10 मिनट में 20 हजार लोग जलाएंगे 21 लाख दीप

शिप्रा तट को पांच सेक्टर में बांटा, घाटों पर ब्लॉक बनाने का काम शुरू

उज्जैन, अग्निपथ। 18 फरवरी को शिप्रा तट पर आयोजित होने वाले शिव ज्योति अर्पण कार्यक्रम की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंचाने के लिए कवायद तेज हो गई है। महाशिवरात्री के दिन शिप्रा तट पर 20 हजार वालिएंटर्स, 10 मिनिट की अवधि में 21 लाख दीपों का प्रज्वलन कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में उज्जैन का नाम दर्ज कराएंगे। सर्वाधिक दीप प्रजवलन का वर्ल्ड रिकार्ड फिलहाल अयोध्या शहर के नाम है। अयोध्या में गत वर्ष 15 लाख 76 हजार दीप एक साथ प्रज्वलित किए गए थे।

पिछले साल उज्जैन में लगभग 13 हजार कार्यकर्ताओं ने शिव ज्योति अर्पण कार्यक्रम में सहभागिता थी, इस बार इनकी संख्या 20 हजार होगी। जिला अधिकारियों व जनपद स्तर के अधिकारियों को सेक्टर प्रभारी, सुपरवाइजर की ड्यूटियां दी गई है। रविवार को कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम ने प्रशासनिक संकुल के बैठक कक्ष में सभी अधिकारी-कर्मचारियों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि शिव ज्योति अर्पणम कार्यक्रम में ड्यूटी देना अधिकारियों के लिये सौभाग्य का विषय है। कलेक्टर ने कहा है कि विश्व रिकार्ड बनने से उज्जैन शहर की ब्राण्डिंग विश्वभर में होगी।

कलेक्टर ने बैठक में कहा कि सभी अधिकारी-कर्मचारी को, जिनकी ड्यूटी लगी है निर्वाचन के दौरान जिस उत्साह व समर्पण से कार्य करते हैं, ठीक उसी तरह इस कार्यक्रम में भी ड्यूटी करना होगा। उन्होंने कहा कि ड्यूटीरत सभी अधिकारी-कर्मचारियों को शुरू से एक्यूरेसी रखना होगी, तभी रिकार्ड बन पायेगा। कलेक्टर ने निर्देश दिये हैं कि सम्पूर्ण कार्यक्रम के दौरान युनिफाईड कमांड रहे। जिन लोगों की ड्यूटी लगी है उनको दीप प्रज्वलन के लिये एक जैसी ट्रेनिंग वीडियो बनाकर दी जाये। दीप प्रज्वलन के लिये संकेत देने के लिये हूटर बजाया जायेगा।

कलेक्टर ने सभी अधिकारी-कर्मचारियों की हिदायत दी कि दीप जलाते समय कोई भी वॉलेंटियर व कर्मचारी सेल्फी न ले।
शिप्रा नदी पर दीप प्रज्वलन के लिये सम्पूर्ण घाटों को पांच ब्लॉक में बांटा गया है। इसमें ‘ए’ ब्लॉक में केदारेश्वर घाट पर, ‘बी’ ब्लॉक सुनहरी घाट पर, ‘सी’ ब्लॉक दत्त अखाड़ा क्षेत्र में, ‘डी’ ब्लॉक रामघाट पर तथा ‘ई’ ब्लॉक भूखी माता की ओर दीपों का प्रज्वलन किया जायेगा।

वेस्ट का भी होगा बेस्ट उपयोग

शिव ज्योति अर्पण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी अपर कलेक्टर आशीष पाठक के मुताबिक यह कार्यक्रम जीरो वेस्ट कार्यक्रम रहेगा। खाली तेल की बोतलों को पुन: उपयोग करते हुए उद्यान में कुर्सियां, बेंचेस, गमले आदि बनाये जायेंगे। मोमबत्तियों को जलाने के लिये पेपर मैच बॉक्स का उपयोग किया जायेगा। जली हुई रूई की बत्तियों को पुन: उपयोग करते हुए रैन बसेरों के गद्दे-बिस्तर बनाने में इसका उपयोग होगा।

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