बडऩगर स्टेशन पर थमी ‘जलदूतों’ की आवाज

74 दिनों तक बुझाई हजारों कंठों की प्यास

बडऩगर (अजय राठौड़), अग्निपथ। चिलचिलाती गर्मी और तपती दोपहर में ठंडे पानी की तलाश हर राहगीर को होती है। ऐसे में सार्वजनिक स्थानों पर नि:स्वार्थ भाव से मिलने वाला शीतल जल किसी वरदान से कम नहीं। बडऩगर रेलवे स्टेशन पर रेल उपभोक्ता संघ के ‘जलदूतों’ ने इस गर्मी में 74 दिनों तक अपनी अनूठी और सराहनीय सेवा से हजारों रेल यात्रियों के हलक तर किए।

अप्रैल से जून तक चलने वाली यह शीतल जल सेवा इस सत्र में अब समाप्त हो गई है, जिससे स्टेशन पर अब ‘ठंडा-ठंडा पानी’ की परिचित आवाज सुनाई नहीं दे रही है।

वर्षों से अनवरत जारी है नि:स्वार्थ सेवा

वर्ष 2017 से, रेल उपभोक्ता संघ के संयोजक प्रेमनारायण पोरवाल की अगुवाई में यह नि:शुल्क शीतल जल वितरण सेवा रेल यात्रियों को मिलती आ रही है। इस वर्ष 8 अप्रैल को यह सेवा शुरू हुई थी और बारिश व मौसम में ठंडक आने के बाद जून में इसे 74 दिनों तक सफलतापूर्वक चलाने के बाद विराम दिया गया। अब यह सेवा अगले वर्ष गर्मी के दिनों में फिर से शुरू होगी।

समयदानियों के नि:स्वार्थ भाव को बारंबार प्रणाम

जल सेवा के समापन पर जलदूतों का हौसला बढ़ाते हुए संयोजक प्रेमनारायण पोरवाल ने कहा, रेल उपभोक्ता संघ बडऩगर का बैनर तो केवल माध्यम है। इसमें पानी और पसीना आप जैसे समर्पित साथियों का रहा। आप सभी ने मिलकर प्यासे कंठों को तर-बतर किया। अब जब गर्मी अलविदा हो रही है और बरसात के बादल छा गए हैं, पानी की खपत कम होने से हमने इस सत्र को विश्राम देने का निर्णय लिया है।

वर्ष 2026 की तपिश शुरू होने तक बडऩगर रेलवे स्टेशन की इन यादों को ताजा रखना है। उन्होंने सभी समयदानियों की नि:स्वार्थ सेवा भाव की सराहना करते हुए कहा कि उनकी इस सराहनीय सेवा ने बडऩगर का मान-सम्मान बढ़ाया है। इन्हीं भावनाओं के साथ आप सभी को बारंबार प्रणाम, उन्होंने कहा।

ठंडा पानी बनाम बडऩगर रेलवे स्टेशन, बनी पहचान

यह कोई अतिशयोक्ति नहीं कि भीषण गर्मी के दिनों में बडऩगर रेलवे स्टेशन की पहचान ‘ठंडे पानी’ से बन गई है। जब जलदूत अपने व्यक्तिगत कार्य छोडक़र सूरज की तपिश और पसीने में तरबतर होकर शीतल जल सेवा करते हैं, तो ट्रेन के रुकने से पहले ही यात्री अपनी बोतलें खिड़कियों से लहराते नजर आते हैं। पानी मिलने के बाद उनकी सराहना रुके नहीं रुकती।

रेल उपभोक्ता संघ आईटी सेल प्रमुख ललित सुरेश सोनी ने एक उदाहरण साझा करते हुए बताया कि भिंड जाने वाली ट्रेन के लोको पायलट को पानी देते हुए जब यह बताया गया कि यह आज आखिरी दिन है, तो दोनों लोको पायलट ने हाथ जोडक़र पूरी टीम को हार्दिक धन्यवाद दिया। यह घटना जलदूतों के निस्वार्थ प्रयासों की सच्ची गवाही है।

Next Post

दिव्यांग नाबालिग से बलात्कार के आरोपी को आजीवन कारावास

Sun Jun 22 , 2025
उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन, अग्निपथ: उज्जैन जिले के नागदा में एक दिव्यांग नाबालिग बालिका के साथ हुए दुष्कर्म के जघन्य मामले में न्याय की जीत हुई है. विशेष न्यायालय (पॉक्सो) ने आरोपी को आजीवन कारावास की कठोर सजा सुनाई है. यह फैसला दर्शाता है कि ऐसे गंभीर अपराधों में दोषियों को […]