पैसे देकर लोगों को लाए, धोखे से कोरोना वैक्सीन लगाई, बीमार पड़े तो पूछा भी नहीं
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के एक अस्पताल पर कोवैक्सिन के ट्रायल में धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है। आरोप है कि पीपुल्स अस्पताल ने धोखे में रखकर 600 से ज्यादा लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया। बाद में कुछ लोग बीमार पड़ गए, तो उनकी तरफ देखा तक नहीं। वे अस्पताल के चक्कर ही लगाते रहे। जानकारी के मुताबिक, ट्रायल के लिए भोपाल की बस्तियों से लोगों को लाया गया था। उन्हें बिना कुछ बताए वैक्सीन लगा दी गई। इसके लिए 750 रुपए भी दिए गए। लोगों के बीमार पडऩे पर उनसे कागजात ले लिए गए।
सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने बताया कि भोपाल के विदिशा रोड पर शंकर नगर में रहने वाले हरिसिंह घर में अकेले कमाने वाले हैं। 7 दिसंबर को उन्हें पीपुल्स अस्पताल ले जाया गया। उन्हें बताया गया था कि उनकी कुछ जांचें होंगी। 750 रुपए भी मिलेंगे। उसके बाद एक टीका लगेगा। इससे शरीर का खून साफ होगा और दूसरी बीमारियां भी ठीक हो जाएंगी। हरि सिंह से एक कागज पर नाम लिखवाकर टीका लगा दिया गया।
वैक्सीनेशन के बाद पीलिया हुआ
हरिसिंह ने बताया कि हॉस्पिटल की ओर से बताया गया था कि अगर कोई परेशानी हो, तो आकर बताना। मैंने उन्हें बताया था कि उन्हें टाइफाइड हुआ था। इस पर उन्होंने कहा कि कुछ नहीं होगा। दूसरी बार गया, तो मैंने कहा कि अब पीलिया हो गया है। उन्होंने एक्स-रे करवाने को कहा। इसके लिए मुझसे पैसे भी लिए। दूसरी जांच कराने को कहा। दूसरी जांच के लिए भी 450 रुपए मांगे। किसी ने कुछ नहीं पूछा और न ही देखा। मैं मायूस होकर घर आ गया। अब पता नहीं क्या होगा। ऐसे ही मामले गरीब नगर, शंकर नगर समेत करीब छह बस्तियों से सामने आ रहे हैं।
अस्पताल प्रबंधन बोला- बहकावे में ऐसा कह रहे होंगे
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अनिल दीक्षित ने मीडिया को बताया वैक्सीन ट्रायल में शामिल लोगों को आधे घंटे समझाया जाता है। उनकी सहमति के बाद उनसे साइन लिए जाते हैं। सभी तरह की जानकारी दी जाती हैं। यह भी बताते हैं कि दो डोज में से एक खाली है और दूसरे में वैक्सीन है। उनकी मेडिकल जांच की जाती है। टीका लगने के बाद होने वाली बीमारियों के बारे में भी बताते हैं। फिट होने पर ही उन्हें ट्रायल में शामिल किया जाता है। जहां तक अस्पताल के पास की बस्तियों में से लोगों को लाने की बात है, तो तीन किमी के दायरे को प्राथमिकता दी गई है। इसलिए यहां के लोग ज्यादा संख्या में है। जो भी आरोप लगा रहे हैं, वे बहकावे में आकर ऐसा कह रहे होंगे। फिर भी हम पूरे मामले को दिखवाते हैं।
डोज लगने के बाद बीमार पड़े भोपाल के वॉलंटियर्स
मां ने रोते हुए कहा- बेटा घर से अच्छा-खासा गया, अब आधा भी नहीं बचा
छोला मंदिर टिंबर नगर में रहने वाले जितेंद्र की 70 साल की मां की आंखों के आंसू नहीं थम रहे हैं। उसकी मां को डर इस बात का है कि उसके बीमार बेटे को पीपुल्स अस्पताल वाले ले जाकर फिर से कोई नया प्रयोग तो नहीं कर देंगे। जितेंद्र को पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में 10 दिसंबर को कोरोना का टीका लगाने का कहकर ट्रायल का टीका लगा दिया गया था। इसके बाद से वह लगातार बीमार चल रहा है। इस मोहल्ले में जितेंद्र जैसे कई वॉलंटियर्स हैं, जिन पर टीका लगाने के नाम पर ट्रायल किया गया है। इसके बाद उनका कोई फॉलोअप नहीं लिया गया और वह घर पर बीमार हो गए। मामला सामने आने के बाद अब प्रबंधन ने जितेंद्र की सुध ली है। प्रबंधन ने सभी तरह के आरोपों को नकारा है। हालांकि सवाल यह है कि अधिकांश वॉलंटियर गरीब बस्तियों के क्यों चुने गए। यहां रहने वाले कई लोगों को आने वाले दिनों में दूसरा डोज दिया जाना है लेकिन अब वे घबराए हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में ट्रायल समय पर पूरा होने को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं।