आदत …
पंजाप्रेमियों की आदत हमेशा अपने प_ो पर हुक्म चलाने की रहती है। मगर कमलप्रेमी बनने के बाद परिवर्तन लाना जरूरी होता है। लेकिन बदलाव एकदम आता नहीं है। पुरानी आदत छूटती नहीं है। तभी तो कमलप्रेमियों के प्रशिक्षण-वर्ग में अपने बाबा ने आवाज लगा दी। मेरे लिए भी नाश्ता ले आना। एक पूर्व कमलप्रेमी नगरसेवक को। नगरसेवक ने तत्काल पलटकर पार्टी की गाइड लाइन समझा दी। यहां पर सभी को लाइन में लगना पडता है। बेचारे … आदत से मजबूर अपने कमलप्रेमी बाबा को फिर लाइन में लगना ही पडा। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। यह भी कह रहे है कि … पुरानी आदत सब छूट जायेंगी, अनुशासन भी सीख जायेंगे। अब देखना यह है कि बाबा की आदत कब छूटती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
वंशवाद …
पंजाप्रेमी और कमलप्रेमी पार्टी में क्या अंतर है। पंजाप्रेमी वंशवाद को बढ़ावा देते है। तभी तो पंजाप्रेमी यह बोल रहे है कि … अगर यह सभी जगह चुनाव लडेंगे तो हम कार्यकर्ता क्या करेंगे। इशारा एक पंजाप्रेमी माननीय की तरफ है। जिन्होंने अपने पुत्र और भतीजे को मैदान में उतारा है। माननीय के समर्थकों ने अग्रिम जीत की बधाई भी अपलोड की दी है। इधर पंजाप्रेमी सवाल उठा रहे है। इस वंशवाद को लेकर। लेकिन जिम्मेदार पंजाप्रेमी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
लॉटरी ..
अपने पिपली राजकुमार की लॉटरी लगने वाली है। धन वाली लॉटरी नहीं। वह तो उनके पास पहले ही बहुत है। यह तो पद वाली लॉटरी है। जो कि जल्दी ही खुलने वाली है। कमलप्रेमी तो यही बोल रहे है। अगर कोई अंडगा नहीं फंसा तो उनको बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। पिपली राजकुमार प्रदेश संगठन के मुखिया की गुड लिस्ट में भी है। अगर विकास पुरूष ने टांग नहीं फसाई तो पिपली राजकुमार की लॉटरी खुलना पक्का है। देखना यह है कि पद वाली यह लॉटरी, अपने पिपली राजकुमार को और कितना ऊपर ले जाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मिसाल …
कमलप्रेमी सरकार, जल्दी ही शहर में सांम्प्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश करने वाली है। ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद कमलप्रेमी बोल रहे है। इशारा अपने बाबा के दरबार की तरफ है। जहां पर सौंदर्यीकरण के नाम पर 70 मीटर क्षेत्र में बुलडोजर चलना है। अगर ऐसा हुआ तो, अल्पसंख्यक समुदाय के 2 धार्मिक स्थल बिलकुल सामने नजर आने लगेंगे। शिखर दर्शन के साथ यह अनोखी सांम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल होगी। देखना यह है कि कमलप्रेमी सरकार के नुमाइंदे और भगवाध्वज के रक्षक इस पर अमल करते है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बदले-बदले …
अपने पपेट जी ने खुद को बदला है। अब वह आक्रोश नहीं दिखा रहे हैं। जबकि शिवाजी भवन के एक सोशल मीडिया ग्रुप पर गंदी तस्वीर भी अपलोड हो गई थी। मगर अपने पपेट जी ने कोई आक्रोश नहीं दिखाया। ग्रांड होटल कांड के एक दिन पहले जरूर उनका आक्रोश दिखा था। जब उन्होंने स्वास्थ्य मुखिया का वायरलेस सेट छिनवा लिया था। अगले दिन ग्रांड होटल कांड हो गया। उसके बाद तस्वीर अपलोड हो गई। मगर अपने पपेट जी ने खुद को बदल लिया और अब शांत रहने लगे है। ऐसा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रहा है। तभी तो सब बोल रहे है। बदले-बदले सरकार नजर आते है… किसकी बर्बादी के आसार नजर आते है। मगर हमको तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
कांटे …
