फंगस ने बढ़ाई किसानों की मुश्किल
धार, (आशीष यादव) अग्निपथ। इस बार किसानों ने महंगे भाव की लहसुन लगाकर खेतों में बोया था। अब जब कुछ महीनों में फसल पककर आने वाली है। क्षेत्र में लहसुन की फसल में रोग लगना शुरू हो गया है। इसके चलते किसानों के सिर पर फिर से चिंता के बादल मंडरा रहे हैं। वर्तमान ठंड के साथ में तापमान की अधिकता के कारण लहसुन की फसल में पीलेपन होने व जड़ व तने में फफूंद लगने से किसानों की परेशानी बढ़ रही है।
रोग निदान के लिए किसानों ने दवाई की दुकानों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए है। लहसुन में विप्स व फंगस से डर लगने लगा है। वही बारिश पर्याप्त होने के चलते इसबार किसानों ने इस साल लहसुन के भाव अधिक होने के कारण इस साल भी किसानों ने अधिक लहसुन की फसल बोई की है। वही लगातार मौसम प्रिव5 से फसल बीमारियों की चपेट में आने लगी है।
फसल पर तीन से चार बार दवाई का छिडक़ाव कर दिया है फिर भी बीमारी खत्म नहीं हो रही है। इस महेगा बीज खरीदी कि हे जिसके कारण किसान पहले ही परेशान है और ऊपर से फसलों पर बीमारी का प्रकोप बढऩे लगा है। कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि अभी मौसम में बदलाव हुआ है इससे भी फसलों पर बीमारियों का खतरा मंडराने लगा है और 2 से 3 दिन पहले ही अधिक ठंड भी गिरा है इससे भी फसलों को नुकसान हुआ है।
30 से 40 हजार खर्च लगता है
ग्रामीणों किसान बताते है कि जिन किसानों के पास घर का बीज है उन्हेंने 30 से 40 हजार बीघा का खर्चा लगता है। इस बार बारिश अच्छी होने से किसानों का रुझान भी लहसुन की ओर ज्यादा था। इसलिए किसानों ने महंगे भाव में लहसुन खरीदी की वह अपने खेतों में लगाइए वह लहसुन के भाव अधिक होने से किसने किसान चिंतित है वही मौसम के बदलाव से फसलो पर फर्क पड़ा। वही
ठंडा गर्म मौसम होने से लहसून के पत्ते भी सूख की बीमारी देखने को मिल रही है। और फसल में पीलापन आ रहा है वही किसानों ने बताया कि यह लहसुन का बिना भी नही मिलता है जिसे हम किसानों को राहत मिल सके। जो खर्च लगा है उससे निजात मिल सके।
कच्ची खाद भी सड़ा रही है
लहसुन में कई बार कच्ची खाद जड़ों का सड़ाने लगती है। वहां कीड़े पड़ जाते हैं इससे फसल पीली पडऩे लगती है। वहीं दूसरी और सर्दी पडऩे पर पत्तियों पर सिल्वर जैसा कीड़ा लग जाता है। सर्दी के दिनों में इन कीड़ों को प्रिय भोजन है यह खास कर लहसुन और प्याज की फसलों में लगता है इसे बैंगनी दोष रोग होता है इससे बचाव के लिए क्लोरोफिट दवा का छिडक़ाव करना होता है।
कार्बनडॉजिन प्लस मॉनाटोजेफका दो छिडक़ाव करना है। कीटनाशक का दो बार छिडक़ाव करना है। एक बार छिडक़ाव के बाद करीब 8 से दिन बाद फसल के पत्ते पर छिडक़ाव करें उसके पहले फसल पर चिपको पदार्थ डालना चाहिए जिससे कीटनाशक पत्तों पर ठहर सके।
इस बार बोवनी में जल्दबाजी
जल्दी बोवनी करने के साथ ही बीच मौसम परिवर्तिन के चलते फसल में पीलापन आ गया है। यह डाउनी मिल्डयू और व्हाइट रॉड जड़ की बीमारी का मिक्स होना है। पीलापन सल्फर की कमी से है। जो फसल 2 महीने की या उसे अधिक की ह्यो गई है तो अमोनियम सल्फेट का भुरकाव करें और 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल मिलाकर स्प्रे करें। दोनों का उपयोग एक साथ न करें।
बम्पर हुई बुवाई
इन दिनों लहसुन की फसल में पीलापन दिखाई दे रहा है। क्षेत्र के अधिकांश खेतों में लहसुन की बम्पर बुवाई हुई। किसानों का कहना हैं कि महंगे दामों पर बीज खरीद कर बुवाई की है लेकिन लगातार गर्मी व ठंड के कारण फसल की पैदावारी पर भी असर पड़ रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि लहसून की फसल में तापमान व सिंचाई कम ज्यादा के कारण जड़ों में फफूंद लगने व वाईट फ्लाई के कारण पीलापन आ रहा है। इसके लिए दवा छिडक़ाव की सलाह दे रहे हैं।
-रतनलाल यादव अनारद किसान
तापमान ज्यादा प्रभावित
तापमान ठंडा गर्म होने से भी क्षेत्र में इस बार अधिक लहसुन की बुवाई हुई है दिसंबर में भी तापक्रम उच्च स्तर पर रहने से थ्रीप कीट रोग लग रहा है। रोग से बचाव के लिए सिस्टेमिक कीटनाशक व फंजीसाइट का छिडक़ाव कर रहे हैं फिर भी फसलों से बीमारी जाने का नाम नहीं ले रही है ले रही ले।
-देवकरण परमार सकतली किसान
- यह रहा लहसुन रकबा
- वर्ष 2021.22 में 16382.00 हैक्टर
- वर्ष 2022.23 मै 12465.00 हैक्टर
- वर्ष 2023.24 में 12502.00 हैक्टर