शहर में सिंधी कालोनी से लेकर नीलगंगा चौराहे तक रात्रि में मोटरसायकल सवार युवक जैसे सडक़ पर प्रतियोगिता का आयोजन करते हों। प्रतिदिन रात्रि में यहां पर मोटरसायकल की रेस लगायी जाती है। मगर यह रेस सिंधी कालोनी में जाकर समाप्त हो जाती है कि क्योंकि वहां पर पुलिस जवान मौजूद रहते हैं।
इसी तरह इंदौररोड पर भी दो पहिया वाहनों की रेस लगायी जाती है। यहां पर तो तीन सवारी बैठाकर रेस होती है। इन दोपहिया वाहन चालकों को अपनी जान की तो परवाह नहीं रहती है लेकिन जो इनके साथ बैठा रहता है वह किसी के घर का चिराग रहता है उसकी भी चिंता नहीं रहती।
पुलिस को इन वाहन चालकों पर लगाम कसना चाहिए और इन्हें पकडक़र इनके अभिभावकों को बुलाकर जो भी उचित कार्रवाई होती है करना चाहिए वो भी इनके अभिभावकों के सामने ताकि आगे से इस तरह की हरकत से यह वाहन चालक बाज आ जायें। वहीं कुछ दिन पूर्व ही बंगाली कालोनी में इसी तरह रेस लगाने के दौरान दो वाहन चालक आपस में भिड़ गये थे। जिनका उपचार अभी भी जारी है।
लेकिन ऐसी दुर्घटना होने के बाद भी अंधगति से वाहन दौड़ाने वाले यह वाहन चालक अपने अभिभावकों के साथ स्वयं की भी चिंता नहीं कर वाहनों को तेज गति से दौड़ाते हैं।