विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस 2025 संयुक्त परिसंवाद आयोजित
उज्जैन, अग्निपथ। स्कूल ऑफ डिज़ाइन, ऋषिहुड विवि एवं, प्रबंध संकाय, पं. जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑ$फ बिजनेस मैनेजमेंट, विक्रम विवि, उज्जैन के विशेषज्ञ उपस्थिति में विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस के उत्साहपूर्वक आयोजन में बताया गया कि बौद्धिक संपदा के चार मुख्य प्रकार होते हैं। सभी की आवश्यकता एवं प्रकृति अत्यंत भिन्न होती है।
विक्रम विवि के कुलगुरु प्रो. डॉ अर्पण भारद्वाज ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार से इनोवेशन और क्रिएटिविटी को बढ़ावा के साथ रचनात्मक कार्य को सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे नवोन्मेष करने वालों को उनके काम का लाभ मिलता है।
यह उन्हें नया सोचने और विकसित करने के लिए प्रेरित करता है। इससे समाज में तकनीकी और सांस्कृतिक प्रगति होती है प्रो मेहता ने बताया कि डब्ल्यूआईपीओ स्थापना 1967 में हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जऱलैंड में स्थित है। यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर बौद्धिक संपदा की सुरक्षा करना है।
इस अवसर पर निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता और स्कूल ऑफ डिज़ाइन की संकाय सदस्य प्रो. रेवती जयकृष्ण, एवं छात्रों ने हाल ही में प्रकाशित पुस्तक डिजिटल नवाचार के युग में बौद्धिक संपदा अधिकार की पुस्तक समीक्षा सहभागिता की।
कैंपस आउटरीच गतिविधि के अंतर्गत, प्रो.डॉ.धर्मेंद्र मेहता ने पुस्तक समीक्षा करते हुए पुस्तक के कुछ प्रमुख अध्यायों पर प्रकाश डालते हुए विकसित होते बौद्धिक संपदा अधिकार और शीघ्रता से उभरते कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
संक्षिप्त परिसंवाद आयोजन शुभकामना संदेश में विशेषज्ञ लेखक प्रॉक्टर प्रो. डॉ आरएन मालवीय ने बताया कि बौद्धिक संपदा के चार मुख्य प्रकार होते हैं- पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और डिज़ाइन। ये अधिकार रचनात्मक और नवाचार कार्यों की सुरक्षा करते हैं। यह व्यक्ति को उनके कार्य पर मालिकाना हक देते हैं।
इससे उन्हें आर्थिक लाभ कमाने का अधिकार मिलता है। संकाय सदस्यों एवं छात्रों ने डिजिटल तकनीकों और बौद्धिक संपदा अधिकारों के बीच उभरती चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श किया। अंत में एक संक्षिप्त प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित किया गया।