सहायक प्रशासक को सौंपा ज्ञापन, निलंबित करने की मांग
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में गुरुवार को चार दर्शनार्थियों से 1000 लेकर प्रोटोकॉल कर्मी द्वारा निशुल्क दर्शन के लाइन में लगा दिए जाने का मामला अब तूल पकडऩे लगा है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने मामले की शिकायत प्रशासक को ज्ञापन के माध्यम से की है। जिसमें बताया गया है कि प्रोटोकॉल कर्मी द्वारा दर्शनार्थियों के साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया।
गुरुवार की दोपहर शहर कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया कांग्रेसी नेताओं के साथ महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासनिक कार्यालय पहुंचे और यहां पर प्रशासक के नाम सहायक प्रशासन मूलचंद जोनवाल को एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें बताया गया कि 23 फरवरी को लक्ष्मण बंसल, हेमलता बंसल, दिनेश अग्रवाल और ललित अग्रवाल मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। इस दौरान मंदिर में पदस्थ प्रोटोकॉल कर्मी संजय श्रीवास्तव द्वारा दर्शन कराने के लिए 1000 रु. रसीद के रूप में लिए गए। रसीद पर किसी भी दर्शनार्थी का नाम नहीं लिखा हुआ था।
दर्शनार्थियों ने जब कहा कि हमें गर्भगृह से महाकाल के दर्शन करना है तब संजय श्रीवास्तव द्वारा कहा गया कि आप जाकर लाइन में लग जाएं। उसी दौरान दोपहर 12.30 बजे से शाम 4 बजे तक नि:शुल्क गर्भगृह दर्शन व्यवस्था शुरू हो गई थी और दर्शनार्थियों द्वारा इसी समयावधि में महाकाल गर्भगृह से सामान्य दर्शनार्थियों के तरह दर्शन किए गए। ऐसे में दर्शनार्थियों ने सवाल उठाया है कि संजय श्रीवास्तव द्वारा 1000 रु. दर्शनार्थियों से किस बात के लिए गए हैं।
दर्शनार्थियों ने जब संजय श्रीवास्तव से कहा कि दोपहर 12.30 से 4 बजे तक नि:शुल्क दर्शन व्यवस्था रखी गई है तो हमसे शुल्क किस बात का लिया गया। इस पर संजय श्रीवास्तव द्वारा उनसे अभद्र व्यवहार किया गया और कहा कि…. मुझे और भी बहुत सारे काम है और आप जैसे कई लोग आते हैं। गर्भगृह में दर्शन करना है तो राशि देना ही पड़ेगी। महाकाल मंदिर में इस तरह की घटनाएं होती हैं।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने इस तरह के कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से निलंबित किए जाने की मांग की गई है तथा भविष्य में ऐसे कर्मचारियों को कभी भी मंदिर की जिम्मेदारी नहीं सौंपे जाने को भी कहा गया है। इससे महाकाल मंदिर की छवि धूमिल होती है।
250 की चार रसीदें खरीद कर दीं
इधर मामले में जब प्रोटोकाल कर्मी संजय श्रीवास्तव से बात की गई तो उसने कहा कि एक सहायक प्रशासक के आदेश पर प्रोटोकाल के तहत 250 रु. की रसीद खरीद कर उनको सभामंडप से लाइन में लगा दिया गया था। इस दौरान गर्भगृह से दर्शन भी शुरु हो गये थे। बिना रसीद श्रद्धालुओं को लंबी लाइन में लगकर दर्शन करना पड़ते। रसीद के रुपये श्रद्धालुओं से मांगे तो वह देने में आनाकानी कर रहे थे।