पिछले बीस साल से उज्जैन शहर पेयजल संकट से परेशान है। एक समय तो हर मोहल्ले में हैंडपंप खोदकर घरों में वहां से पाइप लाइन के जरिए लोगों ने अपनी प्यास बुझाने के इंतजाम किए थे। वह सबसे गंभीर संकट का दौर था। तब भी राजनेता और अफसरों की फौज नकारा साबित हुई थी। अब भी वही हालात बनते जा रहे हैं।
पिछले तीन दिन से हो रही बारिश के चलते शिप्रा में पानी आ रहा है। बताया जाता है कि इतना पानी बह गया, जितने से दो गंभीर डेम फुल हो जाते। परन्तु यह उज्जैन का दुर्भाग्य है कि गंभीर में पानी इंदौर में बारिश से आता है। इसलिए वहां से पानी आया नहीं और गंभीर खाली ही है। अगर शिप्रा में आने वाले पानी की सहेजने के इंतजाम किए जाते तो शहर पेयजल संकट से उबर सकता।
अफसर तो आते और चले जाते हैं। परन्तु उज्जैन के राजनेता भी विचार शून्य हैं। वे कभी पेयजल संकट के निराकरण के लिए आमजन या विशेषज्ञों से सलाह नहीं लेते हैं। समस्या आने पर कुआं खोदने के लिए दौड़ पड़ते हैं। सरकार ने रेन वाटर को सहेजने के लिए निर्देश दिए हैं। परन्तु इस पर भ्रष्टचार में आकंठ तक डूबे निगम के अफसरों का ध्यान कभी नहीं जाएगा।