हम चुप रहेंगे

काजू…

अभी हाल ही में पंजाप्रेमियों के राजा साहब आये थे। उनके साथ बाबा साहब भी थे। पंजाप्रेमियों में काफी उत्साह था। नाश्ते की टेबल पर चर्चा चल रही थी। राजा साहब ने खुद बोला कि…इंदौर के नेताओं से…उज्जैन-शाजापुर-आगर व खंडवा वाले पीडि़त हैं। जब चाहे आ जाते हंै। चुनाव लडऩे। उज्जैन वालो का भी दिल बड़ा है। उनकी बात सुनकर जमकर ठहाका लगा। इसके बाद नाश्ता खत्म हो गया। सब उठकर चल दिये। बाबा साहब के उठते ही, उनके सामने रखे काजू पर एक वरिष्ठ नेता ने धावा बोल दिया। मु_ी भर के काजू उठा लिये। यह वही नेताजी है। जिनको अपने पंजाप्रेमी दमदमा की मीठी गोली बोलते हैं। अब काजू की चर्चा पंजाप्रेमियों में खूब सुनाई दे रही है और नेताजी काजू खाकर चुप हैं। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

हिस्सा…

हर नेता मंच से यही चिल्लाता है। भ्रष्टाचार सहन नहीं होगा। मगर जैसे ही मछली फसती है। अपनी कही बात भूल जाते हैं। पिछले सप्ताह हमने चरणलाल जी का जिक्र किया था। बैठक में एक सीईओ को खूब फटकारा था। बैठक स्थगित कर दी थी। 2 घंटे के लिए। इस दौरान हिस्सा मिल गया और भ्रष्टाचार गायब हो गया। इसी से जुड़ा एक और मामला है। जिसका इशारा, अपने वजनदार जी की तरफ है। उन्होंने भी सीईओ के भ्रष्टाचार पर खूब हल्ला मचाया। चेतावनी दी। नतीजा, सीईओ तत्काल उनके दरबार में मत्था टेक दिया। हिस्सा मिल गया और अपने वजनदार जी भी चुप हो गये। ऐसी चर्चा चरणलाल जी की तहसील में कमलप्रेमी कर रहे हैं। जिसमें हम क्या कर सकते है। हम तो बस आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।

कानून…

बोला जाता है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। वर्दी से बच पाना मुश्किल है। खासकर, इस माहौल में। जबकि अपने मामाजी ने फ्रीहेंड दे रखा है। मगर इसके बाद भी फोटोग्राफर आत्महत्या कांड के दोनों आरोपी आज तक लंबे हाथों से बचे हुए हैं। जबकि दोनों पर 5-5 हजारी इनाम घोषित हो चुका है। लेकिन दोनों कमलप्रेमी है। सत्ता उनकी है। इसलिए कानून के लंबे हाथ वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हंै। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।

जांच…

अपने पड़ोसी संभागीय मुख्यालय पर खाद्यान्न घोटाला उजागर हुआ है। अपने नम्बर-1 ने इसको उजागर किया है। अब बारी अपने उम्मीद जी की है। जो ऐसा ही घोटाला पकड़ सकते हैं। बशर्त…अगर बारीकी से जांच करायें तो। अपने चरणलाल जी की तहसील का यह घोटाला है। 500 क्विंटल खाद्यान्न का मामला है। जिसमें नियमों के विपरीत गेहंू सीधे समितियों को दे दिये। जबकि नियम हितग्राही को देने का था। समितियों ने कोई लिस्ट तैयार नहीं की। आधी-अधूरी लिस्ट है। नतीजा चरणलाल जी की तहसील में यह चर्चा जोरो पर है कि…एक बार तो जांच बनती है। देखना यह है कि अपने उम्मीद जी क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

अफवाह या…!

शीर्षक पढक़र पाठक समझ गये होंगे। इन दिनों कमलप्रेमियों के बीच चर्चा चल रही है। जिसका फैसला खुद सुधी पाठकों को अपने विवेक से करना है। मामला सिहंस्थ क्षेत्र की आरक्षित भूमि को आवासीय करने से जुड़ा है। अपने वजनदार जी ने चि_ी लिखकर इस कदम का विरोध किया है। जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया। नतीजा बिल्डर लाबी में हडक़ंप मच गया। अच्छा-खासा निवेश कर दिया है। अपने विकास पुरुष की सलाह पर। मगर अब मामला बिगड़ता नजर आ रहा है। इसी के चलते यह अफवाह फैलाई जा रही है। 100 रुपये स्के. फीट पर अपने वजनदार जी से समझौता हो गया है। इधर अपने वजनदार जी इसे सफेद झूठ बता रहे हैं। यह तक कह रहे हंै कि…एक बार फिर मामाजी के नाम चि_ी लिखेंगे और सिहंस्थ भूमि को आरक्षित रखेंगे। अब देखना यह है कि अपने वजनदार जी की दूसरी चि_ी कब सामने आती है। तब तक चि_ी के इंतजार में हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

