बड़नगर के रुनीजा में शिक्षा का बदहाल मंदिर

खस्ताहाल स्कूल भवन में नौनिहालों पर मंडराता खतरा

रुनीजा (बड़नगर), अग्निपथ। एक ओर सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर देश के भविष्य को गढ़ने वाले शिक्षा के मंदिरों की बदहाली पर किसी का ध्यान नहीं है। रुनीजा संकुल में संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन इसकी जीता जागता मिसाल है, जहां बच्चे हर पल खतरे के साए में पढ़ने को मजबूर हैं।

रुनीजा संकुल में 7 प्राथमिक, 6 माध्यमिक, 2 हाई स्कूल और 1 हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित होते हैं। अप्रैल माह में नया सत्र शुरू हो चुका है और मई की छुट्टियों के बाद 16 जून 2025 से पूरे सत्र के लिए स्कूल फिर से खुल रहे हैं। लेकिन विडंबना यह है कि विभाग के जिम्मेदार और सरकार के नुमाइंदों ने इन स्कूलों की वास्तविक स्थिति का जायजा लेना जरूरी नहीं समझा।

रुनीजा के शासकीय प्राथमिक विद्यालय भवन की हालत बेहद दयनीय है। कुल 9 कमरों में से 3-4 कमरे पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। छत से लगातार पानी टपकता है और मलबा गिरता रहता है, जिससे यहां पढ़ने वाले 56 छात्रों और शिक्षकों पर हर समय खतरा मंडराता रहता है। वर्तमान में स्कूल में 2 शिक्षक और 1 शिक्षिका अपनी सेवाएं दे रहे हैं और छात्रों की संख्या में और वृद्धि की संभावना है।

इस गंभीर मुद्दे पर, शिक्षक मंजूर अली ने बताया कि लगभग 4 साल पहले उपयंत्री मनीष शर्मा द्वारा लगभग 1 लाख 50 हजार रुपये से अधिक के मरम्मत प्रस्ताव को शासन को भेजा गया था। विभागीय स्तर पर भी जानकारी भेजी गई है, लेकिन अभी तक कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि जैसे ही राशि मिलेगी, कमरों की छत की मरम्मत करवा दी जाएगी। तीन कमरों की हालत सबसे ज्यादा खराब है और फिलहाल उनमें बच्चों को बैठाना बंद कर दिया गया है।

वहीं, सर्व शिक्षा अभियान के उपयंत्री मनीष शर्मा ने भी स्वीकार किया कि मरम्मत के प्रस्ताव लगातार शासन को भेजे गए हैं, लेकिन अभी तक कोई राशि नहीं मिली है। राशि मिलते ही शीघ्र कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

यह स्थिति कई गंभीर सवाल खड़े करती है। आखिर इतने वर्षों बाद भी विद्यालय भवन की मरम्मत के लिए राशि क्यों नहीं मिल पाई है? क्या यह ‘अंधेरी नगरी चौपट राजा’ वाली कहावत को चरितार्थ नहीं कर रहा? यह समस्या उस जिले की है जिसके मुखिया मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हैं। इसके बावजूद शिक्षा के इस मंदिर की यह दयनीय स्थिति कहीं न कहीं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को भी दर्शा रही है। यह विडंबना है कि इतनी बड़ी समस्या किसी की नजर में नहीं आ रही है।

रुनीजा के नौनिहालों का भविष्य और उनकी सुरक्षा सीधे तौर पर इस खस्ताहाल भवन से जुड़ी है। जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को इस ओर तत्काल ध्यान देने और मरम्मत के लिए आवश्यक राशि आवंटित करने की सख्त जरूरत है, ताकि बच्चे सुरक्षित माहौल में अपनी शिक्षा पूरी कर सकें।

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