वादों के बाद और बढ़ती गई जंगल कटाई
धार, (आशीष यादव) अग्निपथ। हर बार विश्व पर्यावरण दिवस पर नेता व अधिकारी और जिम्मेदार पर्यावरण व पेड़ बचाने की बात करते हैं मगर जमीन स्तर पर इसका कुछ प्रभाव नहीं दिखता है। बस पर्यावरण दिवस पर ही जिम्मेदारों को पर्यावरण के लिए पेड़ पौधों की याद आती है। बाद में पर्यावरण के बारे में भूल जाते है। आज पर्यावरण व पौधारोपण एक फैशन शो की तरह हो गया।
आज जिले में कहीं एनजीओ ऐसे हैं जो पर्यावरण व पौधारोपण रोपण के नाम पर अपनी दुकानदारी चला रहे हैं मगर आज तक उनके द्वारा कोई ऐसा काम नहीं किया गया है जिनकी तारीफ की जाए। वही इस साल तकरीबन हर महीने बारिश हुई। आज पर्यावरण और जल को लगातार हो रहे नुकसान की सबसे बड़ी बात यह है कि जिले के एक लाख 13 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र है। हरियाली से आच्छादित रहने वाली सतपुड़ा की पहाडिय़ां अब तपती चट्टानों के साथ गर्म हवा से पूरे जिले को तपा रही है। वहीं वन क्षेत्रों से पेड़ पौधे कम होते जा रहे है। वही इस बार तापमान 44 डिग्री तक जा पहुचा है। इसबार लोगो की किस्मत अच्छी रही थी तो लगातार बारिश में मौसम ठंडा रखा और गर्मी का एहसास नहीं होने दिया।
राजस्व की भूमि पर ज्यादा नुकसान
अगर अतिक्रमण की बात की जाए तो सबसे ज्यादा तो राजस्व की जमीनों पर लोगो द्वारा पेड़ काटकर उनको समतल कर दिया है जिसे वनों की कटाई हर रोज की जा रही है। वही निचली स्तर के कर्मचारियों की मिलीभगत से राजस्व भूमि का नुकसान होता है। वही भूमि से पेड़ काटने के बाद लोगो द्वारा जमीन पर कब्जा करके उसमें मकान या खेती करना शुरू कर देते वही जिम्मेदार अधिकारी एसडीएम, तहसीलदार, आरआई, पटवारी, पचायतकर्मी व अन्य सम्बंधित विभाग इसमें ध्यान देकर राजस्व भुमि पर कोई ध्यान नही देते अगर समय रहते इसपर ध्यान दिया जाए तो जमीन से राजस्व भूमि पर कब्जा होने से जंगल बच जाएगा वही जंगली जानवर के हम्मले भी कम हो जाएंगे।
नया जंगल बसाना दूर जो बचा है उसे ही बचा ले
एक और सरकार पेड़ पौधे व पर्यावरण बचाने की बात करते है। बैठकों वह वीसी के माध्यम से कहीं आदेश निकलते हैं वह आदेश जिला मुख्यालय पर आते-आते चार दिन में ही खत्म हो जाता है उसके बाद उन आदेशों को फाइलों में तब्दील कर रख दिया जाता है। ओर उसके बजट का श्री खण्ड खा लिया जाता है। ओर ना ही उसका कड़ाई से पालन किया जाता है। वहीं पिछले दिनों प्रदेश सरकार के नए मुख्यमंत्री व वन मंत्री ने निर्देश दिए थे कि पर्यावरण को लेकर प्रदेश के जिलों में कार्य होना चाहिए मगर ऐसा कोई कार्य आज तक नही किया जिसकी बखान जिले की जनता कर सके।
आज नया जंगल लगाना तो दूर, वन विभाग और प्रशासन के सामने बचा-खुचा 1 लाख 13 हजार हेक्टेयर जंगल बचाना भी सबसे बड़ी चुनौती है। हालात यह हैं कि प्रशासन और वन विभाग सिर्फ जंगल की जमीन बचा पा रहा है, कट रहा जंगल नहीं। यही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब जिले में हरियाले जंगलों की जगह तपते मैदान ही नजर आएंगे। जिला आदिवासी बाहुल्य है। इसमें सबसे शर्मसार करने वाली बात तो यह है कि हर चुनाव के दौरान नेता पट्टे देने का झूठा वादा करते हैं। इसके बाद कुल्हाड़ी की धार और तेज हो जाती है ओर धार जिले के जंगल खत्म होते जाते है। दिनों दिन जंगल कटाई भी बढ़ जाती है।
पट्टों के लालच में जंगल काटना आम बात
जहां एक और पेड़ पौधे लगाना तो दूर की बात वही पट्टो के लालच में आज भी कहीं लोग जंगल काटते वही 2018 के चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की 2006 के पहले वन क्षेत्र में बसे लोगों को पट्टे देने की घोषणा के बाद अतिक्रमणकारियों के हौंसले इस कदर बढ़ गए कि जिले में हजार हेक्टेयर जंगल और काट दिया गया। मुख्यमंत्री और सरकार ये घोषणा हर चुनाव में दोहराते रहे और इधर बेतहाशा जंगल कटता गया। पट्टों के लालच में जंगल काटने वाले अधिकांश वन माफिया धार झाबुआ अलीराजपुर, खंडवा, बुरहानपुर जिले के रहने वाले हैं। कई स्थानीय माफिया भी इनकी मदद कर रहे हैं।
जिलों भर में कटे मिलेगें पेड़ पौधे
जिले में सात रेंज, व 150 से अधिक कर्मचारियों जंगल मे काम करते है। उसके बाद भी जगह बेतहाशा कटा जंगल दिखाई देता है।जिले में वन विभाग की मांडू,धार, धामनोद, सरदारपुर, बाग, टाडा, कुक्षी, कि हर रेंज में बेखौफ होकर जंगल काटा गया है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2025 के आंकड़े में जिले का 1लाख 13 हजार हेक्टेयर जंगल है मगर जमीनीस्तर पर देखा जाए तो बहुत जंगल अवैध अतिक्रमण जद में आ चुका था।
पूर्व मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद हजार हेक्टेयर जंगल और कट गया। वहीं वन विभाग पर भी कहीं बार जंगल कटवाने व लकडी बेचने के आरोप लगा चुके हैं वहीं पिछले दिनों मांडव रेंज में भी पेड़ों की कटाई का बहुत बड़ा मामला सामने आया था जिसके बाद रेंजर व दो से तीन कर्मचारियों पर गाज गिरी थी। वही कही क्षेत्रो में आज भी कटाई जारी है
3 लाख नए पौधे लगेंगे इस बार
इस बार धार जिले में 3 लाख से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है वही 25 ऐसी जगह भी वन विभाग ने चिन्हित किया गया है। जिसमें पौधा लगाना है वहीं पौधे लगाने का एरिया 683 हेक्टेयर रखा गया है जिसमे अन्य तरह के पौधे लगाना। अगर तीन लाख पौधे लगे तो इनको सही तरह से देख रख कर ली जाए तो यह पौधे आने वाले समय मे एक हरा भरा जंगल बन जायेगा मगर ऐसा आज तक हुआ नही है। बस कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा इनकी देखरेख में वाउचर निकालकर अपनी चांदी काट लेते हैं।