ढाई महीने बाद हो रही है बातचीत
लेह। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव को कम करने के लिए लगभग ढाई महीने बाद रविवार को फिर से कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता हो रही है। मई 2020 की शुरुआत से ही भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध जारी है। नौंवे राउंड की यह बैठक XIV कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन और दक्षिण शिंजियांग मिलिस्ट्री क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन के बीच हो रही है। दोनों कमांडर्स के बीच की ये बैठक एलएसी के पास चीन की तरफ के हिस्से चुशुल में हो रही है।
बैठक का लक्ष्य पूर्वी लद्दाख में नौ महीनों से जारी तनाव का समाधान निकालना है। बैठक में विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि के भी शामिल होने की संभावना है। एक अधिकारी ने शनिवार को इसकी जानकारी दी थी। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, नौंवे दौर की वार्ता काफी महत्वपूर्ण है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वार्ता में दोनों पक्षों के बीच एक लिखित समझौता हो सकता है।
पिछली कुछ बैठकों की तरह विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि भी इस बैठक का हिस्सा होंगे। दोनों पक्षों के बीच आखिरी सैन्य वार्ता छह नवंबर को हुई थी। इससे पहले, 18 दिसंबर, 2020 को विदेश मंत्रालय स्तर की वार्ता में दोनों देशों ने कहा था कि वे एलएसी के पर सभी तनाव वाले स्थानों से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करने की दिशा में काम जारी रखने को तैयार हैं। उसी वक्त नौवें दौर की वार्ता को लेकर सहमति बनी थी।
6 नवंबर 2020 को वरिष्ठ कमांडरों की आयोजित 8वें दौर की बैठक को लेकर दोनों पक्षों ने कहा था कि इस बैठक में जमीन पर स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिली। आठवें दौर की इस बातचीत के दौरान चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने कहा था कि वे अपने फ्रंटलाइन सैनिकों को संयम बरतने और किसी भी गलतफहमी से बचने के लिए सुनिश्चित करेंगे।
कई महीनों से आमने-सामने हैं सैनिक
गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के रिश्ते खराब चल रहे हैं। दोनों की सेनाएं भारी हथियारों और हजारों सैनिकों के साथ आमने-सामने हैं। भारत ने आर्मी, एयरफोर्स और नेवी तीनों के खतरनाक कमांडो इस इलाके में तैनात कर रखे हैं। फाइटर जेट लगातार उड़ान भर रहे हैं। कई महीनों की तैनाती के हिसाब से रसद पहुंचा दी गई है। चीन की तरफ भी ऐसी ही तैयारी है।
चोटियों पर भारत का कब्जा
29-30 अगस्त को भारत ने पैगॉन्ग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। इससे उसे रणनीतिक बढ़त हासिल हो गई। चीनी सेना भारत से साउथ बैंक से सैनिकों और टैंकों को पहले वापस लेने के लिए कह रही हैं। वहीं भारत तनाव वाले सभी इलाकों से डिसइंगेजमेंट के लिए कह रहा है।