महाकाल में हरिओम जल चढ़ाए जाने को लेकर बुजुर्ग महिलाए आई मैदान में, दिया अल्टीमेटम
उज्जैन, अग्निपथ। बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख भगवान महाकालेश्वर में तडक़े होने वाली भस्म आरती के पूर्व भोलेनाथ को चढ़ाए जाने वाले हरिओम जल पर कोरोना के कारण सालभर से प्रतिबंध से आहत नियमित दर्शनार्थी महिलाएं अब प्रशासन के सामने खड़ी हो गई हैं। उन्होंने पांच दिन में या तो जल चढ़ाने की या जीवन त्यागने (इच्छा मृत्यु) की अनुमति देने की मांग की है।
इन बुजुर्ग महिलाओं ने व्यथित होते हुए कहा कि बरसों से वह हरिओम जल चढ़ाती आ रही है, जबकि पंडे पुजारियों के साथ सभी कर्मचारी भी प्रतिदिन कोरोना काल में जल चढ़ा रहे है। बुधवार को बड़ी संख्या में महिलाएं प्रेस क्लब में पहुंची और रोते बिलखते हुए कहा कि पिछले 50-52 वर्षों से वह प्रतिदिन दो ढाई बजे महाकालेश्वर को जल चढ़ाने पैर पैदल अपने घरों से निकलती है परंतु एक वर्ष से हरिओम का जल चढ़ाएं जाने से वंचित है, जबकि शासन और प्रशासन ने सभी दूर छूट दे दी है परंतु जल चढ़ाने के लिए छूट क्यों नहीं दी जा रही है। जिला कलेक्टर से कई बार महिलाओं की मुलाकात हुई, परंतु वह मात्र आश्वासन देकर महिलाओं को टरकाते आ रहे हैं।
महिलाओं ने आरोप लगाया है कि प्रतिदिन हरिओम जल में पुजारियों के साथ मंदिर में तैनात कर्मचारियों के द्वारा भी जल चढ़ाया जा रहा है परंतु चालीस की संख्या में हम सभी महिलाओं को काफी समय से वंचित कर रखा है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के मंत्री मोहन यादव से भी इस बारे में बात हुई थी जब वह दुबारा मिले तो उन्होंने आश्चर्य जताया कि अभी तक आप लोगो को इजाजत नही दी गई। मीडिया से चर्चा करते हुए कांता माहेश्वरी, नीलम शर्मा, लीलाबाई जाधव, रुक्मणी अग्रवाल, भारती खंडेलवाल, सुनंदा चित्रलेखा, कांता ज्वेल सहित करीब 15 महिलाओं ने जिला कलेक्टर को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 5 दिनों में जल चढ़ाये जाने की अनुमति नहीं दी तो हम सामूहिक रूप से अपना सर्वस्व त्याग देंगे।
बिलखकर रोने लगीं लीलाबाई
पिछले 50 वर्षों से महाकाल मंदिर में निरंतर हरिओम का जल चढ़ाने वाली लीलाबाई यादव अपनी बात कहते-कहते रोने लगी। रोते-रोते उन्होंने कहा कि 50 वर्षों से नियमित मंदिर जा रही हैं। पिछले एक साल से उन्हें हरिओम का जल नहीं चढ़ाने दे रहा है।