शिवराज कैबिनेट का विस्तार आज:सिंधिया समर्थक सिलावट-राजपूत बनेंगे मंत्री

राजभवन में दोपहर 12:30 बजे शपथ ग्रहण

भोपाल। राज्य कैबिनेट का विस्तार आज होने जा रहा है। शिवराज की टीम में दो मंत्री शामिल किए जाएंगे। शपथ ग्रहण कार्यक्रम आज दोपहर 12:30 बजे राजभवन में होगा। कैबिनेट विस्तार में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत मंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक का शपथ ग्रहण समारोह राजभवन में दोपहर 2 बजे होगा।

राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल मंत्रियों और नए मुख्य न्यायाधीश को शपथ दिलाने के लिए रविवार सुबह 11:45 बजे बजे भोपाल आएंगी। वे शाम 4 बजे भोपाल से बनारस रवाना हो जाएंगी। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर शपथ ग्रहण समारोह में अतिथियों की संख्या 150 तक सीमित रखी गई है।

उपचुनाव के परिणाम 10 नवंबर को आए थे। इसके बाद से शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार किया जा रहा था। इसे लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया की चार दौर की बैठकें हुई। सूत्रों ने बताया कि 1 जनवरी को राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से मंत्रिमंडल विस्तार की अनुमति मिली थी। इसके बाद कार्यक्रम तय किया गया।

सिलावट को जल संसाधन व राजपूत को परिवहन व राजस्व विभाग मिलेगा

मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि तुलसी सिलावट को जल संसाधन और गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन व राजस्व विभाग मिलना लगभग तय है। शिवराज सरकार सत्ता में आने के बाद सिलावट और राजपूत को यही विभाग सौंपे गए थे। हालांकि बीजेपी अब इन दोनों को अन्य विभाग देना चाहती थी, लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व और सिंधिया के बीच हुई सहमति के बाद दाेनों नेताओं को एक बार फिर उन्हीं विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

4 पद रह जाएंगे खाली

शिवराज कैबिनेट के 14 सदस्‍यों गोविंद सिंह राजपूत, तुलसीराम सिलावट, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, डॉ. प्रभुराम चौधरी, बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंषाना, हरदीप सिंह डंग, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, बृजेंद्र सिंह यादव, गिर्राज दंडौतिया, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया ने चुनाव लड़ा था। इसमें से इमरती देवी, एदल सिंह कंषाना और गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार गए थे। इसमें से 2 तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को छह माह का कार्यकाल पूरा होने पर चुनाव के दौरान ही मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अब दोनों को फिर से कैबिनेट में लिया जा रहा है। इसके बाद भी 4 पद खाली रह जाएंगे यानि आगे भी कैबिनेट विस्तार होगा।

तुलसी सिलावट: 1982 में बने थे पार्षद, इसके बाद 5 बार विधायक

सांवेर विधायक तुलसी सिलावट 1977 से 1979 तक इंदौर के शासकीय आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज तथा 1980-81 में देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। 1982 में इंदौर में पार्षद बने। 1985 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता और उन्हें संसदीय सचिव की अहम जिम्मेदारी दी गई। 1995 में नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। इसके बाद 1998-2003 तक ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। इस दौरान उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया गया। 2007 में उपचुनाव में कांग्रेस ने उन्हें फिर से टिकिट दिया और वे जीते। इसके बाद 2008 के आम चुनाव में जीत हासिल हुई।

सिलावट 2018 में चौथी बार विधायक बने और कमलनाथ सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उन्हें स्वास्थ्य विभाग की अहम जिम्मेदारी दी गई। 10 मार्च 2020 को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। शिवराज सरकार में उन्हें जल संसाधन और मछुआ कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर वे 5वीं बार विधायक बने।

गोविंद सिंह राजपूत : युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, 4 बार विधानसभा चुनाव जीता

सुरखी विधायक गोविंद सिंह राजपूत प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। 2002 से 2020 तक प्रदेश कांग्रेस के महासचिव और उपाध्यक्ष के पद पर रहे। उन्होंने 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। उन्हें कांग्रेस विधायक दल के सचेतक की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंपी थी। 2008 में दूसरी बार विधायक बने लेकिन 2013 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2018 में भाजपा उम्मीदवार सुधीर यादव को हरा कर राजपूत एक बार फिर विधायक बन गए। उन्हें कमलनाथ सरकार में परिवहन और राजस्व विभाग की जिम्मेदारी मिली।

राजपूत 10 मार्च 2020 को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। शिवराज सरकार में उन्हें खाद्य और सहकारिता मंत्री बनाया गया। राजपूत उन पांच मंत्रियों में शामिल रहे, जिन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट का सदस्य बनाया था। मंत्रिमंडल के विस्तार में राजपूत को फिर से परिवहन और राजस्व विभाग दिया गया। छह माह की अवधि समाप्त होने के कारण उन्हें मंत्री पद से 20 अक्टूबर को इस्तीफा देना पड़ा था। राजपूत ने उपचुनाव में कांग्रेस की पारुल साहू को हराया और चौथी बार विधायक बने।

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