(2) | कृष्ण | काला जादू।वशीकरण | ललिता त्रिपुर सुंदरी । प्रत्यनगिरा ।महाकाली – YouTube
जय श्री महाकाल दोस्तों एक बहुत ही रहस्यमई सब्जेक्ट है आज के समय का तंत्र साधना। इसको कई लोग काले जादू से जोड़कर भी देखते हैं या शमशान साधना से भी जोड़ के देखते हैं। कोई इसे अच्छा मानता है कोई इसे बुरा मानता है। अब यह देखने वाले की नजर का नजरिया होता है कि वह इसको किस तरीके से देख रहा है।
अच्छे कामों में भी इसका प्रयोग होता है, बुरे कामों में भी इसका प्रयोग होता पर चूंकि समय के साथ लोगों की धारणा इसको लेकर ऐसी हो गई है कि इसको बुरी नजर से ही देखा जाता। तो वास्तव में आखिर यह साधना होती क्या है कैसे की जाती है क्या इसको करने के तरीके हैं क्या आपको करना पड़ेगा क्या आपको मानना पड़ेगा कितने व्रत हैं क्या समय है बहुत सारी चीजें हैं। इसमें करने की जानने की और उन्हीं सारी बातों को आज बताने के लिए हमारे साथ में एक बहुत ही सिद्ध साधक है और आज वह हमें बताएंगे कि कैसे वह अपनी साधना करते हैं कैसे वह एक साधक बने बहुत ही यंग पर्सनालिटी है यंगस्टर है लेकिन साधना के प्रति उतने ही कट्टर है बहुत ट करा उनको साधना ने अपनी तरफ और वह कर भी रहे हैं उसे बहुत अच्छे तरीके से निभा भी रहे हैं जो उनके गुरु ने उनको जो दीक्षा दी व उसको पूरी तरह से निभा रहे हैं कर रहे हैं तो आइए जानते हैं आज के एपिसोड में कि तंत्र साधना शमशान-
साधना 10 महाविद्या और त्रिपुर मां सुंदरी देवी ललिता देवी के बारे में योगेश अग्नि होत्री सर कैसा लग रहा है सर आपको आज सर मे को बहुत खुश कि मेरे को इस जगह पर आके अपने बारे में साथ साथ भगवान के बारे में बताने का मौका मिल र मेरी इच्छा थी पहले से कि मैं कुछ कह सकूं भगवान केलिए लेकिन एक प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा था भगवान के बारे में भी बात होगी लेकिन बात उस साधना की ज्यादा करेंगे जी जो आजकल लोग जिसको देखना पसंद कर रहे हैं सुनना पसंद कर रहे हैं जी जिसका इंपैक्ट तो नेगेटिव समझते हैं वो लेकिन करना हर कोई चाहता है और आप जानते हो उसको साधना तंत्र
(04:05) साधना बिल्कुल सही ब्लैक मैजिक कई नाम दिए गए हैं वाइट मैजिक बहुत सारे नाम है इसके लेकिन एक सही साधना क्या होती है एक सही तंत्र साधना क्या होती है बस वही आज आज हम उसी के बारे में बात करेंगे बिल्कुल सर अच्छा ये बातें तो चलिए ठीक है ये तो हम एपिसोड के साथ में इसको आगे लेकर चलेंगे सबसे पहले तो आप आपके बैकग्राउंड के बारे में हमें बताइए कि आप कैसे इस चीज से जुड़े कैसे इसमें आए आपको कैसे इस चीज ने अट्रैक्ट करा जी क्योंकि यह एक बड़ा शोध का विषय है कि आप जैसे यंगस्टर अगर साधना की तरफ आ रहे हैं तो उसके पीछे का असली रीजन क्या है
जी मैं बचपन में क्या मेरे घर के पास में एक मंदिर था मेरी बहन मंदिर जाती थी तो वहां दुर्गा माता का मंदिर था वो पूजा करती थी मैं नहीं करता था मैं सिर्फ दर्शन के बहाने क्योंकि छोटा था तो खेलने कूदने के बहाने चले जाता था वहां पर मैंने सबसे पहले दुर्गा द्वादश नाम माला यानी कि दुर्गा माता के 32 नाम है वो पढ़े थे तो मेरे को बहुत अच्छे लगे यानी कि वो नाम जो है वो दुर्गा माता ने स्वयं देवताओं को बताए थे कि और कोई आराधना माता ने नहीं बताई है दुर्गा माता ने सिर्फ वही चीज बताई कि मेरे 32 नामों का जो जाप करेगा मैं उसके सभी दुर्गति का नाश कर दूंगी
(05:21) मैंने वो पढ़ा फिर मैं वहां पर जाता था वो पढ़ता था और फिर मेरे पास में घर के जो अंकल आंटी रहते थे वो उनके सारे में स्कन मंदिर गया वहां पर मैंने कृष्ण की आराधना करना सीखी मैंने 2004 से लेकर के 2021 अप्रैल तक सिर्फ कृष्ण को ही बजा है यानी कि मैं उनके प्रति इतना समर्पित था कि मुझे हर जगह कृष्ण नजर आते थे स्कूल में इवन एग्जाम होती थी ना तो मैं मन हरे कृष्णा हरे कृष्णा पढ़ते पढ़ते ही एग्जाम भी देता था तो बच्चे मुझसे परेशान होते थे वह टीचर्स को कंप्लेंट करते थे कि मैम ये बस कीर्तन ही करता रहता है पढ़ता कम है हमको परेशान करता है मतलब बीच-बीच में
