Ujjain News: महाकाल मंदिर का गेट नंबर 4 बना अव्यवस्था का गढ़, सावन से पहले दर्शनार्थी परेशान!

महाकाल मंदिर का गेट नंबर 4 बना अव्यवस्था का गढ़

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर का प्रमुख प्रवेश द्वार, गेट नंबर 4 (बड़ा गणेश की ओर), लंबे समय से अतिक्रमण, अवैध पार्किंग और निर्माण सामग्री से घिरा हुआ है। यहाँ से मंदिर पहुँचने वाले दर्शनार्थियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन ज़िम्मेदार कहीं नज़र नहीं आते। सावन माह की शुरुआत में सिर्फ 15 दिन बचे हैं, और इन अव्यवस्थाओं को देखकर लाखों श्रद्धालुओं की चिंताएँ बढ़ गई हैं।

महाकाल मंदिर का प्राचीन प्रवेश द्वार, अब अव्यवस्था का शिकार

गेट नंबर 4 महाकाल मंदिर का एक प्राचीन प्रवेश द्वार है। हालाँकि, मंदिर समिति ने अपनी सुविधा के अनुसार यहाँ से प्रवेश के स्थान में बदलाव किया है, लेकिन प्राचीन काल में बड़ा गणेश के सामने से ही दर्शनार्थी महाकाल मंदिर में प्रवेश करते और बाहर निकलते थे। उसके बाद वे बड़ा गणेश और माँ हरसिद्धि मंदिर के दर्शन के लिए जाते थे। सुविधाजनक होने के कारण उज्जैन के अधिकतर दर्शनार्थी और नियमित श्रद्धालु आज भी इसी मार्ग से मंदिर में प्रवेश करते हैं।

निर्माण कार्य और अतिक्रमण से घिरा वैकल्पिक मार्ग

दुर्भाग्यवश, गेट नंबर 4 लंबे समय से अव्यवस्थाओं का शिकार है। निर्माण कार्यों के कारण पुराने महाराजावाड़ा भवन की ओर से गेट नंबर 4 तक आने का रास्ता बंद है। इसके चलते, पैदल यात्रियों के लिए वैकल्पिक मार्ग बड़ा गणेश मार्ग की गली से होकर आता है।

पिछले दिनों, मंदिर समिति ने नगर निगम की मदद से बड़ा गणेश की गली के मार्ग को अतिक्रमण मुक्त कर चौड़ा किया था। लेकिन, वर्तमान हालात देखकर ऐसा लगता नहीं कि यह मार्ग अतिक्रमण से मुक्त है। पूरे रास्ते पर वाहन और व्यापारी इस कदर जमे हुए हैं कि आने-जाने के लिए मुश्किल से गलीनुमा रास्ता बचता है। रोज़ाना हज़ारों लोग इसी संकरे मार्ग से होकर गेट नंबर 4 तक पहुँचते हैं।

सावन से पहले विकराल होगी समस्या, प्रशासन पर सवाल

सावन माह 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, और इसके आते ही श्री महाकाल मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या लाखों तक पहुँच जाएगी। वर्तमान में अगर यह हालात हैं, तो लाखों लोगों के पहुँचने पर स्थिति क्या होगी, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

निर्माण कार्यों की धीमी गति देखकर नहीं लगता कि सावन से पहले यह काम पूरा हो पाएगा। लंबे समय से चल रहे इस निर्माण कार्य को मात्र 15 दिनों में पूरा करना न केवल मुश्किल, बल्कि असंभव सा दिखता है। यह स्थिति प्रशासन और मंदिर समिति की तैयारियों पर बड़े सवाल खड़े करती है। दर्शनार्थियों को असुविधा से बचाने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है, वरना सावन में श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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