दूषित पानी, टूटी सड़कें और गंदगी का अंबार; रहवासियों ने पार्षद को घेरा

वार्ड 23 और 24 में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव! 

उज्जैन, अग्निपथ: धर्मनगरी उज्जैन के वार्ड क्रमांक 23 और 24 के निवासियों का सब्र अब जवाब दे चुका है! वर्षों से बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे इन वार्डों के रहवासियों ने आज अपने पार्षद को घेरकर अपनी नारकीय स्थिति से अवगत कराया। उनका आरोप है कि जनप्रतिनिधियों और नगर निगम की अनदेखी के कारण उनका जीवन दूभर हो गया है।

गंदा पानी, बीमारियों का खतरा और बदहाल सड़कें

क्षेत्रीय रहवासी पिछले कई सालों से पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे हैं। गर्मी के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। नल एक दिन छोड़कर आते हैं, वो भी केवल एक घंटे के लिए, और सबसे बड़ी बात – पानी इतना गंदा और बदबूदार होता है कि उसे पीने की तो दूर, इस्तेमाल करने से भी कतराना पड़ता है।

केवल पानी ही नहीं, इन वार्डों में सड़कों का हाल भी बद से बदतर है। जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हैं, नाले जाम पड़े हैं, और नालों के ढक्कन टूटे या खुले हुए हैं। इन सबके कारण आए दिन वाहन फिसलकर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। पूरा क्षेत्र गंदगी के ढेर में तब्दील हो चुका है, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है।

पार्षदों की अनदेखी से बढ़ा रोष, केवल आश्वासन मिला

रहवासियों ने कई बार अपने पार्षदों सुशील शेखर श्रीवास और रजत मेहता को इन समस्याओं से अवगत कराया लेकिन आज तक कोई ठोस निराकरण नहीं हुआ। आज जब निवासियों ने पार्षदों को बुलाकर घेराव किया, तब भी उन्हें केवल आश्वासन ही मिला, कोई ठोस कार्रवाई का भरोसा नहीं।

लोगों का कहना है कि जब से पार्षद बोर्ड का गठन हुआ है, तब से इन वार्डों में किसी भी प्रकार का कोई विकास कार्य नहीं किया गया है। नगर निगम और पार्षदों की निष्क्रियता से इन वार्डों के निवासी निराश और आक्रोशित हैं। वे चाहते हैं कि उनके जीवन की मूलभूत समस्याओं पर तत्काल ध्यान दिया जाए और उन्हें एक बेहतर जीवन जीने का अधिकार मिले।

क्या इन रहवासियों की आवाज़ सुनी जाएगी? क्या नगर निगम और पार्षद इन बुनियादी समस्याओं को हल करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे? समय ही बताएगा।

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