राजनीति में कभी-कभी कांटे भी बोने पड़ते हंै। भविष्य को ध्यान में रखकर। ताकि मिशन-2023 में किसी के लिए रास्ता आसान नहीं हो पाये। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें इशारा अपने लेटरबाज जी और पिस्तौल कांड के नायक की तरफ है। अपने लेटरबाज जी ने अभी-अभी 2 कदम कांटे बोने वाले उठाये है। पहला कदम पूर्व माननीय की बेटी को जिपं का प्रत्याशी बनाकर। दूसरा कदम अजा वर्ग में बॉडी-बिल्डर नेत्री को अध्यक्ष बनाकर। यह दोनों कदम पिस्तौल कांड के नायक के रास्ते में कांटे बोने वाले है। ग्रामीण इलाके के कमलप्रेमी तो यही बोल रहे है। उनकी बात में दम भी है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
तलाश …
अपने उम्मीद जी उस दिन अचानक ही गायब हो गये। किस दिन? जिस दिन सुशासन दिवस की शपथ दिलाई जानी थी। हर साल की तरह। शपथ के पूर्व 7 जिलों के मुखिया भी आ गये। उनका कार्यालय, अपने उम्मीद जी के ऑफिस के ठीक सामने है। उन्होंने आते ही सभी पर नजरें दौड़ाई। अपने उम्मीद जी नजर नहीं आये। तब उन्होंने सवाल कर लिया, अपने उम्मीद जी को लेकर। उनका सवाल सुनकर सभी बगले झांकने लगे। 7 जिलों के मुखिया यह कहकर अंदर चले गये। उनको बुलाओं। 10 मिनिट बाद शपथ के समय फिर हाजिर हो गये। तब भी उम्मीद जी नजर नहीं आये। अब 7 जिलों के मुखिया ने सीधे शपथ दिलाई। अब सवाल यह है कि अपने उम्मीद जी कहां गायब थे? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सभी इसको लेकर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सरपंच …
अपने पंजाप्रेमी ग्रामीण मुखिया सरपंच हो गये हैं, वह भी निर्विरोध। ऐसा हम नहीं कह रहे हंै, बल्कि पंजाप्रेमी ही बोल रहे है। वह भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट अपलोड करके। जिसमें उनके शुभचिंतकों ने चौथी बार सरपंच बनने की बधाई दे डाली है। मगर लाख टके का एक सवाल है। वह जिस ग्राम के निवासी है। उस ग्राम की सीट अजा वर्ग के लिए आरक्षित है। जबकि पंजाप्रेमी ग्रामीण मुखिया का अजा वर्ग से दूर-दूर तक नाता नहीं है। फिर भी वह सरपंच बन गये हंै। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। बस … अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते हैं।
रवानगी …
ब्लैकमेलिंग कांड में पकड़ाये कमलप्रेमी नेता की रवानगी हो गई है। पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। फैसला अपने लेटरबाज जी ने लिया है। जो कि प्रकरण दर्ज होते ही नोटिस जारी कर चुके थे। अब कमलप्रेमी नेता जी रिमांड पर है, तो उनकी रवानगी कर दी गई है। अपने लेटरबाजी ने तत्काल यह कदम उठाया है। जिसको लेकर हम उनकी कार्यशैली को शुभकामनाएं देते हुए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
शुभारंभ …
कमलपे्रमी और एक विशेष समुदाय में चर्चा है एक शुभारंभ को लेकर, जिसमें इशारा अपने वजनदार जी की तरफ है। जिन्होंने अस्पताल का शुभारंभ किया है। लेकिन चर्चा यह है कि इस अस्पताल की एक मंजिल का निर्माण अवैध तरीके से किया गया है। वजनदार जी को पता नहीं था। वह शुभारंभ कर आये। इसी अस्पताल का दौरा करने अगले दिन अपने पहलवान पहुंच गये। जहां उनके सामने विशेष समुदाय में आपसी भिंडत हो गई। अमर्यादित भाषा का भी उपयोग हो गया। चर्चा तो यही है। यह नजारा देखकर अपने पहलवान दंग रह गये। मगर वह चुप रहे। तो हम भी चुप हो जाते है।
माफी …
हमारे सभी पाठकों और चुप रहेंगे के किरदारों से हाथ जोडक़र माफी। सन् 2021 का यह आखिरी चुप है। अब हम 2022 में ही मिलेंगे। 2021 में हमारे शब्दों से अगर जाने-अंजाने, किरदारों या पाठकों का दिल दु:खा हो। तो हम दिल से हाथ जोडक़र माफी मांगते है। अब नये साल में नया बही-खाता खोलेंगे। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।