उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर के नंदी हाल मे ंचल हरे महा रुद्राभिषेक की शुक्रवार को पूर्णाहूति हो गई। यह यज्ञ 5 से चल रहा था। मंदिर के शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व यज्ञ चल रहा था।
पूर्णाहुति दिवस पर प्रात: 8 बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में श्री महाकालेश्वर भगवान के पूजन के पश्यात नंदी मंडपम में राज्यसभा सांसद राष्ट्रीय संत बालयोगी उमेशनाथ महाराज, माखन सिंह चौहान, विभाष उपाध्याय आदि द्वारा महारुद्राभिषेक का संकल्प कर पूजन की गई। पूजन मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा व पुजारी विकास शर्मा द्वारा संपन्न करवायी गई। उसके पश्यात 22 ब्राम्हणों को महारुद्राभिषेक का प्रारम्भ किया गया, जो श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों के माध्यम से संपन्न किया गया।
रूद्र के पाठ सम्पन होने के पश्यात अक्षय तृतीया के शुभ दिवस पर छ: दिवसात्मक महा-रुद्राभिषेक की अभिषेकत्मक (जलात्मक) की पूर्णाहुति की गई।
इस दौरान पुजारी प्रदीप गुरू, राम पुजारी, अशोक शर्मा, लोकेन्द्र व्यास, सत्यनारायण जोशी, विश्वास कराडकर, दिनेश पुजारी, शैलेंद्र शर्मा, योगेश शर्मा, प्रशांत त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।
मंदिरों में भगवान को लगाया सत्तू का भोग लगाया, ठाकुर को गर्मी से बचाने के जतन
उज्जैन, अग्निपथ। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया पर शुक्रवार को अक्षय तृतीया मनाई गई। इस अवसर पर शहर के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु भगवान को जल से भरा मिट्टी का कलश व मौसमी फल अर्पित करने को पहुंचे। पुष्टीमार्गीय वैष्णव मंदिरों में अक्षय तृतीया से भगवान ठाकुरजी की दिनचर्या बदल गई।
इसके पहले घरों में मटकों की पूजा की गई।
देवालयों में दिन भर धार्मिक आयोजन होगें। माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर किए गए दान का कभी क्षय नही होता है। भगवान परशुराम जयंती व अक्षय तृतीया पर लोगों ने भगवान विष्णु व उनके अवतार परशुराम की पूजा-अर्चना की। भगवान को सत्तू का भोग लगाया गया। मंदिरों में जल से भरा मिट्टी के कलश के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ रही।
पर्व पर ब्राह्मण भोज व भीक्षुकों को दान देना पुण्यकारी माना गया है। इसलिए पूजा के बाद लोगों ने ठंडे पानी से भरा घड़ा, सत्तू व मौसमी फल दान में दिया। मान्यतानुसार अक्षय तृतीया के बाद ही सत्तू व आम का उपयोग खाने में किया जाता है। आखा तीज पर शिव मंदिरों में जल से भरे कलश पर खरबूजा रखकर दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भगवान शिव के मंदिर में गलंतिका बंधन का विधान भी है। दोपहर में भगवान लक्ष्मी नारायण का पूजन किया जाता है।
मंदिरों में बदली व्यवस्था
पुष्टीमार्गीय वैष्णव मंदिरों में अक्षय तृतीया से भगवान ठाकुरजी की दिनचर्या बदल गई। भगवान को गर्मी ना लगे इसके लिए भगवान को चंदन अर्पित कर शीतल सामग्री का भोग लगेगा। पुष्टीमार्गीय वैष्णव संप्रदाय में अक्षय तृतीया से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन से ठाकुरजी की हवेलियों में ठाकुरजी के लिए दरवाजे खिड़कियों पर खस की टाटी लगाई गई, ताकि गर्म हवा नही लगे। ठाकुर जी के सम्मुख फव्वारे लगाए गये। मोगरे के फूलों बंगला सजाया गया।