(05:58) बोलते रहते हो चलते फिरते यानी कि मेरे को उसी में लोग फिल्मों के गाने सुनते हैं मुझे वो पसंद नहीं था मुझे सिर्फ भगवान के कीर्तन सुनना ही अच्छा लगता है आज भी वो अच्छा लगता है ऐसा नहीं कि मैं दूसरी जगह आ गया हूं तो वो मुझे पसंद नहीं है क्योंकि उनके सहारे से मैं आया हूं तो वो तो मेरे लिए साधन ही है एक जैसे हम किसी जगह पर जाते तो हमारी गाड़ी समझाएंगे तो हम ये तो है नहीं कि हम उस जगह पहुंच गए तो हम गाड़ी को भूल जाएंगे गाड़ी तो हमको पहुंचा रही है ना इसलिए कृष्ण को तो कभी भूल ही नहीं सकते क्योंकि वो तो परम सिद्ध है कृष्ण को तो हम कोई भूल ही नहीं सकते
(06:27) बिल्कुल ही नहीं भूल सकते कोई भी नहीं भूल सकता मतलब आपको पहुंचाने वाले कृष्ण जी है वहां प आज मतलब आप जो साधना जो भी आप कर रहे हैं मतलब एज अ मेंटर समझ सकते हो कि वो मेरे गुरु बनके आए या वो मेरे गाइड किया उन्होंने मुझे इसलिए कृष्णा आए फिर 2021 में नवरात्रि का टाइम चल रहा था तो मैं कृष्ण जी का ही श्रृंगार कर रहा था उस टाइम प तो पता नहीं मैंने उस टाइम तक मैंने सिर्फ कृष्ण जी की जो सखी है ललिता देवी उन्हीं के विषय में सुना था लेकिन अचानक से मेरे मन में ललिता महा त्रिपु सुंदरी का नाम आया तब मेरे मन में जिज्ञासा कि यह है कौन देवी जिसके बारे
(07:01) में मैंने आज तक सुना नहीं है दुर्गा सप्तशती में भी इनके बारे में वर्णन नहीं है है लेकिन इस नाम से नहीं है वह किसी दूसरे स्वभाव से दूसरे गुण के आधार पर उनको दुर्गा सप्तशती में महालक्ष्मी बोला गया है इस पर भी अपन आएंगे कि महालक्ष्मी कौन है विष्णु जी की पत्नी महालक्ष्मी है या फिर कोई और महालक्ष्मी है तब मैंने इनका नेट पर भी सर्च किया तो सबसे पहले इनका ललिता सहस्त्र नाम आया तो मैंने ललिता शस्त्र नाम की बुक परचेस की उसको पढ़ा मेरे को पहली बार में बहुत अच्छा लगा दूसरे साधक जो है तो वो सभी लोग लोग कहते हैं वो भी मुझे अभी भी पता चला है कि
(07:32) ललिता सहस्त्र नाम है ललिता देवी की आराधना है उसकी पहले फल श्रुति पढ़ो उसके बाद आप ललिता सहस्त्र नाम पढ़ो तो आपको और ज्यादा आनंद आएगा लेकिन मैंने डायरेक लेता शस्त्र नाम का पाठ किया तो मेरे को उत्ते में उतना आनंद आया कि फल शती पढ़ने के लिए मेरे को तीन चार साल बाद मैंने फल शति पढी उसकी मतलब कृष्ण जी के थ्रू आप ललिता देवी तक पहुंचे अच्छा आपके घर वालों ने कभी इस पर कोई आपत्ति नहीं उठाई नहीं कभी भी नहीं किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं है पर आप और आपके जो मतलब आपके फादर फोरफादर या ग्रैंडफादर इनमें से कोई साधक थे क्या नहीं मेरी फैमिली में अभी तक तो कोई साधक
(08:08) नहीं रहा मतलब आप आपकी पीढ़ी के पहले ही हो जी और आपके फादर क्या करते थे पापा पुलिस में थे मेरे पुलिस वो साधक जी ये तो बड़ा अपोजिट डायरेक्शन वाला का हनुमान जी की आराधना करते थे इवन व सिर्फ दीपदान करते थे दिया जलाते थे अच्छा उनको बोला गया था कि आप सिर्फ दिया लगाना उसके अलावा और कुछ मत करना इसलिए वो सिर्फ दिया ही लगाते थे बस और आपकी मम्मी की साइड से कोई नहीं मम्मी की तरफ से भी कोई नहीं है वहां से भी कोई भी नहीं है आपकी मम्मी मम्मी हाउसवाइफ अच्छा हाउसवाइफ मतलब पापा पुलिस में मम्मी घर पर और सर एक टीचर भी है और साथ में साधक भी
(08:46) है जी मतलब डेस्टिनी किसी को कहां से कहां ले जाती है शायद उसको खुद को भी पता नहीं होता यह हमारे ऊपर डिपेंड नहीं करता कि हम इस जन्म में किसकी आराधना कर रहे हैं अगर हम जन्म में कृष्ण की आराधना भी कर रहे हैं लेकिन पूर्व जन्म में हम किसकी आराधना आदि छोड़ के आए थे हमारी मृत्यु किसकी आराधना करते करते छूट गई थी वो आपको इस जन्म में वहां तक पहुंचा देंगे जैसे मैंने भी देखा मेरी कुंडली के हिसाब से कि मेरी आखिर मेरे को आराधना किसकी करनी चाहिए क्योंकि मेरे को लगा कि कृष्ण की कई-कई मन में आता है जैसे कि कृष्ण जी की करी फिर
(09:20) ललिता देवी प आ गया ऐसा क्यों जब मैंने कुंडली में देखा तो कुंडली के अनुसार मेरी स्टार्टिंग में पहला नाम विष्णु का ही था हम उसका जो सबसे आखिरी नाम था वो था शशी शशी मतलब ललिता यानी कि वो अचानक से ऐसी प्लानिंग थी भगवान की कि शशी को आना ही है लाइफ में अच्छा मतलब ये भी तय भगवान ही करते हैं कि आप किसको भजो ग जी ये पूरा फ या किसम रमो ग मतलब आपके हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है जो करने वाले हैं वही करने वाले जैसे मीरा जी मीरा भाई है हा वो उस युग में गोपी थी कोई हम कृष्ण जी की आराधना करती थी आराधना नहीं करती थी उनका विवाह होके आया था तो उनकी सास ने ऐसा
