बडऩगर/रुनिजा,अग्निपथ। शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में आज विश्व रक्तदान दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहित करना और उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है। इसी दिन 14 जून 1868 को वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म भी हुआ था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य किसी भी व्यक्ति के जीवन को बचाने के लिए लोगों की रक्तदान करने के प्रति जागरूकता की वजह से सुलभता से उपलब्ध हो सके और रक्त के लिए उसको या उसके परिजनों को पैसे देने की ज़रूरत न पड़े। समाज के बहुत सारे इंसान व इंसानियत के मित्र अच्छे व जागरूक लोगों के द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान को अपनाया जाता है।
रक्त दान करके आप लोगों के जीवन की खुशियां लोटा सकते हो। रक्तदान करने से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। आज विश्व रक्त दान दिवस पर एक ऐसी ही टीम से परिचय करवा रहे हैं। जिसने रक्तदान के महत्व को समझते शुरुआत में स्वयं ने रक्त दान किया वो भी एक-दो बार नहीं सो बार कर लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने और रक्त दान कर कई लोगों को जीवन दान दे चुके हैं।
राजेश पुरोहित 105, दिलीप भंसाली 97, सुनील गोयल 37 और सबसे बड़ी बात रक्त दान में महिलाएं भी पीछे नहीं है श्रीमती प्रीति सोलंकी ने 29 बार रक्त दान किया। जब इन्होंने देखा कि रक्त की आवश्यकता होने और ग्रामीण क्षेत्र के कमजोर तबके की कोई पहुँच (सोर्स) भी नहीं होती है।
शहरों में रक्त लेने जाते तो बदले में रक्तदान करने का बोला जाता है। अज्ञानता व भय वश रिश्तेदार भी खून देने को राजी नहीं होते हैं। तब इस टीम ने स्वयं रक्त दान करते हुए ग्रामीण युवाओं को प्रेरित करने का काम किया। धीरे-धीरे लोगों का भय कम हुआ और रक्तदाता सामने आने लगे।
दिलीप भंसाली – रक्तदाता के शरीर से केवल 1 यूनिट रक्त ही लिया जाता है। एक औसत व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट यानी (5-6 लीटर) रक्त होता है। कई बार केवल एक कार एक्सीडेंट (दुर्घटना) में ही, चोटील व्यक्ति को 100 यूनिट तक के रक्त की जरूरत पड़ जाती है।
राजेश पुरोहित – एक बार रक्तदान से आप 3 लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। भारत में सिर्फ 7 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप ’ओ नेगेटिव’ है। ’ओ नेगेटिव’ ब्लड ग्रुप यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है। इमरजेंसी के समय जैसे जब किसी नवजात बालक या अन्य को खून की आवश्यकता हो और उसका ब्लड ग्रुप ना पता हो, तब उसे ’ओ नेगेटिव’ ब्लड दिया जा सकता है।
सुनील गोयल– ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्त दाता को आमतौर पर इसमें कोई तकलीफ नहीं होती हैं। कोई व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकता हैं। रक्त दाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या रक्त दान टीम के सदस्य आपका रक्त (ब्लड )लेते हैं।
प्रीति सोलंकी – अगर कभी रक्तदान के बाद आपको चक्कर आना, पसीना आना, वजन कम होना या किसी भी अन्य प्रकार की समस्या लंबे समय तक बनी हुई हो तो आप रक्तदान ना करें। हर कोई रक्तदान नहीं कर सकता। यदि आप स्वस्थ हैं, आपको किसी प्रकार का बुखार या बीमारी नहीं हैं, तो ही आप रक्तदान कर सकते हैं। पुरुष 3 महीने और महिलाएं 4 महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं।