हिरण के शिकार और पुलिसकर्मियों की हत्या का मामला: शादी के दिन इतना बड़ी घटना हुई कि जिसे वो चाहकर भी कभी भुला नहीं सकेगी
गुना। ये है अर्शी खान, हाथों में सुर्ख लाल मेहंदी रची हुई है। दिल में वैसी ही उमंग और आंखों में सपने थे जैसे हर दुल्हन के अपने पिया के घर जाने से पहले होते हैं। लेकिन, मेहंदी की रंगत शौहर के घर पहुंचने से पहले ही उतर गई है। अर्शी की शादी के दिन इतना बड़ी घटना हुई कि जिसे वो चाहकर भी कभी भुला नहीं सकेगी। नतीजा यह हुआ कि निकाह नहीं हो सका। निकाह से पहले ही दो चाचाओं सहित परिवार के अन्य लोगों ने तीन पुलिसवालों की हत्या कर दी। दो चाचा भी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए। अर्शी की डोली से पहले पांच लोगों की अर्थियां उठ गईं।
आर्शी खान ने मीडिया का बताया कि मेरा 14 मई को निकाह था। शाम को बारात आना थी। एक दिन पहले ही 13 मई की दोपहर 1 बजे चाचा शहजाद और नौशाद से एक साथ मुलाकात हुई। दोनों ने एक साथ कहा था- बेटी बहुत खुश हूं। दोनों चाचाओं के यही आखिरी शब्द थे। इसके बाद नौशाद चाचा से मुलाकात 14 मई की सुबह 5 बजे हुई। वह घायल थे। पसलियों में दो गोली लगी थीं। दादा निसार खान और चाची, मम्मी ने कमरे में लिटाया। कुछ बता पाते, उससे पहले ही उनका इंतकाल हो गया। थोड़ी ही देर में पुलिस आ गई और हमारा घर घेर लिया। चाचा का शव कब्जे में ले लिया। दादा, पापा (सिराज खान), मां, बुआ और चाची को पीटना शुरू कर दिया। मां, बुआ और घर के सदस्यों को मेल पुलिस ने बेरहमी से पीटा।
बड़ी बसों में भरकर पुलिस आई थी। घर की तलाशी ली। दादा और पापा को पुलिस कार में बैठाकर ले गई। तब से वे वापस घर नहीं लौटे। छोटे चाचा नौशाद की मौत के बाद शादी टल गई। 14 मई की रात जिस समय निकाह होना था, उस समय घर में बड़े चाचा शहजाद की मौत की खबर आई। शादी में दावत के लिए हिरण और मोर के मांस की दावत की बात झूठी है। दावत में मुर्गा बनना तय हुआ था। मंगेतर आसिफ खान का कॉल आया था। वो मुझसे बोले- इन हालात में शादी नहीं हो पाएगी। शादी टाल रहा हूं। रिश्ता नहीं तोड़ रहा।