आर्थिक अनियमिततता और गबन के मामले में जांच के बाद कार्रवाई
खरगोन, अग्निपथ। खरगोन जिले में एक बड़े आर्थिक अनियमितता मामले में जिला सहकारी बैंक खरगोन के प्रबंधक राजेन्द्र आचार्य की सेवाएँ समाप्त कर दी गई हैं। उनके प्रभारी प्रबंध संचालक रहते की गई गबन आदि अनियमितताओं के चलते यह कार्रवाई कलेक्टर भव्या मित्तल के सख्त निर्देशों और गहन जाँच के बाद की गई है।
गौरतलब है कि 27 मार्च को कलेक्टर मित्तल ने सहकारिता विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक में जिले की सहकारी समितियों में हुई आर्थिक अनियमितताओं और गबन के मामलों की विस्तार से समीक्षा की थी। उसी बैठक में, उन्होंने राजेन्द्र आचार्य से जुड़े गबन प्रकरण पर तत्काल जाँच शुरू करने और दो महीने के भीतर उनकी सेवा समाप्ति का अंतिम आदेश जारी करने के लिए बैंक के प्रबंध संचालक पी.एस. धनवाल को स्पष्ट निर्देश दिए थे।
क्या था राजेन्द्र आचार्य का ‘दुराचरण’
बैंक के प्रबंध संचालक पी.एस. धनवाल ने इस संबंध में बताया कि राजेन्द्र आचार्य ने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक खरगोन में प्रभारी प्रबंध संचालक के पद पर रहते हुए गंभीर प्रशासनिक और आर्थिक अनियमितताए की थीं। इन अनियमितताओं के कारण उन्हें 21 दिसंबर 2023 को निलंबित कर दिया गया था।
इसके बाद 19 फरवरी 2024 को उन पर आरोप पत्र जारी किया गया। जिसका संतोषजनक जवाब न मिलने पर 23 अप्रैल 2024 को उनके खिलाफ विभागीय जाँच बिठाई गई थी।
जाँच प्रक्रिया के तहत, 17 अप्रैल 2025 को अनिल कानूनगो (प्रबंधक स्थापना) को जाँच अधिकारी और संध्या रोकड़े (प्रबंधक विपणन) को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किया गया। जाँच अधिकारी ने 30 मई को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
बैंक के हितों के खिलाफ था आचार्य का कृत्य
स्टाफ उपसमिति ने जाँच रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों और आचार्य के पक्ष में कोई साक्ष्य न मिलने पर गहन विचार-विमर्श किया। उपसमिति इस निर्णय पर पहुँची कि राजेन्द्र आचार्य का कृत्य अत्यंत दुर्लभ है। उनके कार्यों से कर्तव्य निर्वहन में घोर उपेक्षा, बैंक के हितों के विपरीत आचरण, और सबसे महत्वपूर्ण, बैंक के धन तथा उसमें जमा जनता के धन की सुरक्षा के विपरीत कार्य प्रमाणित हुए हैं।
इन सभी तथ्यों पर गंभीरता से विचार करने के बाद, स्टाफ उपसमिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि राजेंद्र आचार्य का पद पर बने रहना बैंक के हित में नहीं है। अत:, नियम क्रमांक 48.1.4 के अंतर्गत, राजेंद्र आचार्य (प्रबंधक योजना एवं विकास) को ‘सेवा समाप्त’ के दंड से दंडित किया गया। 11 जून 2025 को उनकी सेवाएँ तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गईं।
जाँच में प्रमाणित हुए 6 गंभीर आरोप
जाँच रिपोर्ट के अनुसार, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित के सेवा नियमों 2014 (यथा संशोधित) के नियम क्रमांक 47(1) के उपनियम 7, 13, 17, 20 और 25 के तहत राजेंद्र आचार्य पर लगाए गए सभी 6 गंभीर दुराचरण के आरोप पूर्ण रूप से प्रमाणित पाए गए।
10 जून 2025 को आचार्य को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए स्टाफ उपसमिति के समक्ष पेश किया गया। हैरत की बात यह थी कि वे अपने बचाव में कोई ठोस सबूत या तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाए!