कोरोना काल में लागू हुए थे नियम, महाकाल मंदिर में शुरू हो चुका है प्रवेश
उज्जैन, अग्निपथ। धर्मधान्य नगरी उज्जयिनी के प्रसिद्ध मंदिरों में कोरोना के बाद से गर्भगृह में प्रवेश पर पाबंदी लगा रखी गई है। जोकि अभी तक खुलने का नाम नहीं ले रही है। देश सहित विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान को पास से निहारने के लिये आते हैं। लेकिन उनको निराशा हाथ लगती है। जब उनको गर्भगृह में जाने नहीं दिया जाता। अभी तक कोरोना प्रोटोकॉल से शहर के प्रसिद्ध मंदिर मुक्त नहीं हो पाये हैं। जिला प्रशासन ने भी विगत तीन साल से इसकी सुध नहीं ली है।
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर, कालभैरव मंदिर और मंगलनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का गर्भगृह में प्रवेश कोरोना के समय से ही बंद कर दिया गया था। मंदिर में भीड़ कम उमड़े इसको लेकर तात्कालिन जिला प्रशासक ने इस बात का निर्णय लिया था कि महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को गर्भगृह से प्रवेश के लिये शनिवार, रविवार और सोमवार को 1500 रु. की टिकट लगा दी जाय, ताकि कम संख्या में श्रद्धालु यहां तक पहुंचे।
इसका असर भी हुआ। वहीं दोपहर 1 से 4 बजे तक आम श्रद्धालुओं को प्रवेश की व्यवस्था दी थी। लेकिन अब इसको प्रतिदिन के लिये लागू कर दिया गया है। कोरोना के समय दी गई व्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए इसको तीन दिन के अलावा चार अन्य दिन इस तरह से पूरे सातों दिन व्यवस्था दे दी गई। लेकिन आम श्रद्धालुओं के प्रवेश पर शनिवार, रविवार और सोमवार को गर्भगृह से दर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
कालभैरव-मंगलनाथ में भी गर्भगृह प्रतिबंधित
प्रसिद्ध कालभैरव और मंगलनाथ मंदिर में भी कोरोना के समय से ही इस तरह की जोड़तोड़ कर दी गई थी। भीड़ के आगमन को देखते हुए कोरोना होने के डर से इनके गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था। तब से लेकर आज तक इन दोनों प्रसिद्ध मंदिरों के गर्भगृह श्रद्धालुओं के लिये प्रतिबंधित हैं।
हालांकि वीआईपी प्रोटोकॉल से गर्भगृह दर्शन की व्यवस्था भी इन मंदिरों दी हुई है। यह कोरोना काल के समय से ही लागू है। लेकिन कोरोना तो समाप्त हो गया, लेकिन तीन वर्ष से चले आ रहे आदेश को आज तक लागू किया हुआ है।
मदिरा पीते हुए चमत्कार देखना चाहते हैं श्रद्धालु
भगवान महाकाल के दर्शन के बाद बाहर से आने वाला श्रद्धालु शहर के दूसरे प्रसिद्ध मंदिर कालभैरव इस आस में जाता है कि उसको यहां पर अपनी आंखों के सामने मदिरा चढ़ाते हुए दिख जायेगी। वह अपने साथ कीमती मदिरा की बोतल लेकर आता है। लेकिन यहां पर आकर उसको निराशा हाथ लगती है। उसकी लाई हुई मदिरा की बोतल को प्रवेश चैनल गेट पर रखे हुए पात्र में डाल दी जाती है।
ऐसे में उसको अपनी मदिरा चढ़ती हुई दिखाई नहीं देती। उसकी आस्था प्रभावित होती है। वहीं मंगलनाथ मंदिर में भी श्रद्धालुओं के गर्भगृह में प्रवेश नहीं देने के चलते वह भातपूता में भगवान महामंगल को अपने हाथ से भात नहीं चढ़ा पाता।