उज्जैन, अग्निपथ।
उज्जैन, अग्निपथ: उज्जैन जिले के नागदा में एक दिव्यांग नाबालिग बालिका के साथ हुए दुष्कर्म के जघन्य मामले में न्याय की जीत हुई है. विशेष न्यायालय (पॉक्सो) ने आरोपी को आजीवन कारावास की कठोर सजा सुनाई है. यह फैसला दर्शाता है कि ऐसे गंभीर अपराधों में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और पीड़ितों को न्याय मिलेगा.
क्या था मामला
यह हृदय विदारक घटना नागदा के बिरलाग्राम थाना क्षेत्र की है. फरियादिया ने 6 अगस्त 2023 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी नाबालिग दिव्यांग बहन के साथ आरोपी द्वारा छेड़छाड़ और दुष्कर्म किया गया है. पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल कार्रवाई की और आरोपी राजू उर्फ राजेश मराठा (उम्र 31 वर्ष), निवासी ई-ब्लॉक टापरी, बिरलाग्राम नागदा को मात्र 24 घंटे के भीतर, यानी 7 अगस्त 2023 को गिरफ्तार कर लिया.
इस प्रकरण की गहन विवेचना तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक पिंकी आकाश ने की थी. जांच पूरी होने के बाद, 29 सितंबर 2023 को विशेष न्यायालय (पॉक्सो) उज्जैन में चालान पेश किया गया.
विशेष न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला
माननीय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) चंद्रसेन मुवेल ने 20 जून 2025 को अपना महत्वपूर्ण आदेश पारित किया. उन्होंने आरोपी राजू उर्फ राजेश मराठा को दोषी पाते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इस मामले में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक रेवतसिंह ठाकुर ने प्रभावी पैरवी की, जिसके परिणामस्वरूप पीड़िता को न्याय मिल सका.
आरोपी को इन धाराओं में मिली सजा
न्यायालय ने आरोपी को विभिन्न धाराओं के तहत कड़ी सजा सुनाई है, जो इस प्रकार है:
- पॉक्सो अधिनियम की धारा 5(एम)/6, 5(के)/6, 5(एल)/6 के अंतर्गत: प्रत्येक के लिए 20-20 वर्ष का सश्रम कारावास.
- पॉक्सो अधिनियम की धारा 11(अ)/12 के अंतर्गत: 1 वर्ष का सश्रम कारावास.
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 92(ख) के अंतर्गत: 1 वर्ष का सश्रम कारावास और 4000 का कुल अर्थदण्ड.
यह फैसला समाज में एक मजबूत संदेश देता है कि मासूमों, खासकर दिव्यांगों के खिलाफ ऐसे अपराध करने वालों को कानून किसी भी कीमत पर नहीं बख्शेगा. यह न्याय व्यवस्था में लोगों का विश्वास और मजबूत करेगा.