(09:59) मैंने साधु संतों से सुना है कि विवाह हो के आई थी तो उनकी सास ने बोला कि कृष्ण से मिलने चलते हैं तो कृष्ण जी ने उनका मुख दर्शन करना चाहा तो उन्होंने बोला कि नहीं मैं अपना मुख नहीं दिखाऊंगी उन्होंने कृष्ण जी ने बहुत कोशिश की लेकिन उन्होंने अपना मुख नहीं दिखाया फिर कृष्ण जीने मजाक में या गुस्से में बोल दिया कि अब तुम मेरे लिए तरस होगी और तुम अपना मुख दिखाने के लिए आओगी मेरे पास अच्छा तो वो अगला जन्म मीराबाई के रूप में हुआ फिर मीरा भाई को बचपन से लेकर के युवा हो गई तब तक वो कृष्ण जी के लिए इधर उधर भागती रही फ बाद
(10:30) में अंतिम समय में कृष्ण जी उनके पास आए थे तो वो कृष्ण जी में समा गई थे यानी कि उनका पहले से डिसाइड था पहले से सब कुछ आपका पूर्व जन्म के अनुसार ही डिसाइड रहता है हम इस जन्म में सिर्फ उस जन्म के फल को भोग रहे हैं और हम इस जन्म में जो कर रहे वो अगले जन्म में भोग इसमें यह जैसा जो आपने सारे कांसेप्ट बताए इसमें साधना क्या रोल प्ले करती है किसी के भी जीवन में साधना क्या रोल प्ले करती है साधना एक प्रैक्टिस है हम साधना के बिना कुछ भी नहीं कर सकते अगर जैसे छोटा बच्चा है वो चलना सीख रहा है तो उसके लिए चलना भी एक साधना होई क्योंकि वो तो सीख रहा है
(11:04) ना अभी साधना सिर्फ एक सीखने की चीज है लेकिन एग्जाम जो होती है वो आगे जाकर उस साधना से आपको क्या फल मिला वो आपका रिजल्ट है अच्छा और तंत्र तंत्र साधना का एक अंग है क्योंकि तंत्र के बिना हम कुछ नहीं कर सकते हमारी लाइफ में तंत्र का हमारी जो बॉडी है वो भी तंत्र ही है एक हम बोल नहीं सकते चल नहीं सकते कुछ भी नहीं कर सकते तंत्र के बिना तंत्र हमारे लाइफ में आजकल तो इतना हो गया है कि अगर घर में टीवी है फ्रिज है मोबाइल है यह सब भी एक तंत्र ही है हम इसके बिना भी कुछ नहीं कर सकते तो पहले के जब प्राचीन में ऋषि मुनि थे तो वो लोग तो मंत्रों से ही तंत्र की
(11:44) रचना करते थे उनके लिए अगर उनको इस लोक से दूसरे लोग जाना है तो तंत्र को तो करना ही पड़ेगा उनको तो इन दोनों चीजों में मतलब मैं ये समझना चाह रहा हूं कि साधना और तंत्र क्रिया तंत्र क्रिया ही बोला जाता है इसको जी इन दोनों में बेसिक डिफरेंस क्या होता है जो लोगों को समझ में नहीं आता वो दो क्योंकि क्या होता है कि लोग साधना और तंत्र या तंत्र क्रिया सब ये सब एक ही चीज मानते हैं हर चीज को ये दोनों चीज अलग अलग है साधना एक कॉमन चीज है जो एक साधारण व्यक्ति भी करता है एक प्रैक्टिस है आप अगर बच्चा स्कूल में पढ़ रहा है तो उसकी प्रैक्टिस कर रहा है घर पर
(12:18) पढ़ रहा है वो एक साधना है क्योंकि वो प्रैक्टिस करेगा जभी तो एग्जाम में जाके लिख पाएगा कुछ है ना और जो तंत्र है वो उस साधना साधना के द्वारा हम तंत्र तक पहुंच सकते हैं तंत्र की प्रैक्टिस करना एक साधना वो अलग हो जाती है फिर अच्छा हां लेकिन साधना का मेन मीनिंग प्रैक्टिस है ओके तो मतलब प्रैक्टिस के थ्रू आप कुछ कर रहे हो जी या किसी चीज को पा पा रहे हो या किसी चीज को सिद्ध कर रहे हो तो वो फिर तंत्र हो जाता है वो तंत्र हो जाता है अब जो डेली लाइफ में आप कर रहे हो या आप बैठे हो या ओम का जाप कर रहे हो कुछ भी कर रहे हो तो वो एक ध्यान या साधना हो जाता व एक
(12:51) धनिक साधना है अच्छा मतलब ध्यान और साधना लगभग एक ही बात होती है लेकिन तंत्र उससे अलग तंत्र उससे अलग तंत्र उसके आगे जिसमें देवी कोई सी महाविद्या आ जाए बीच में या फिर कोई भैरव आ जाए बीच में तो वहां पर तंत्र लग जाता है अच्छा हां तो मतलब किसी का आना या लगना उसमें जरूरी है जरूरी है क्योंकि तंत्र साधना के लिए आपको किसी ना किसी देवी देवता से मिलना ही पड़ेगा चाहे वो यक्षिणी हो क्योंकि यक्षण की साधना भी तंत्र में होती है चाहे वह गंधर्व हो चाहे अप्सरा हो चाहे दशमा विद्या हो और चाहे कितने भी प्रकार के भैरव हो तो वो सब तंत्र क्रिया ही होती है