47 पेज…

अपने विकास पुरुष की मुराद आखिरकार बाबा महाकाल ने पूरी कर दी। दशहरा मैदान पर सलामी लेने की सालों पुरानी इच्छा थी। जो अब जाकर पूरी हुई। मगर, सलामी के पहले संदेश वाचन ने अपने विकास पुरुष को एक सबक भी सिखा दिया। सबक भी 47 पेज का था। जो उनको ही पढऩा था। 47 पेज का यह संदेश 1 घंटे में निपटा। वह भी तब…जब बीच के कुछ पेराग्राफ गायब कर दिये गये। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे हैं। इधर संदेश वाचन के दौरान मौजूद कोई भी इतने लंबे संदेश को सुनने के लिए तैयार नहीं था। सब अपनी-अपनी बातों में लगे रहे। किसी की भी रूचि नहीं थी। इतना उबाऊ संदेश को झेलने की। मगर विकास पुरुष की मजबूरी थी। जैसे-तैसे संदेश वाचन संदेश निपटा। तो जनता ने राहत की सांस ली। इधर इतने लंबे संदेश वाचन के बाद अपने विकास पुरुष चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
बधाई…
वर्दीवाले बधाई के हकदार है। किस बात के लिए बधाई के हकदार है? तो हम बता देते हैं। आखिरकार वर्दी ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा। जो वन्य प्राणियों की खालो की तस्करी करता था। मुंहमांगी कीमत पर बेचता था। इस गिरोह को पकडऩे के बाद वर्दीवालो की बल्ले-बल्ले हो गई। वर्दीवाले ही ऐसा बोल रहे हंै। 5 पेटी की कमाई हुई और गिरोह भी पकड़ा गया। हींग लगे ना फिटकरी-रंग भी चोखा आ गया। ऐसा वर्दी खुद ही बोल रही है। तो हम कौन होते हैं। उनकी बात को झूठा साबित करने वाले। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

धमकी…

अपने पहलवान ने धमकी दी है। वह भी खुलेआम मंच से। धमकी देने वाले पहलवान, अपने कमलप्रेमी नहीं, बल्कि पंजाप्रेमी पहलवान है। जिनका रिश्ता दाल-बिस्किट वाली तहसील से है। घटना गणतंत्र दिवस की है। अपने पहलवान झंडावंदन करने पहुंचे। मगर कार्यक्रम स्थल पर कोई अधिकारी नहीं था। पीली बत्ती के शौकीन अधिकारी ने भी दूरी बनाकर रखी। यह नजारा देखकर अपने पहलवान का पारा चढऩा ही था। उन्होंने खुलकर मंच से कहा कि…यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। इसकी शिकायत मामाजी से करूंगा और विधानसभा में सवाल उठाऊंगा। अब देखना यह है कि पहलवान शिकायत और सवाल कब करते हैं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

तेवर…

अपने दिल्ली वाले नेताजी लंबे समय बाद तेवर दिखाते नजर आये। किताबे पढऩे के शौकीन हंै। इसलिए ज्ञान के मखमल में लपेटकर मारने की कला में माहिर है। अभी-अभी पद मिला है। पद मिलते ही उनके उद्बोधन में तेवर नजर आये। तभी तो बोल गये। कुछ लोग लायसेंस को ही बंदूक समझ लेते है। लेकिन बंदूक तो बंदूक होती है। पद का क्या है। आता-जाता रहता है। उन्होंने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव का भी जिक्र कर दिया। सिगरेट बेचता था-ठेला चलाता था। मगर कार्यकर्ता भाव हमेशा कायम रखा। तभी दिल्ली तक गया। उनकी बाते सुनकर खूब तालिया बजीं। लेकिन अनुत्तरित सवाल यह है कि…आखिर दिल्ली वाले नेताजी ने यह तेवर किसको दिखाये? तो कमलप्रेमी इसके लिए अपने वजनदार जी की तरफ इशारा कर रहे हंै और तेवरों की चटकारे लेकर चर्चा कर रहे हंै। जिसका हमसे क्या लेना-देना। हमारा तो काम है। बस चुप रहना।

पुत्र मोह…

एक पंजाप्रेमी नेता को पुत्र मोह का जिक्र करना भारी पड़ गया। वह भी सार्वजनिक रूप से। घटना राजा साहब और बाबा साहब के सामने हुई। जिनका अभी हाल ही में आगमन हुआ था। जहां पर काजू कांड हुआ था। राजा साहब के कट्टर समर्थक एक जनप्रतिनिधि ने मंच से बोल दिया। पुत्र मोह के चक्कर में बदबू वाले शहर के ताऊजी और इंदौरी गुड्डू का क्या हाल हुआ है। यह सबको पता है। जोश-जोश में नेताजी यह बोल तो गये। जिसके बाद राजा साहब ने व्यंग्य किया। देख लो…बाबा साहब…यह क्या कह रहे हंै। इतना सुनते ही समर्थक जनप्रतिनिधि की घिग्घी बन गई। हाथ जोडक़र बार-बार बोलते रहे। राजा साहब…यह आपके लिए नहीं था। ऐसी चर्चा पंजाप्रेमी कर रहे है। मगर हमको तो आदत के अनुसार चुप रहना है।

विद्वान…

साहित्य अकादमी मप्र संस्कृत परिषद, संस्कृति विभाग में एक से बढक़र एक विद्वान विराजमान हैं। मगर सभी ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी है शायद। तभी तो हमारे शहर के गौरव रहे राष्ट्रकवि शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति समारोह के आमंत्रण में गड़बड़ी हो गई। राष्ट्रकवि सुमन के चित्र की जगह मधुशाला के रचियता हरिवंश राय बच्चन की तस्वीर छाप दी। आमंत्रण पत्र वितरित भी हो गये। ऐसे में हम साहित्य अकादमी के विद्वानों की विद्वता को प्रणाम करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

Next Post

दोपहर 4 बजे ऑनलाइन दर्शन अनुमति खत्म, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

Sun Jan 31 , 2021
अधिकारी भी मानते हैं संडे इज हॉलीडे, कोई देखने वाला नहीं उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। तिल चतुर्थी होने से श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को उमड़ते रहे। दोपहर 4 बजे के लगभग ऑनलाइन दर्शन अनुमति फुल हो गई थी। लेकिन ध्यान देने […]