उज्जैन में सिंधियत की अलख जगाता ‘सिंधी भाषा प्रशिक्षण शिविर’

सिंधी भाषा प्रशिक्षण शिविर

बच्चों ने दिखाया कमाल, मिले विशेष पुरस्कार

उज्जैन, अग्निपथ। अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ना और अपनी मातृभाषा को जीवंत रखना किसी भी समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसी कड़ी में, भारतीय सिंधी सभा, उज्जैन की सभी शाखाओं द्वारा झूलेलाल मंदिर, सिंधी कॉलोनी में आयोजित ‘सिंधी भाषा प्रशिक्षण शिविर’ ने एक अनूठी पहल की है। 3 जून से 24 जून 2025 तक चल रहे इस शिविर में उज्जैन के बच्चे उत्साह के साथ सिंधी भाषा सीख रहे हैं, और उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन पर उन्हें विशेष पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। यह आयोजन सिंधी समुदाय में भाषा संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भाषा सीखने की अनूठी पहल और बच्चों का उत्साह

सिंधी भाषा को नई पीढ़ी तक पहुँचाने और उसे दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने के उद्देश्य से यह सिंधी भाषा प्रशिक्षण  शिविर आयोजित किया जा रहा है। बच्चों को खेल-खेल में और मनोरंजक तरीके से सिंधी भाषा के व्याकरण, शब्दावली और उच्चारण का ज्ञान दिया जा रहा है। इसका परिणाम यह है कि बच्चे इस शिविर में न केवल सीखने आ रहे हैं, बल्कि वे अपनी मातृभाषा से भावनात्मक रूप से जुड़ भी रहे हैं। आज के कार्यक्रम में, बच्चों द्वारा भाषा सीखने में दिखाए गए अद्भुत प्रदर्शन को विशेष रूप से सराहा गया और उन्हें पुरस्कृत कर प्रोत्साहित किया गया।

गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने बढ़ाया मान

कार्यक्रम में कई प्रमुख हस्तियों ने शिरकत की, जिन्होंने बच्चों के प्रयासों की सराहना की और सिंधी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथियों में प्रताप रोहरा (सिंधु जागृत समाज के अध्यक्ष), दिव्या बलवानी (पार्षद), चमनदास लखानी, पुष्पा कोटवानी (भारतीय सिंधी सभा की राष्ट्रीय पदाधिकारी), डॉ. मीना वाधवानी (प्रदेश महासचिव), रमेश गजराणी (उज्जैन अध्यक्ष, भारतीय सिंधी सभा), राजकुमार परसवानी (सचिव), दिव्या धनवानी (अध्यापिका), दीपा वासवाणी (अध्यक्ष, राष्ट्रीय सिंधी मंच), नेहा मोटवानी (सचिव), हर्षा नानवानी (सचिव), भारती सन मुखानी (कोषाध्यक्ष), और विनोद लुल्ला (शिक्षा सचिव) शामिल थे। इन सभी अतिथियों का पदाधिकारियों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

अतिथियों ने बच्चों से सिंधी सीखने के संबंध में व्यक्तिगत रूप से बातचीत की और उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। इस दौरान, बच्चों ने भी अपनी नई सीख और भाषा के प्रति अपने लगाव को साझा किया, जिससे पूरा माहौल ऊर्जावान बन गया।

मेधावी बच्चों को विशेष सम्मान और प्रोत्साहन

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बच्चों का पुरस्कार वितरण समारोह रहा। सिंधी भाषा सीखने में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले सात बच्चों को विशेष पुरस्कार प्रदान किए गए, जो उनके कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम था। इसके अतिरिक्त, अपनी कॉपियों में अलग से लिखने और अतिरिक्त प्रयास करने वाले पाँच बच्चों को प्रोत्साहन पुरस्कार देकर भी सम्मानित किया गया। यह पहल बच्चों में और अधिक सीखने की प्रेरणा जगाएगी और उन्हें अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व महसूस कराएगी।

कार्यक्रम में अन्य गणमान्य व्यक्तियों में शोभा शर्मा, बीना परसवानी, दीपा खत्री, अंजू भाटिया और अन्य समाज के लोग भी उपस्थित रहे, जिन्होंने बच्चों का उत्साहवर्धन किया।

‘मस्ती की पाठशाला’ में मनोरंजन के साथ भाषा ज्ञान

सिंधी भाषा प्रशिक्षण शिविर का संचालन कर रहे रमेश गजराणी और डॉ. मीना वाधवानी ने बताया कि रविवार, 9 जून को ‘मस्ती की पाठशाला’ का आयोजन किया जाएगा। इस विशेष सत्र में सिंधी भाषा को मनोरंजक और खेल-खेल में सिखाने वाले कार्यक्रम होंगे, जिससे बच्चे बिना किसी बोझ के भाषा सीख सकें। यह अभिनव दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि भाषा सीखना एक आनंददायक अनुभव बने, न कि एक नीरस कार्य।

वर्तमान में, 65 बच्चे पूरे उत्साह और लगन के साथ सिंधी भाषा का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। यह संख्या सिंधी समाज में अपनी विरासत को बचाने और नई पीढ़ी को इससे जोड़ने की तीव्र इच्छा को दर्शाती है। यह शिविर केवल भाषा सिखाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों में अपनी संस्कृति, इतिहास और रीति-रिवाजों के प्रति जागरूकता भी बढ़ा रहा है।

सिंधी भाषा संरक्षण: एक आवश्यक कदम

आज के वैश्वीकरण के दौर में जहाँ अन्य भाषाएँ हावी हो रही हैं, अपनी मातृभाषा का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। सिंधी भाषा, जो कि अपनी समृद्ध साहित्य, लोककथाओं और संगीत के लिए जानी जाती है, को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना एक बड़ी चुनौती है। भारतीय सिंधी सभा, उज्जैन का यह प्रयास इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना कर रहा है। ऐसे शिविर न केवल भाषा को जीवित रखते हैं, बल्कि सामुदायिक बंधनों को भी मजबूत करते हैं।

यह पहल उज्जैन के सिंधी समुदाय के लिए एक प्रेरणा है और अन्य समाजों को भी अपनी भाषाओं और संस्कृतियों के संरक्षण के लिए ऐसे ही प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। ‘सिंधी भाषा प्रशिक्षण शिविर’ भविष्य में सिंधी समुदाय के लिए एक मजबूत सांस्कृतिक आधारशिला रखेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सिंधी भाषा की मधुरता और समृद्धि आने वाली पीढ़ियों तक यूँ ही बनी रहे।

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