‘शिव’ राज लिख डालो, उज्जैन के विकास का स्वर्णिम अध्याय

आज की तारीख 11 जुलाई रविवार 2021, मेरे शहर उज्जैन का जब भी इतिहास लिखा जाए स्वर्णाक्षरों में अंकित होना चाहिये। परमपिता परमेश्वर से यह विनती करने का कारण समाचार पत्रों में आ रही वह खबरें हैं जिसमें उज्जैन में 400 करोड़ के निवेश से स्थापित होने वाले 5 उद्योग और 14 हजार लोगों को रोजगार मिलने की बातें कही गयी है।

काश यह खबरें और खुली आँखों से दिखाया जाने वाला सपना सच हो जाए….यदि यह परिकल्पना यथार्थ में धरातल पर आकार ले लेती है तो मैं पूरे विश्वास के साथ उज्जैनवासियों की तरफ से मेरे ‘शिव’ तुमसे यह वायदा करता हूँ कि यह पुरातन नगरी और इसके वाशिंदे दशकों तक तुम्हारी मेहरबानियों के ऋणी रहेंगे।

लगभग 39-40 से अधिक वर्षों से इस सीधे-सादे शहर ने रोजगार रूपी विकास की एक ईंट भी नहीं देखी है। कभी इस वैभवशाली नगर की धडक़नें रही मिलों की धुआं उगलती चिमनियां और उज्जैनवासियों की दिनचर्या का हिस्सा बने मिलों के सायरनों से दिन की शुरुआत और अंत होता था। मिलों की पालियों के छूटने के बाद श्रमिकों के निकलते हुजूम से यह शहर गुलजार होता था, शहर में चारों ओर रौनक ही रौनक दिखती थी।

यह वही शहर है जिसने न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि उत्तरप्रदेश, बिहार के लोगों को भी काम दिया रोजगार दिया। इस शहर के विकास की अंतिम ईंट स्वर्गीय डॉक्टर राजेन्द्र जैन ने रखी थी जो सन् 1980 से 1984 के बीच विधायक के साथ उद्योग मंत्री भी थे, उनके ही प्रयासों से उज्जैन में 87.84 एकड़ भूमि यानि 87.84 x 1.62=142.3008 बीघा जमीन पर सन् 1981 में सोयाबीन संयंत्र की स्थापना हुई थी जिसमें से 45 एकड़ यानि 45 x 1.62=72.9 बीघा अर्थात 72.9X2500=16 लाख 40 हजार 250 वर्ग फुट जमीन जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र ने एवं शेष बचे 42.84 एकड़ यानि 69.4008 बीघा अर्थात ६९.४००८&२२५००=१५ लाख 61 हजार ५१८ स्क्वेयर फीट जमीन राजस्व विभाग ने इस संयंत्र हेतु तिलहन संघ को लीज पर दी थी।

बाकी उद्योग, यहाँ की मिलें एक के बाद एक-एक कर दम तोड़ती चली गयी, चिमनियों ने धुआं उगलना बंद कर दिया, मिलों के सायरन शांत हो गये, बिनोद, विमल और इंदौर टेक्सटाइल, पाइप फेक्ट्री, श्री सिंथेटिक्स, मार्डन फूड और भी रोजगार देने वाले उद्यम बंद होते चले गये। कुप्रबंधन का शिकार एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन प्लांट भी काल कवलित हो गया। हमारे शहर के दोनों ही दलों के जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बनकर शहर की बर्बादी के नजारे देखते रहे।

इस शहर ने देश की राजनीति को गृहमंत्री से लेकर अनेक विभागों के केबिनेट मंत्री दिये हैं पर वह सब बेबस और लाचार साबित हुए, उन्होंने उज्जैनवासियों को बेरोजगारी की अंधी खाई में विधाता के भरोसे छोड़ दिया। वर्ष 2000 आते-आते सब कुछ खत्म हो गया। जिला उद्योग केन्द्र ने सोयाबीन संयंत्र के लिये दी गयी ७२.९ बीघा जमीन की लीज समाप्त कर उस पर कब्ला ले लिया। राजस्व विभाग द्वारा तिलहन संघ को लीज पर दी गयी ४२.८४ एकड़ जमीन में से १५ एकड़ अर्थात १५&१.६२=२४.३ बीघा यानि 5 लाख ४६ हजार ७५० वर्गफुट जमीन अब तमिलनाडु के उद्योगपति को दी गयी है।

