उज्जैन में हादसे का शिकार महिला की मौत का पता दो साल बाद लगा बेटे को

सोशल मीडिया पर अंतिम संस्कार की रील देख कर्नाटक से आया बेटा, मुक्तिधाम से अन्य लावारिश की अस्थियां ले गया तर्पण के लिए

उज्जैन, अग्निपथ। कर्नाटक से उज्जैन के लिए निकली महिला को दो साल से तलाश रहा उसका बेटा उस समय हतप्रभ रह गया जब सोशल मीडिया पर उसे मां के अंतिम संस्कार की रील दिखाई दी।

दो साल पहले कर्नाटक के हुबली से महाकालेश्वर दर्शन के लिए निकली 67 वर्षीय बुजुर्ग महिला उज्जैन में एक हादसे की शिकार हो गई थी। गंभीर हालत में उसे इंदौर रेफर किया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत के बाद चार दिन तक महिला की शिनाख्त नहीं हुई तो इंदौर पुलिस ने महिला का अज्ञात में अंतिम संस्कार करा दिया। दाह संस्कार करने वाली सामाजिक संस्था ने अंतिम संस्कार के फोटो-वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिए।

दो साल बाद बेटे राजू ने मां का फोटो-वीडियो देखा तो संस्था से संपर्क किया। पता चला कि अस्थियां विसर्जित की जा चुकी थीं। राजू श्राद्ध पक्ष में मां की निशानी लेने संस्था के पास आया लेकिन कुछ नहीं मिला। मां को मोक्ष मिले इस सोच के साथ उसने अन्य लावारिस वृद्धा की अस्थियों का पूजन किया। फिर सांकेतिक तौर पर दो अस्थियां (कलश) लेकर कर्नाटक रवाना हो गया। दो दिन बाद वह वहां मां का श्राद्ध के साथ तर्पण करेगा।

लावारिस मानकर कर दिया था अंतिम संस्कार

मामला 4 दिसंबर 2022 का है। उज्जैन में बुजुर्ग महिला दुर्घटना में घायल हो गई थी। 7 दिसंबर 2022 को इंदौर के एमवाय अस्पताल में उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इस बीच उज्जैन और इंदौर पुलिस ने उसकी शिनाख्त के प्रयास किए। 11 दिसंबर को इंदौर पुलिस ने शिनाख्त नहीं होने पर लावारिस मानकर महाकाल संस्था के माध्यम से उसका अंतिम संस्कार करवा दिया।

संस्था ने उसके फोटो और अंतिम संस्कार के वीडियो इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिए। फिर 2023 में श्राद्ध पक्ष में जूनी इंदौर मुक्तिधाम में रखी 200 से ज्यादा लावारिस अस्थियों का हरिद्वार में विधि विधान के साथ विसर्जन कर दिया गया। इसमें इस वृद्धा की अस्थियां भी थीं।

बेटे ने संस्था से लावारिस अस्थियां मांगी

पुलिस और महाकाल संस्था ने बेटे राजू को बताया कि उसकी मां को 4 दिसंबर को उज्जैन के सरकारी अस्पताल से इंदौर रेफर किया गया था। तब उनके शरीर पर नीले कपड़े (मरीजों के) थे। वह गंभीर होने के साथ सुध-बुध भी खो बैठी थी। उनके पास कोई सामान नहीं था। राजू ने बताया कि वह मां का श्राद्ध करना चाहता है। लेकिन तर्पण के लिए न तो उनकी अस्थियां हैं ना ही कोई निशानी। उसने कहा कि कोई अन्य वृद्धा जिसकी एक-दो अस्थियां सांकेतिक रूप से मिल जाए तो उसे ही मां की निशानी मान लेगा।

सांकेतिक अस्थियों का करेगा तर्पण

गुरुवार को उसे एक लावारिस वृद्धा की दो अस्थियां मुक्तिधाम से कलश में दी गईं। यहां पूजा की। उसे निशानी के लिए 2022 में किए मां के अंतिम संस्कार की रसीद दी गई। मृत्यु प्रमाण पत्र कुछ दिनों बाद दिया जाएगा। इसके साथ ही लिखा-पढ़ी कर मां की शिनाख्त कराई गई। गुरुवार देर रात वह मां का सांकेतिक अस्थि कलश लेकर रवाना हो गया। दो दिन बाद वह अपने निवासी श्रीराम नगर, धार वार्ड, हुबली में मां का श्राद्ध और तर्पण की रस्म पूरा करेगा।

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