कार्तिकेय मंडपम के बाहर विशाल स्क्रीन और सीधे प्रसारण के माध्यम से श्रद्धालुओं को हो सकेंगे दर्शन
उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में 13 अगस्त नागपंचमी पर भगवान नागंचद्रेश्वर के दर्शन के लिए भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। परिसर में लगी एलईडी, महाकाल एप और कुछ चैनलों पर लाइव दर्शन कराए जाएंगे। कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। यह दूसरी बार है कि जब इस तरह का निर्णय जिला प्रशासन ने लिया है। पिछले वर्ष-2020 में भी नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था और श्रद्धालुओं को सीधे प्रसारण के माध्यम से दर्शन करवाए गए थे।
विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट साल में एक बार नागपंचमी पर भक्तों के लिए खोले जाते हैं। इस बार भी 12 अगस्त की मध्यरात्रि रात 12 बजे मंदिर के पट खुलेंगे। पश्चात महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीतगिरिजी महाराज के सान्निध्य में जिले के आला अधिकारी भगवान नागचंद्रेश्वर की पूजा करेंगे। कलेक्टर आशीष सिंह ने इस संबंध में बताया कि भक्तों को प्रवेश नहीं देने का निर्णय श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज एवं श्री महाकालेश्वर प्रबन्ध समिति की सहमति से लिया गया है।
नाग पंचमी के दिन भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन भी प्री बुकिंग से ही होंगे। अत: नाग पंचमी पर्व के अवसर पर भगवान महाकालेश्वर के दर्शन प्री बुकिंग के माध्यम से ही होंगे। कोरोना संक्रमण के चलते भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं देने का निर्णय लिया गया है। स्थानीय के साथ देश-विदेश के लाखों भक्त सीधे प्रसारण के माध्यम से भगवान के दर्शन कर सकेंगे।
पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी नागचंद्रेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश तो प्रतिबंधित रहेंगे लेकिन उनको कार्तिकेय मंडपम के प्रवेश द्वार पर लगाई गई स्क्रीन के माध्यम से भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कराए जाएंगे। स्मार्ट सिटी द्वारा शहर के चौराहों पर लगाई गईं स्क्रीन पर भी इसका लाइव प्रसारण किया जाएगा। चैनलों और ऐप के माध्यम से भी श्रद्धालुओं को आनलाइन दर्शन होंगे।
त्रिकाल पूजा होगी
नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाती है। पहली पूजा 12 अगस्त की रात 12 बजे होगी। दूसरी 13 अगस्त की दोपहर 12 बजे शासन की ओर से होगी। तीसरी पूजा मंदिर समिति की ओर से 13 अगस्र्त की शाम 7.30 बजे के बाद होगी। इसके बाद रात्रि 12 बजे पुन: एक वर्ष के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे।
11वीं शताब्दी की है मूर्ति
नागचंद्रेश्वर मंदिर में नागपंचमी पर जिस मूर्ति के दर्शन होते हैं, वह 11वीं शताब्दी की परमारकालीन मूर्ति बताई जाती है। इसमें शिव-पार्वती के शीश पर छत्र रूप में फन फैलाए नाग देवता के दर्शन होते हैं। बताया जाता है यह मूर्ति नेपाल से यहां लाई गई है। मंदिर के दूसरे भाग में भगवान नागचंद्रेश्वर शिवलिंग रूप में विराजित हैं। मंदिर के वरिष्ठ महेश पुजारी ने बताया कि करीब 300 साल पहले सिंधिया राजवंश ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।
इसके बाद से ही मंदिर में उत्सव आदि परंपराओं की शुरुआत मानी जाती है। भगवान महाकाल की विभिन्न सवारी और नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर मंदिर में साल में एक बार भक्तों के प्रवेश की परंपरा भी इन्हीं में से एक है। कालांतर में प्रतिवर्ष हजारों भक्त भगवान नगाचंद्रेश्वर के दर्शन करने आते रहे हैं।
श्रावण मास में प्रतिदिन 8 से 10 हजार भक्तों को समिति भगवान महाकाल के दर्शन करा रही है। जिस व्यवस्था से भक्तों को भगवान महाकाल के दर्शन कराए जा रहे हैं, उसी व्यवस्था से भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन भी कराए जा सकते थे।