डॉ. राजेन्द्र जैन इस शहर में एकमात्र ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने लोगों को रोजगार दिया चाहे वह सोयाबीन प्लांट में 500-६०० को हो या अन्य शासकीय विभाग में, आज भी शहर के प्रत्येक शासकीय कार्यालयों में उनके प्रयासों से रोजगार प्राप्त नागरिक आपको मिल जायेंगे। नेताओं से ठगाये हुए इस शहर का अनुभव अच्छा नहीं रहा है चाहे बांदका स्टील प्लांट का मामला हो या कॉच कारखाने या फिर उज्जैन-रामगंज नई रेल लाइन के सर्वे कार्य के भूमिपूजन का। सब कुछ होने के बाद ढाक के वही तीन पात।

हम प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान का आज नगरागमन पर इस्तकबाल करते हैं। लंबे समय से उद्योग विहीन शहर के लोगों को आशा की एक नई किरण दिखायी दे रही है। उज्जैन शहर के देवास-इंदौर रोड के साथ ही विक्रम उद्योगपुरी के सहित में 5 नये उद्योग लगने जा रहे हैं। सबसे बड़ा उद्योग तमिलनाडु की वेस्ट कार्पोरेशन कंपनी जो कि सोयाबीन प्लांट की भूमि पर स्थापित करने जा रही है, यह 100 करोड़ का निवेश करेगी, 6 से 8 माह में चालू हो जायेगी, 4 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा, यहाँ अंतरर्राष्ट्रीय स्तर के कपड़ों का निर्माण होगा। दूसरी इकाई प्रतिभा सिंटेक्स जो 100 करोड़ की लागत से इंदौर रोड पर लगेगी इसमें भी अंतरर्राष्ट्रीय कपड़ों का निर्माण किया जायेगा और 4 हजार लोगों को रोजगार देने की बात कही जा रही है।

तीसरी इकाई कर्नाटक एंटी बायोटिक विक्रम उद्योगपुरी में 75 करोड़ का निवेश करेगी, दवाइयों के निर्माण में 3 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। चौथी इकाई श्री पाँलीमर विक्रम उद्योगपुरी में ही 1 हजार लोगों को रोजगार देकर दवाइयों का निर्माण करेगी। 5वीं कंपनी अमूल 100 करोड़ की लागत से विक्रम उद्योगपुरी में एक हजार लोगों को नौकरी देकर दूध से बनी वस्तुओं का उत्पादन करेगी, इससे क्षेत्र के किसान अतिरिक्त रूप से लाभान्वित होंगे।

नेताओं और अधिकारियों की बातों पर यकीन किया जाए तो यह पाँचों उद्योग 1 वर्ष के अंदर जमीन पर आकार लेकर अपना उत्पादन चालू कर देंगे। यदि 14 हजार उज्जैनवासियों को रोजगार मिला तो 56 हजार लोगों के जीवन में नयी रोशनी आयेगी।

‘दूध का जला छाँछ भी फूँक-फूँक कर पीता है’ भावनात्मक रूप से लुटा-पिटा, ठगाया व छला गया उज्जैन का नागरिक समाचार पत्रों में आ रही खबरों पर इसीलिये विश्वास नहीं कर पा रहा है। परंतु यदि यह सच हुआ तो यकीन मानिये मुख्यमंत्री जी यह शहर आपका दीवाना हो जायेगा जीवन भर ऋणी रहेगा और हाँ इस शहर को यह सौगात दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री श्री मोहन यादव जी एवं उज्जैन जिले के ऊर्जावान जिलाधीश श्री आशीष सिंह जी का भी पूरा उज्जैन आभारी रहेगा जिन्होंने सभी शासकीय विभागों में समन्वय बैठाकर योजना को मूर्तरूप दिया है। क्या सच में आज से उज्जैन विकास की नयी इबारत लिखेगा?

– अर्जुनसिंह चंदेल

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