(13:30) वो साधारण लोगों के लिए नहीं है हां लेकिन आप उनके स्त्रोतों से आप उनकी आराधना कर सकते हो तंत्र पर ना जाए जैसे कोई व्यक्ति आजकल डरता है तांत्रिक चीजों से कि काली विद्या है मैली विद्या है हालांकि तंत्र काली विद्या मैली विद्या नहीं होता है लोग उसका दुरुपयोग करते हैं भगवान शिव ने जैसे वशीकरण बताया बनाया तो वो देवताओं की रक्षा के लिए देवी से मातंगी जैसे मातंग ऋषि ने ललिता महात्र पुरुष की आराधना की थी उन्होंने बोहा था कि मुझे पशु पक्षियों का वशीकरण करना कि कोई जीव जंतु किसी को हानि ना पहुंचाए राक्षस लोग कुछ ना करें
(14:03) तो इसलिए उन्होंने वशीकरण की देवी की उत्पत्ति की तो ललिता देवी की आंखों से मातंगी देवी प्रकट हुई क्योंकि वह उनके मतंग ऋषि की पुत्री कहलाई इसलिए व मातंगी वैसे उनका नाम राज श्यामला है तो व मातंगी देवी वाक सिद्धि सरस्वती ही है साक्षात पूर्ण रूप से वो तांत्रिकों की सरस्वती है वो जैसे हमारी जो जो सरस्वती है वे वीणा बजाती हैं तो जो मातंगी देवी है उनकी जो वीणा है ना वो मनुष्य की जो रीढ की हड्डी है उसकी वीणा बजी रहती है बनाई जाती है जी उनके एक हाथ में कपाल रहता है तोता रहता है तोतों को पालने वाले से वो शक्त क्रोधित रहती है हमेशा उनको तोते पालने
(14:39) वाले पसंद नहीं है क्योंकि उनका सुख जो है वो बहुत प्रिय है उनको और तोतो को कोई कष्ट दे उनको वो भी पसंद नहीं है अच्छा मतलब तोता सवारी है उनकी सवारी नहीं है फिर वो उनको प्रिय है तोता उनकी वाणी का एक कारक है क्योंकि सभी पक्षियों में सिर्फ तोता ही है जो बोल सकता है और सबको आकर्षित करता है अपनी वाणी से और कोई अपनी भाषा मनुष्य की भाषा में नहीं बोल सकता पशु पक्षियों में कोई भी केवल तोता बोलता है हा तो इस तोते के ऊपर भगवती की विशेष कृपा है कि वो सब कुछ बोल सकता है व तोता ही एक ऐसा जीव है जो द्वापर में भी राधा रानी और कृष्ण के बीच में संबंध स्थापित
(15:13) कर पाया क्योंकि तोता इधर उधर बोलता था जाके और सभी देवियों में भी को भी तोता ही प्रिय है क्योंकि तोता कामदेव का भी प्रतीक माना जाता है अच्छा जी चूंकि वो सिर्फ बोल सकता है बोल सकता है इसलिए इसलिए तोते को शास्त्र में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है मतलब इंसान को तोता बेसिकली नहीं पालना चा पालना चाहिए क्योंकि उससे मातंगी देवी क्रोधित होती है अगर मातंगी क्रोधित हो गई तो आपकी वा वाक पटता चतुराई वगैरह आकर्षण सब भी जा सकता है क्योंकि व इन सबकी देवी है तंत्र में इनका महत्वपूर्ण स्थान है यह साक्षात मूल रूप से जो हमारी वैदिक सरस्वती है उनका
(15:53) पूर्ण रूप यह है माता आप कह सकते कि इन सरस्वति को उनसे ही सब कुछ प्राप्त होता है अच्छा वेदिक सरस्वती जी को मातंगी जी से ही सब कुछ प्राप्त होता मतलब वो एक पूर्ण रूप है हां वो पूर्ण रूप है कंप्लीट कंप्लीट जी जैसे हम कृष्ण जी को बोलते हैं कि कंप्लीट अवतार थे वो जी जी क्योंकि कहीं ना कहीं राम जी या परशुराम जी या उसके पहले के जितने अवतार हैं उनको फिर भी कहीं ना कहीं छोटा या अधूरा माना जाता है क्योंकि वो किसी ना किसी चीज से बंधे हुए थे लेकिन कृष्ण जी का ऐसा कुछ भी नहीं था सही बिल्कुल सही उन्होने मतलब हर प्रकार की लीला करी आपने
(16:29) कभी राम जी को डांस करते हुए ऐसा करते हुए नहीं सुना होगा बिल्कुल नहीं लेकिन कृष्ण जी ने हर वो चीज करी क्योंकि वो कंप्लीट गॉड थे जी बिल्कुल ऐसा ही है लोगों को सही में बहुत सारी चीजें पता ही नहीं है वशीकरण पे थे ना तो भगवान ने बोला था कि कोई आपकी फैमिली का मेंबर है जो गलत काम कर रहा है तो आप उसको रोकने के लिए वशीकरण का प्रयोग कर सकते हो लेकिन व्यक्ति क्या आजकल किसी भी अपने प्रेम को पाने के लिए वशीकरण कर रहा है आपका उसके शरीर पर क्या अधिकार है जो आप उसको पाना चाहते हो अगर आपको मिलना ही होता किस्मत में लिखा होता
