विक्रम विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग में जांच; समिति गठित

10 दिन में आएगी रिपोर्ट

उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय का गोपनीय विभाग इन दिनों सवालों के घेरे में है! 4 जून को कुछ छात्रों द्वारा गोपनीय विभाग में काम करने को लेकर कांग्रेस से जुड़े एक छात्र नेता ने गंभीर आरोप लगाए थे। आरोप था कि छात्र उत्तर पुस्तिकाएं छाँटने और कोडिंग करने जैसे संवेदनशील कार्य कर रहे थे। इस हंगामे के बाद मामला मीडिया में भी उछला, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन हरकत में आया है। अब इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिसे 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।

क्या था पूरा मामला? गोपनीय विभाग में छात्रों की मौजूदगी पर उठे सवाल

दरअसल, 4 जून को दोपहर में विक्रम विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग में कुछ छात्रों को उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल बनाते और कोडिंग का काम करते हुए देखा गया था। इस पर कांग्रेस से जुड़े छात्र नेता बब्लू खींची ने गंभीर अनियमितता का आरोप लगाते हुए गोपनीय विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे। छात्रों का गोपनीय विभाग में काम करते हुए एक वीडियो भी वायरल हो गया था, जिसने इस मामले को और हवा दे दी।

हालांकि, तत्कालीन कुलपति प्रो. अर्पण भारद्वाज का कहना था कि गोपनीय विभाग में सभी अधिकारियों की उपस्थिति में छात्रों को गोपनीय कार्य अनुभव की जानकारी दी जा रही थी। लेकिन हंगामे और मीडिया में उछले इस मामले ने विश्वविद्यालय प्रशासन को जांच के लिए मजबूर कर दिया।

तीन सदस्यीय जांच समिति गठित, 10 दिन में देगी रिपोर्ट

घटना की गंभीरता को देखते हुए, विश्वविद्यालय प्रशासन ने 5 जून को इस मामले की जांच के लिए तुरंत एक तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया। इस समिति में व्यवसाय प्रबंधन के डीन प्रो. कामरान सुल्तान, कंप्यूटर साइंस के डीन प्रो. उमेश कुमार सिंह, और सेंट्रल लाइब्रेरी के हेड प्रो. अनिल कुमार जैन को शामिल किया गया है। यह समिति अब 10 दिनों के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रस्तुत करेगी।

इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर होगी जांच: क्या कैमरे बंद थे?

जांच समिति निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर गहराई से पड़ताल करेगी:

  • बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश: क्या गोपनीय विभाग में किसी बाहरी व्यक्ति या छात्र को अनधिकृत रूप से रोका नहीं गया?
  • कैमरे का प्रवेश: क्या गोपनीय विभाग में कैमरा लेकर प्रवेश करने और वीडियो बनाने पर किसी ने रोक नहीं लगाई?
  • सीसीटीवी की स्थिति: घटनाक्रम के समय विभाग के सीसीटीवी कैमरे चालू थे या नहीं?
  • फुटेज की जांच: यदि कैमरे चालू थे, तो घटना वाले दिन के बाहर और अंदर के फुटेज देखे जाएंगे।

समिति इन सभी बिंदुओं पर गहन जांच के बाद अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी, जिससे इस प्रकरण की सच्चाई सामने आ सकेगी।

गोपनीय विभाग के लिए बने सख्त नियम, सुरक्षा हुई पुख्ता

4 जून की घटना के बाद, विश्वविद्यालय प्रशासन ने गोपनीय विभाग में प्रवेश के लिए सख्त नियम लागू कर दिए हैं। अब कोई भी बाहरी व्यक्ति या छात्र सीधे गोपनीय विभाग में प्रवेश नहीं कर सकेगा। नए नियमों के तहत:

  • अनिवार्य पंजीकरण: चैनल गेट पर जिससे मिलना है, उसका नाम, संबंधित से काम और अपना नाम व मोबाइल नंबर नोट कराने के बाद ही कोई मिल सकेगा।
  • बाहर इंतजार: गोपनीय विभाग से संबंधित लंबित कार्य कराने के लिए आए विद्यार्थियों को आवेदन लेने के बाद गोपनीय शाखा से बाहर ही बिठाया जाएगा।
  • अलग कक्ष में अवलोकन: उत्तर पुस्तिकाओं का अवलोकन करने वाले विद्यार्थियों को भी एक अलग कक्ष में उत्तर पुस्तिकाएं दिखाने की व्यवस्था की जाएगी।
  • सीसीटीवी निगरानी: इसके अलावा, सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से भी गोपनीय विभाग में आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

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