पेटलावद ~ राजस्व विभाग में इन दिनों सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है । चाहे फिर कोई भी मामला हो आम जन को अनेकों परेशानियों से गुजरना पड़ता है। राजस्व विभाग में आम लोगों और खाश लोगों के लिए लगता है अलग ~ अलग नियम बना रखे है तथा बिना लिए दिए कोई भी काम बताया जाता है कि संभव नहीं है । वर्तमान एसडीएम श्री गेमावत की वजह से कुछ हद तक अगर देखा जाए तो कम से कम राजस्व कार्यालय में लेनदेन पर अंकुश जरूर लगा है लेकिन साहब अब लेन देन कार्यालय के बाहर होने लग गया है और कुछ पटवारी तो इन दिनों कुछ ज्यादा ही चर्चाओं में है । यहां पर लंबे समय से तहसीलदार का पद रिक्त है जिसके कारण भी बटवारे,नामांतरण, सीमांकन और कब्जे संबंधित विवादों में पीड़ित लोग परेशान हो रहे है तथा शासकीय भूमि पर लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जे किए जा रहे है जिसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है जिससे तो यही लगता है कि सब कुछ राजस्व विभाग की मिलीभगत की वजह से हो रहा है । राजस्व विभाग द्वारा अभी तक ऐसे कई भूखंडों पर भवन निर्माण संबंधी अनुमति प्रदान की गई है जो राजस्व रिकार्ड में किसी ओर के नाम दर्ज है । कुछ दिन पूर्व एक महिला ने भवन अनुमति हेतु राजस्व विभाग में आवेदन किया था किन्तु आवेदन निरस्त कर दिया । आवेदन निरस्त करने का कारण उल्लेख किया गया कि राजस्व रिकार्ड में आवेदन कर्ता का नाम दर्ज नहीं है । लेकिन साहब अभी तक उन लोगों को अनुमति केसे मिल गई है जिनके नाम भी राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं होने के बाद भी अनुमति मिलने के बाद निर्माण कार्य भी किया जा रहा है । जिस प्रकार से राजस्व विभाग में भेदभाव किया जा रहा है उससे आमजन खुश नहीं है और जिन लोगों को राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज नहीं होने के बाद भी अनुमति दी गई है तो क्या अनुमति देते समय जिम्मेदारों द्वारा रिकार्ड नहीं देखा गया। हम तो यही कहेंगे कि साहब सबके साथ समानता का व्यवहार होना चाहिए और गलत काम तो बिलकुल नहीं होना चाहिए तथा जिन लोगों को भवन संबंधी अनुमति मिल गई और उनका नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं है ऐसे लोगों के फिर तो निर्माण कार्य रुकवाया जाना चाहिए ।
दोहरा मापदंड आखिर क्यों
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उल्लेखनीय है कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति निरस्त करने का कारण भूमि राजस्व मद में दर्ज नहीं होना व्यक्त नहीं होना दर्शाया गया है । यदि ऐसा है तो किं आधारों पर नगर में बन रहे मकानों को राजस्व विभाग से अनुमति लेने की जरूरत पड़ रही है क्योंकि अधिकांश मकान नगर परिषद के रिकार्ड में दर्ज है और परिषद की अनुमति से ही निर्माण कार्य किया जा सकता है तो जबरन राजस्व विभाग की फिर अनुमति की क्या आवश्यकता है ? कहीं पुरा खेल अनुमति के नाम पर वसूली का तो नहीं है । दूसरा पहलू यह भी है कि नगर में इन दिनों प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कहीं लाभार्थियों द्वारा बिना किसी निर्माण अनुमति के निर्माण कार्य किए जा रहे है जिन पर प्रशासन मोन है उल्टा अनुमति लेकर जो व्यक्ति निर्माण कार्य करना चाहता है उसे कार्यालय के चक्कर खिलाकर परेशान किया जा रहा है । इस तरह से प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों का दोहरा मापदंड आमजन के सामने अा रहा है।
मध्यप्रदेश के मुखिया मामा जी एक ओर जहां सुशासन का मतलब सिखा रहे है और बता रहे है कि सुशासन का मतलब बिना लिए दिए काम करना है। लेकिन यहां तो इसका उल्टा हो रहा है। परेशान तो आम जनता ही हो रही है।