सीएम मोहन यादव बोले- साधु-संतों से सुझाव मिले, नई आबकारी नीति में अमल में लाएंगे
उज्जैन, अग्निपथ। मध्यप्रदेश के धार्मिक नगरों में शराब की बिक्री पर जल्द प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इसे लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आबकारी विभाग के अधिकारियों को प्रस्तावित नीति में प्रावधान करने को कहा है। इस फैसले पर अमले के बाद उज्जैन समेत एमपी के 17 धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू हो जाएगी।
सीएम ने सोमवार को कहा, बजट सत्र नजदीक है। ऐसे में सरकार धार्मिक नगरों में शराबबंदी को लेकर आबकारी नीति में संशोधन करने पर विचार कर रही है। 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में इस पर अमल किया जा सकता है। राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए धार्मिक नगरों की बाहरी सीमाओं में शराब दुकानें खोलने को लेकर आबकारी विभाग के अधिकारी मंथन कर रहे हैं।
इस बार शिप्रा के पानी से ही होगा साधु-संतों का स्नान
सीएम यादव ने कहा कि साल 2028 के सिंहस्थ में साधु-संतों को पवित्र शिप्रा जल से स्नान कराएंगे। इसके लिए प्रोजेक्ट का भूमिपूजन केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल की मौजूदगी में किया जा रहा है। सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी प्रोजेक्ट सिंहस्थ 2028 के पहले पूरा हो जाएगा।
सीएम ने कहा- 2004 के सिंहस्थ में शिप्रा नदी में गंभीर नदी के जल को मिलाकर स्नान करा पाए थे। 2016 में नर्मदा नदी का जल मिलाकर शिप्रा में स्नान कराने का इंतजाम किया गया था। अब 2028 में शिप्रा का ही जल साधु-संतों को स्नान के लिए मिल सकेगा।
दो दिन पहले ही हुई थी नई आबकारी नीति पर चर्चा
मुख्यमंत्री यादव ने दो दिन पहले वाणिज्यिक कर विभाग की समीक्षा बैठक में आबकारी नीति पर चर्चा की थी। इसमें अफसरों की ओर से दिए सुझाव को बदलने के लिए कहा गया है। इसके बाद बजट सत्र के पहले नई आबकारी नीति के प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी जाएगी। एक अप्रैल 2025 से यानी नए वित्त वर्ष से इसे लागू किया जाएगा।
घोषणा के बावजूद अब तक प्रतिबंधों पर अमल नहीं
तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में प्रदेश के 17 शहरों को पवित्र नगर घोषित किया जा चुका है। इसी लिहाज से यहां कई प्रतिबंध भी सरकार ने लगाने का फैसला किया था लेकिन अमल नहीं हो पाया है।
जीतू बोले- झूठ बोलना मुख्यमंत्री की आदत
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने धार्मिक नगरों में शराबबंदी को लेकर कहा- इससे पहले नर्मदा किनारे शराबबंदी का फैसला लिया गया था, लेकिन नर्मदा किनारे एक गांव ऐसा नहीं है, जहां अवैध या वैध शराब न बिक रही हो। मुख्यमंत्री रोज नए-नए शिगूफे छोडक़र लोगों को गुमराह करते हैं। कर्ज लेते हैं, करप्शन करते हैं, कमीशन लेते हैं। मध्यप्रदेश पर आर्थिक बोझ डालते जा रहे हैं। प्रदेश में कानून व्यवस्था लाचार होती जा रही है। प्रदेश में माफिया का राज होता जा रहा है। झूठ बोलना, गुमराह करना मुख्यमंत्री की आदत सी बन गई है।