(16:59) तो भगवान पहले से लिख के भेजते अच्छा मतलब ये जो अ इसको ऐसे समझ सकते हैं अपन नॉर्मली कि गलत वे में जो उसका यूज कर रहे हैं तो उसके कारण यह ज्यादा बदनाम हुआ जी यही यही कारण है बस और बदनाम करने वालों की संख्या ज्यादा थी गलत काम करने वालों की संख्या ज्यादा थीदा जी मतलब जो अगर अच्छा तंत्र भी कर रहा है अच्छी चीज के लिए भी कर रहा है तो लोग उसको एक नेगेटिव पर्सपेक्टिव से देखते है कि यार ये तो बकुल बिल्कुल यही करता है या ये तांत्रिक है तो इससे तो दूर ही रहना चाहिए मतलब उसका एक सामाजिक बहिष्कार जैसा हो जाता सही है मैं खुद मेरा बताता हूं मेरे जो
(17:36) दोस्त लोग हैं मैं जैसे दुर्घ का पाठ करता हूं तो मुझे रात को करना पसंद है यानी कि मेरे को जब नहीं पता था कि रात में इनकी आराधना की जाती है लेकिन मुझे रात को करना ही पसंद है यानी कि मैं को दोपहर रात की दो ढाई बजे तक आराम से मैं जाग सकता हूं अभी भी तो मेरे दोस्त लोग को और फिर मुझे सुबह टाइम भी नहीं मिलता था स्कूल जाना कॉलेज जाना तो दोस्त लोग को पता ला कि मैं रात को राना करता वो लोग खुद मुझे तांत्रिक बोलते थे यानी कि दूसरी जगह मुझे भी भी गलत बोला जाता था कि इससे बात मत करना कई लोगों ने तो ये तक बोला है कि मेरा एक फ्रेंड था कॉमन फ्रेंड तो
(18:07) उन्होंने एक ने बोला कि इसने तेरे मम्मी पापा को मरवाया है कोरोना में दोनों की डेथ हो गई थी अच्छा तो इसने बोला कि इसने ही मरवाया है मैंने कहा कि मेरे पास इतना सब कुछ है कि मैं किसी को मरवा भी दूंगा इतना सामर्थ्य है और अगर दुर्गा सप्तती पढ़ने वाला व्यक्ति माना कि हां वह हर काम को एक मिनट में कर सकती है लेकिन अगर वो व्यक्ति जान जाए कि दुर्गा सप्तशती है क्या हम वो किसी को ना मारेगा ना वशीकरण करेगा ना मोहन करेगा क्योंकि उनको इस सब चीज की जरूरत ही नहीं पड़ेगी पहली बात तो अगर वो व्यक्ति ज्ञानी होगा तो तो ऐसे में जैसे जो नेगेटिव काम करते हैं इसमें तंत्र
(18:40) में जी जो गलत काम करते हैं या उसका गलत चीजों में इस्तेमाल करते तो उनकी लाइफ प भी तो उसका इंपैक्ट पड़ता होगा नेगेटिव बिल्कुल उनका मोक्ष रुक जाता है वो इस जन् में मोक्ष प्राप्ति नहीं कर सकते तो मतलब फिर वो क्या प्रेत योनि में चले जाते हैं या कुछ वो प्रेत में चले जाते हैं उनको इस जन्म में मोक्ष की गति मिलेगी ही नहीं फिर उनका अगला जन्म वापस लेना ही पड़ेगा अगर उन्होने सब किया है तो तो यह गति तो निरंतर चलती होगी क्योंकि अगर इस प्रकार का नेगेटिव काम करोगे तो मेरे ख्याल से आपका मोक्ष तो कई जन्मों तक संभव नहीं है इसलिए तो कहते हैं कि हमको तो हजारों हजार
(19:14) जन्म लग जाते हैं मोक्ष की प्राप्ति करने में हमको भी नहीं पता कि मोक्ष मिलेगा कि नहीं मिलेगा पर जैसे योगेश सर मैं समझना चाह रहा हूं जैसे मान लीजिए कि आज कोई प्रेत योनि में चला गया तो फिर वह अगला जन्म कैसे ले पाएगा क्योंकि वो तो उस योनि में फस गया और फिर साधक तो ऐसे प्रेतों को पकड़ ही लेते हैं हां वो उनसे फिर जबरदस्ती काम भी करवाते हैं प्रेतों से जैसे आपने देखा होगा शमशान वगैरह पर तांत्रिक बोलते कि हम ये करवा देंगे वो करवा देंगे तो वो उनकी आत्माओ को प्रेतों को अपने मुट्ठी में रख के यानी की कवर करके वह फिर काम करवाते कि हमको इसके घर
(19:49) में क्या करवाना है उसके घर में क्या करवाना है अगर आपको प्र प्रेत मुक्ति के भी बहुत सारी चीजें शास्त्रों में बताई गई है लेकिन कलयुग में थोड़ा कठिन माना जाता है क्योंकि हम भी इतने शुद्ध नहीं है और आजकल ब्राह्मण भी इतने शुद्ध नहीं है कि वह हर चीज कर सके पहले तो यह भी थे कि यज्ञों में भी बलि दी जाती थी लेकिन उसका एक काम था बलि का कुछ कारण था कोई भी काम किसी कारण के बिना नहीं होता भगवान को भी आना है तो उसके लिए भगवान मौका देखते हैं कि मैं क्यों आऊ कारण तो बताओ क्योंकि वह इतने फ्री तो है नहीं कि वह बिल्कुल ही आ जाएंगे और इतना सामर्थ्य है हमारे में कि
(20:21) हम उनको देख सकते हैं फिर उनका सामना कर सके तो जो प्रेत लोग रहते हैं ना इनकी मुक्ति हम अलग-अलग चीजों से कर सकते हैं जैसे श्रीमद् भागवत का अग पूर्ण निष्ठा के साथ पाठ किया जाए तो जो 18000 श्लोक है वो पूरे किया जाए लेकिन उसका भी कलयुग में प्रावधान है कि वो सतयुग के नियम के अनुसार भगवान ने रूल बनाया है कि एक बार पाठ करने पर मिल जाएगा लेकिन कलयुग में उसके पाठ चार बार करने पड़ेंगे आपको तब जाकर वह होता है जैसे कोई ग्रह नक्षत्र है उनके जैसे 18000 मंत्र जाप करने पर वो सिद्ध हो जाता है मंत्र लेकिन कलयुग में उसका आपको चार गुना करना पड़ेगा वो जो
