मंदिर प्रशासन का दावा-रखरखाव के लिए उतारा था, पूजन के बाद पुन: लगाया
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर लगा स्वर्ण मंडित ध्वज पुरातन होने के कारण संधारण के अंतर्गत वैदिक विधान से सुदृढ कर पुर्नस्थापित किया गया।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा श्री महाकालेश्वर मंदिर के शिखर का स्वर्ण मंडित ध्वज विधि पूर्वक उतारा गया था। जिसे उप प्रशासक श्रीमती सिम्मी यादव के मार्गदर्शन में संधारण उपरांत नव श्रृॅगारित कर पुन: यथा स्थान पर विधि विधान से पूजन के उपरांत पुर्नस्थापित किया गया। ध्वज पूजन सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल एवं प्रतीक द्विवेदी द्वारा किया गया।
इस कार्य को सुव्यवस्थित व सुचारू रूप से करने हेतु ऊॅंकारेश्वर मंदिर की छत से मुख्य शिखर पर पहुॅंचने के लिए मचान लगाया गया तथा कुशल कारीगरों द्वारा सभी सुरक्षा मापदण्डों का उपयोग करते हुए तॉंबे व पीतल से निर्मित 12 किलो ग्राम वजनी स्वर्ण मंडित ध्वज को पुर्नस्थापित किया गया।
मंदिर में शिखर दर्शन का विशेष महत्व
सनातन धर्म में मंदिरों में धर्म ध्वजा स्थापित करने का पौराणिक-साहित्यिक इतिहास हमारे धर्म ग्रंथों में जगह-जगह उपलब्ध होता है। महाराज विक्रमादित्य एवं कालिदास के काल में मंदिर की धर्मध्वजा का दूर से ही दिखाई देने का उल्लेख प्राप्त है। स्कन्द पुराण आदि में विभिन्न आंकृतियों के ध्वज का वर्णन प्राप्त होता है। श्म
हाकालेश्वर मंदिर की मान्यता है कि, यदि श्री महाकालेश्वर भगवान का दर्शन नहीं हो पाया तो शिखर दर्शन से ही सभी पापों का नाश होता है ‘‘ शिखर दर्शनम पाप नाशनम्।’’
हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्ले व आशीष कुमार ने किये महाकाल दर्शन, भस्मारती में शामिल
उज्जैन, अग्निपथ। भारतीय फील्ड हॉकी खिलाडी पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार व मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित धनराज पिल्लै व अर्जुन पुरस्कार व एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित आशीष कुमार बल्लाल फील्ड (हॉकी के पूर्व भारतीय गोलकीपर) महाकालेश्वर भगवान की प्रात: होने वाली भस्मार्ती में सम्मिलित हुए ।
भस्मारती उपरांत पूजन विजय पुजारी द्वारा सम्पन्न करवाया गया । महाकालेश्वर मंदिर प्रबन्ध समिति की ओर से सहायक प्रशासक शिवकांत पांडेय द्वारा पिल्लै और श्री बल्लाल का स्वागत व सम्मान किया गया। भस्मार्ती के दर्शन के दौरान आशीष बल्लाल का स्वास्थ्य खराब हो गया। जिस पर तुरंत मंदिर प्रबंध समिति की मेडिकल टीम द्वारा उनका उपचार किया गया और वे पुन: भस्मार्ती में सम्मिलित हो सके। श्री आशीष बल्लाल द्वारा श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।