि वह कितना प्रभावशाली व वजनदार है।
जेल में प्रवेश करते ही जेल प्रशासन उसकी प्रतिष्ठा के हिसाब से मान-सम्मान देखकर स्वागत उसका करता है। यदि मालदार आसामी है तो अति विशिष्ट व्यक्ति के मान से औपचारिकता की कार्यवाही की जाती है। सामान्य है तो लाईन में लगना होता है।
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