(20:59) नियम है वह नियम तो सही है लेकिन वह सतयुग के हिसाब से है आपको कलयुग में उसका चार गुना करना पड़ेगा तो जाके वो सिद्ध होगा वो वाला 18000 वाला फल प्रदान करेगा भगवान शंकर एक बार रावण ने प्रश्न किया था शंकर जी से कि अगर कोई व्यक्ति को खुद के लिए ही किया था उसने कि अगर मैं जाप कर रहा हूं मुझे सिद्धि नहीं मिल रही है तो क्या करना चाहिए छोड़ देना चाहिए तो शंकर जी ने कहा एक बार नहीं मिलेगी दो बार नहीं मिलेगी तीसरी बार नहीं मिलेगी चौथी बार में मिलेगी ही मिलेगी उसको करते रहो करते रहो करते रहो जैसे एक मामूली स रस्सी कुए के ऊपर अपन जो बाउंड्री ती है उसके ऊपर
(21:35) करते हैं एक बार तो वह दरार नहीं पड़ेगी उसमें लेकिन एक साल दो साल में तो वो कुए की जो दीवाल रहती है वो भी रस्सी से टल जबकि रस्सी में क्या इतना दम है कि वो पत्थर को काट सके नहीं वह सिर्फ उसकी प्रैक्टिस है यह भी साधना है मतलब कुछ भी हम करें निरंतर करें मन लगा के करें तो वो साधना में परिवर्तित होगा हो जाती है हम चाहे हम कुछ भी करें इसकी एक और बताता हूं एक बगलामुखी साधक था हालांकि वो बगलामुखी साधक नहीं था वो बचपन सेही उसने एक मंत्र कहीं से पढ़ लिया था तो वो खेल खेल में उस मंत्र को पढ़ता था जपता था लेकिन उसको नहीं पता था कि
(22:14) बगलामुखी देवी का मंत्र है हम ये ज्यादा साल इसी अपने 100 150 साल के अंदर की बात है हम तो वो बचपन से उस मंत्र को पढ़ता था उसको नहीं पता कि वो मंत्र कब सिद्ध हो गया हम तो जब वो बगलामुखी देवी का काम क्या स्तंभन यानी कि रोकना मेन जो काम है बगलामुखी देवी का रोकना तो शत्रु को या फिर मेरे भक्त को जो हानि पहुंचा उसको मैं वहीं पर रोक दूं उसकी बुद्धि भ्रमित कर दूं कि व मेरे भक्त के पास आ ही ना पाए उसकी बुद्धि भी मेरे भक्त तक ना पहुंचे वो तो बहुत दूर की बात है तो जब व मंत्र जपता था वह चलते फिरते कॉलेज जाते टाइम पे या फिर कभी भी मंत्र जाप
(22:48) करता था वो है ना तो जैसे पानी गिरता था ना तो अपन नहीं जैसे बोलते है भगवान पानी बंद कर दे पानी बंद कर दे मैं चले जाऊं वो उन देवी को याद करने लगा तो उस टाइम पे वो पानी बंद हो जाता था तुरंत हम तो अब उसने एक बार किया दो बार किया कई बार करने लगा उसकी आदत पड़ गई कि मैं तो गीले ही नहीं हो सकता आसपास वाले गीले हो रहे लेकिन वो गीला नहीं हो रहा है हम तब देवी ने उसको स्वप्ने में कहा कि तुम मुझे बार-बार बुलाते हो मैं कोई साधारण देवी नहीं हूं मुझे विष्णु जी ने बुलाया था अपने विशेष कार्य करने के लिए मैं किसी ऐसे वैसे व्यक्ति के बुलाने पर नहीं आती हूं हम
(23:19) तुमने मेरा निष्काम भाव से बिना स्वार्थ के जाप किया इसलिए मैं तुमसे प्रसन्न हूं इसलिए तुम कोशिश करो कि मुझे ना बुलाओ लेकिन हां जब तुम पर संकट आएगा तो मैं स्वत तुम्हारे सा संकट को हर लूंगी तुमको बुलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी फिर उसने शमा मांगी और बोला कि अब मैं आपको बुलाऊंगा नहीं लेकिन प्रेम से आपकी भक्ति करूंगा यानी कि यह भी उसकी साधना थी जो उसने नहीं साधा लेकिन फिर भी सध गया मतलब वो नॉर्मल डेज में जैसे आम दिनों में बोलते रहते थे बोलते रहते थे वो एक समय बाद वो सिद्ध हो गया हो बिल्कुल यही अच्छा बगलामुखी मंत्र तो यूं ही बहुत पावरफुल है
(23:51) पावरफुल होता है बहुत पावरफुल होता है लोग यही पास में नलखेड़ा है वहां पर बगुला मुख की माता मंदिर है वहां पर कितने लोग आते हैं और ये शत्रु नाश वाली वो जो पूजा होती है वहां पे श जी मतलब भीड़ लगती है वहा हां क्योंकि वो ना आपके बारे में कोई व्यक्ति आपका शत्रु है आपको नहीं पता ज्ञात है अज्ञात है हमको नहीं पता हमारा शत्रु कौन है तो वो देवी उस व्यक्ति की जीवा को कलित कर देगी मतलब रोक देगी वो आपके बारे में बोल ही नहीं पाएगा कुछ आपके बारे में गलत बोल ही नहीं पाएगा उसकी बुद्धि भ्रमित कर देगी अच्छा ये बगुलामुखी माता भी ये जो एक 10 महाविद्या है जी उन्हीं
