उज्जैन BJP में ‘शाह और मात’ का खेल: मेयर और MIC को दरकिनार कर विकास कार्यों का निरीक्षण!

उज्जैन, अग्निपथ: उज्जैन नगर भाजपा में इन दिनों ‘शाह और मात’ का सियासी खेल गरमाया हुआ है! रविवार को हुए एक घटनाक्रम ने इस बात को और पुख्ता कर दिया, जब नगर निगम द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण विधायक, निगम सभापति और अन्य अधिकारियों ने मिलकर किया, लेकिन महापौर और MIC (मेयर-इन-काउंसिल) सदस्यों को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया. इस घटना की चर्चा नगर निगम के गलियारों से लेकर पूरे शहर और भाजपा खेमे में खूब हो रही है.

कौन बढ़ा रहा है दूरियां?

बताया जा रहा है कि दोनों गुटों के बीच बढ़ती इस दूरी के पीछे नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक की अहम भूमिका है, जो महापौर समेत अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों को ऐसे महत्वपूर्ण निरीक्षणों में आमंत्रित नहीं कर रहे हैं. यह तब हो रहा है जब उज्जैन से लेकर भोपाल और दिल्ली तक भाजपा की ही सरकार है. ऐसे में नगर सरकार के मुखिया और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों की लगातार अनदेखी सवालों के घेरे में है.

मेयर और MIC क्यों थे गैरहाजिर?

रविवार को उज्जैन उत्तर के विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव और नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक के साथ शहर के विभिन्न हिस्सों में चल रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने निगम अधिकारियों को कई दिशा-निर्देश भी दिए.

हालांकि, इस निरीक्षण में महापौर मुकेश टटवाल, लोक निर्माण समिति प्रभारी शिवेंद्र तिवारी और अन्य MIC सदस्यों, साथ ही जोन अध्यक्षों की गैर-मौजूदगी चर्चा का विषय बन गई. इन निर्वाचित प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्हें निरीक्षण की कोई जानकारी नहीं दी गई थी.

महापौर और लोक निर्माण प्रभारी की प्रतिक्रिया

मुकेश टटवाल, महापौर: “रविवार को हुए निरीक्षण की जानकारी मुझे नहीं है. MIC की बैठक में निगम आयुक्त श्री पाठक ने 11 जून को निर्माण कार्यों का निरीक्षण करवाने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.”

शिवेंद्र तिवारी, लोक निर्माण विभाग समिति प्रभारी: “माननीय विधायक और माननीय सभापति ने निगम आयुक्त के साथ जो निरीक्षण किया है, उसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई.”

जानकारों का कहना है कि अगर निर्वाचित नगर निगम के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की लगातार अनदेखी की जाएगी, तो नगर निगम में अराजकता का माहौल पैदा हो सकता है, जिससे विकास कार्यों पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा.

क्या निगम आयुक्त कर रहे हैं निगम एक्ट का उल्लंघन?

नियमानुसार, नगर निगम सीमा के अंदर महापौर की भूमिका प्रमुख होती है और उन्हीं के नेतृत्व में कई विकास कार्य किए जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से यह देखा जा रहा है कि लगातार महापौर और उनकी MIC के सदस्यों को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है.

नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक का भी यह कर्तव्य है कि वे महापौर सहित अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को निरीक्षण की जानकारी से अवगत कराएं, लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है. उन्हें विधायक को यह बताना चाहिए कि महापौर और MIC उज्जैन नगर निगम में सीधे-सीधे नियंत्रक की भूमिका में हैं. नगर निगम में निर्वाचित परिषद है, और इसमें भाजपा के ही जनप्रतिनिधि हैं, ऐसे में यह आपसी समन्वय की कमी पार्टी के लिए भी चिंता का विषय बन सकती है.

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