(24:27) में से शायद एक है उ में से एक अच्छा ये होती क्या है ये विद्या क्या होती है क्या क्या है सार विद्या है कला वास्तविक रूप से व एक कला है लेकिन इन कलाओं का एक स्वरूप माना गया है गुण और कर्म के आधार पर हमारे जो नाम हमारे माता-पिता रखते हैं वह तो ऐसी कुंडली में पहला अक्षर आ है उसके अनुसार रख देते हैं जैसे कृष्ण जी का नाम है कृष्ण जी का नाम क्यों रखा गया क्योंकि व आकर्षित कर सकते हैं सबको और उनका वर्ण भी कृष्ण था वो ना पूर्ण रूप से काले थे ना पूर्ण से सफेद थे उनका जो वर्ण था वो मेघन श्याम था मतलब जो बरसात के टाइम पर जो बादल आते हैं ना उमड़ हैं काले
(25:05) ना वो काले घने रहते हैं और ना वो सफेद ही रहते हैं वो कलर उनका था इसलिए उनका नाम कृष्ण और श्याम रखा गया था अच्छा तो वो उनके गुण और कर्म के अनुसार रखा गया था तो हमारे जो नाम है वह हमारे सिर्फ कुंडली में पहला अक्षर आ है उसके अनुसार है लेकिन भगवान के जो नाम है वोह उनके गुणों के आधार पर है जो भी उनके नाम रहते हैं जैसे काली है काली को कहा गया दुर्गा सप्तश्री में कि वो इतनी काली है कि व अंधेरे में आप उनको देख सकते लेकिन फिर भी उनका ध्यान किया जाता है कि उनका प्रकाश इतना है कि करोड़ों सूर्य उनके सामने कुछ नहीं लगते यानी कि उस काले घेरे से भी
(25:41) इतना प्रकाश निकल रहा है कि सूर्य भी उनके सामने कुछ नहीं लगते लग सकते लेकिन फिर भी वो काली है प्रकाशमान होते हुए भी वो काली काली है उनके मुख में ऐसा कहते कि जो दांत है वो इतने सुंदर मोतियों की तरह चमकते हैं यानी कि नासिका वगैरह नहीं दिख रही है क्योंकि काली है लेकिन दांत उनके बहुत सुंदर चमक रहे हैं यानी कि वो इतनी भयानक लगती हैं उनका शरीर ऐसा बोला अनेक गीदड़ हों के समान उनका शरीर है जो बिल्कुल यानी कि मास मास है ही नहीं शरीर में सिर्फ हड्डी का नाचा है लेकिन फिर भी वो सुंदर है लेकिन आजकल की उक्ति को अपन देख लेंगे तो वो चाहे मोटी हो या पतली हो
(26:17) व्यक्ति उनकी तरफ आकर्षित होगा है ना लेकिन वो गीदड़ हों के समान है गीदड़ मतलब कैसा बिल्कुल हड्डी के ढांचा दिख रहा है बिल्कुल है ना स्तर उनके लटके हुए हैं ऐसा उनका वर्णन आया है प्रॉपर है ना लेकिन फिर भी वो अ सुंदर हैं उनसे सुंदर कोई नहीं है ऐसा बोला गया है दुर्गा सप्तशती में क्योंकि उनका माता के प्रति भाव इतना रहता है भक्तों का कि उनकी माता कैसी भी हो जैसे एक माता के लिए उसका पुत्र कैसा भी हो चाहे काणा हो चाहे काला हो चाहे पीला हो लेकिन फिर वो उसके लिए राजकुमार है वैसे ही एक संतान के लिए उसकी माता कैसी भी हो काली हो गोरी हो सुंदर हो नहीं हो
(26:49) फिर भी वह अनेक सूर्य के समान प्रकाश फैलाने वाली सुंदर है वह मतलब उनको बिल्कुल एक मां की तरह ही वर्णित किया गया है उसमें कि व काली माता बहुत भयावह है उनसे शंकर जी भी डरते हैं इसीलिए हां उनसे शंकर जी भी डरते हैं इसलिए देवता लोग उनसे थोड़ा वही करते हैं कि ये करुणा की मूर्ति रहे तो ज्यादा अच्छा क्योंकि उनके क्रोध को शांत करने में से फिर शंकर जी भी संकोच कर जाते हैं कभी कबार उनको भी अलग-अलग अवतार लेना पड़ते हैं कि इनके क्रोध को कैसे शांत किया जाए मतलब वो इतनी असीमित शक्ति है कि उनको शंकर जी भी कंट्रोल नहीं कर पाते कर
(27:21) पाते वाह पर इनको तो जैसा आप बता रहे हो कि इनको इस प्रकार से वर्णित किया गया है इसमें पर लोग इनको एक नेगेटिव एंटिटी क्यों मानते हैं फिर क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने वाली है इसलिए लेकिन यह जल्दी प्रसन्न भी होती है लेकिन उतनी ही जल्दी क्रोधित भी होती हैं इनके जो दूसरे स्वरूप है आप उनकी आराधना कर सकते हो जैसे कोलकाता की दक्षिणा काली है वो बहुत स्वम्य स्वरूप में है आप उनकी आराधना करो आपको कोई हानि की नहीं होगी आप उनकी आराधना कर सकते हो आपके ऊपर जो हानि आने वाली होगी जो घटना घटने वाली होगी वो खुदर लेंगे लेकिन आप महाकाली की आराधना करोगे
(28:00) भद्रकाली की आराधना करोगे तो आपसे अगर छोटी सी गलती हो गई तो उसके लिए आपको सजा मिलेगी मतलब वहां कोई एक्सेप्शन नहीं है कि तुम गलती से भी हुई हो तो भी कोई मतलब नहीं है या तो बिल्कुल परफेक्ट करो या फिर मत करो या तो मेरे हिसाब से तो करो ही मत फिर अगर नहीं कर सकते परफेक्शन के साथ वैसे अपन जैसे दक्षिणेश्वर में देख सकते हैं कि रामकृष्ण परमहंस जी थे वो उन्होंने उनकी कोई साधना नहीं की उन्होंने सिर्फ उनको मां माना था वो अपनी पत्नी और भी काली माता को ही देखते थे अच्छा हां तो जब वो शयन करते थे ना तो उनके घर के बाहर काली माता प्रहरा देती थी कि मेरे बेटे के
(28:39) ऊपर कोई कुछ करने ना आए जबकि उनको कैंसर था रामकृष्ण परमहंस को तो जो विवेकानंद जी थे उन्होंने बोता ता कि आप तो कुछ भी करवा सकते हो तो आप अपना कैंसर क्यों नहीं दूर करवाते हो तो उन्होंने कहा कि इतनी छोटी चीज के लिए मैं उन परमेश्वर को परेशान करूंगा हम ये तो मेरे कर्मों का फल है ना तो वो तो मुझे भोगना पड़ेगा मैं उनको क्यों परेशान करूं तो इसलिए वो उन्होंने काली माता से कभी कुछ मांगा ही नहीं बस ये मांगा कि मैं हर वक्त तेरा ध्यान करूं तू ही मेरे लिए कृष्ण है तू ही मेरे लिए काली है वो हमेशा क्योंकि बंगाल में कृष्ण की
(29:08) पूजा भी उतनी होती है जितनी काली माता की पूजा होती है कृष्ण ही काली है काली ही कृष्ण है दोनों का बीज मंत्र भी एक है क्लीम क्लीम पर नॉर्मली तो मतलब ऐसे आम भाषा में तो यही सुनने में आता है कि भाई बंगाल यानी जादू यानी काली मां हां वो सिर्फ तारा देवी के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि भारत में जितने भी शक्तिपीठ है ना सबसे ज्यादा शक्तिपीठ बंगाल में है अच्छा हा और जागृत भी है क्योंकि देवियों की जो आराधना मुख्य रूप से होनी चाहिए मदिरा से मास मच्छी से व सिर्फ बंगाल में ही होती है पूर्ण रूप से हम सब नहीं कर पाते वह लोग क्योंकि मास मच्छी खाने वाला
(29:49) व्यक्ति देवी के किसी भी रूप की पूजा कर सकता है हम लोग नहीं कर सकते तो यह तो मतलब फिर इसमें तो ऐसा होगा ना योगेश सर की जैसे हर शक्ति पीठ जो है मतलब इते सार हैं पर हर किसी पर तो जरूरी नहीं कि वही वाली पूजा की जाए हो सकता है कुछ पर्टिकुलर ही ऐसे हो और वो बंगाल में ही हो बंगाल में ही है जैसे अब अपने यहां पे हरसिद्धि माता है जी यहां पे तो कभी भी इस चीज ऐसी चीज नहीं है यहां पे कर भी नहीं सकते ये वैष्णवी रूप में है अच्छा ये अपनी जो हरसिद्धि माता है वो वैष्णवी रूप में है और जैसे कामाख्या है कामाख्या तो फिर शक्तियों का मूल केंद्र है वहां पे भी
(30:26) मदिरा मास मच्छी सबसे सेवा होती है देवी की अब अपने यहां गढ़कालिका मंगल चंडिका है तो मंगल चंडिका अपने य गढ़कालिका है तो उनकी मदिरा से पूजा होती है क्योंकि देवी की आराधना में मदिरा का विशेष महत्व है लेकिन आजकल मदिरा ब्रांडेड मिलने लगी है वैसी नहीं वेदों में मदिरा बनाने का भी प्रावधान है कि कौन सी मदिरा बनेगी कैसे बनेगी गुड़ से बनती है अंगूर के रस से बनती है गन्ने के रस से बनती है उस मदिरा को देवी को भोग लगाया जाता है अच्छा वो आयुर्वेदिक टाइप की जो उस समय बनती होंगी जी अब ये नहीं कि आजकल कोई सी मदिरा सालों साल परानी बोतल में रखी रहती है वो पिला
(31:02) देते हैं वो गलत है वो तो आजकल जैसे काल भरो प भी जाते हैं तो महंगी से महंगी दारू खरीद के ले जाते हैं और चढ़ाते हैं फिर फिर खुदा आ के पी लेते हैं जबकि काल भैरव को आराधना अर्पित तब की जाती है जब हम उस चीज को ग्रहण नहीं करना चाहते हैं अगर आप पी रहे हो तो आपके लिए दोष है पाप है क्योंकि आपको काल भैरव का प्रसाद ग्रहण करना ही नहीं चाहिए ब्राह्मण को को तो देवी महात्म में देवी ने बताया है कि ब्राह्मण को कभी भी मास मच्छी मधि इन सब से मेरी आराधना करने का वेदों में प्रावधान है ही नहीं इसलिए वो सिर्फ मेरा पाठ करें मैं उनसे उतनी ही प्रसन्न हूंगी
(31:34) जितनी साल भर पूजा करने से होती हूं सिर्फ मेरे पाठ के नाम से ही प्रसन्नता मिल जाती है मुझे अच्छा योगेश सर मैंने बहुत सारे जगह पढ़ा भी है मैंने सुना भी है क्योंकि मेरी वाइफ भी एक स्पिरिचुअल गुरु है जी मैंने उनसे भी उसके बारे में जानकारी ली थी और मैंने कई पॉडकास्ट भी देखे हैं इस बारे में कि ये विद्या होती हैं 10 महाविद्या होती है 36 महाविद्या होती है तो थोड़ा सा इस बारे में मुझे बताओ कि यह क्या होती क्या बेसिक काम क्या है इनका यह क्यों की जाती है और इनको करने वाले लोग कौन होते हैं