उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन में बाबा महाकाल के दरबार में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे सुरक्षाकर्मियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। जी हां, आपने सही पढ़ा, तीन महीने से! इस गंभीर स्थिति ने मंगलवार दोपहर मंदिर परिसर में उस समय एक बड़े विवाद का रूप ले लिया, जब एक परेशान सुरक्षाकर्मी और क्रिस्टल कंपनी के सुपरवाइजर के बीच तीखी बहस हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि विवाद के बाद कई सुरक्षाकर्मी महाकाल थाने पहुंच गए और उन्होंने अपनी आपबीती सुनाते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की।
यह घटना सिर्फ एक झगड़ा नहीं, बल्कि श्री महाकालेश्वर मंदिर जैसी पवित्र और संवेदनशील जगह की सुरक्षा में लगी एक पूरी टीम के गहरे असंतोष और वित्तीय संकट की कहानी कहती है। जब मंदिर परिसर में सुरक्षाकर्मियों का ही वेतन रुका हो, तो ऐसे में उनकी मानसिक स्थिति और कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
क्या हुआ मंगलवार दोपहर? वेतन को लेकर भड़का विवाद
मंगलवार दोपहर करीब दो बजे की बात है। सुरक्षाकर्मियों की शिफ्ट बदलने का समय था और कंपनी कार्यालय में गहमागहमी थी। इसी दौरान, दीपक गुर्जर नाम के एक सुरक्षाकर्मी का क्रिस्टल इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी कंपनी के सुपरवाइजर मोहित सोलंकी से जोरदार विवाद हो गया। सूत्रों के मुताबिक, दीपक गुर्जर ने अपने बकाया वेतन को लेकर सुपरवाइजर को भला-बुरा कहा और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि बात मारपीट तक पहुंच गई। हालांकि, तत्काल हस्तक्षेप से बड़ी अप्रिय घटना टल गई।
इस घटना से अन्य सुरक्षाकर्मी भी आक्रोशित हो उठे। अपनी मांगों और दीपक गुर्जर के समर्थन में, वे सभी महाकाल थाने पहुंचे और कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए आवेदन दिया। महाकाल थाने के टीआई (थाना प्रभारी) गगन बादल ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए बताया कि दोनों पक्षों के आवेदन ले लिए गए हैं और मामले की जांच की जा रही है। यह घटना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सुरक्षाकर्मियों का धैर्य अब जवाब दे रहा है और वे अब अपनी आवाज उठाने को मजबूर हैं।
तीन महीने से सूखा वेतन, कई सुरक्षाकर्मी छोड़ चुके ड्यूटी
श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था की बागडोर महाराष्ट्र की क्रिस्टल इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी कंपनी के हाथों में है। लेकिन पिछले तीन महीनों (अप्रैल, मई और जून) से इस कंपनी ने अपने सुरक्षाकर्मियों को वेतन नहीं दिया है। आप कल्पना कर सकते हैं कि तीन महीने तक बिना वेतन के कोई भी व्यक्ति कैसे जीवन यापन करेगा, खासकर जब उसे अपने परिवार की जरूरतों को भी पूरा करना हो।
सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि वेतन न मिलने के कारण उनकी माली हालत बेहद खराब हो गई है। वे मानसिक तनाव में अपनी ड्यूटी करने को मजबूर हैं। कई सुरक्षाकर्मियों ने तो अब मंदिर में आना ही बंद कर दिया है, क्योंकि उनके पास रोज आने-जाने का किराया तक नहीं है और घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। इस स्थिति ने न केवल सुरक्षाकर्मियों के जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
सुरक्षाकर्मियों की कमी
टेंडर की शर्तों के अनुसार, क्रिस्टल कंपनी को महाकाल मंदिर में करीब 634 सुरक्षाकर्मियों की सेवाएं देनी हैं। लेकिन वेतन में लेटलतीफी के कारण स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि वर्तमान में यहां सिर्फ लगभग 400 सुरक्षाकर्मी ही ड्यूटी पर आ रहे हैं। यानी, स्वीकृत संख्या से लगभग 234 सुरक्षाकर्मी कम हैं।
चिंताजनक बात यह है कि इन 400 में से भी करीब 50 सुरक्षाकर्मियों ने पिछले कुछ दिनों से वेतन न मिलने के कारण ड्यूटी पर आना बंद कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि मंदिर परिसर के कई महत्वपूर्ण सुरक्षा बिंदु खाली पड़े हैं। महाकाल मंदिर, एक विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल होने के नाते, लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। ऐसे में सुरक्षाकर्मियों की यह भारी कमी सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। यह न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा से समझौता है, बल्कि मंदिर की गरिमा और शांति के लिए भी चुनौती है।
क्या मंदिर प्रशासन इस गंभीर कमी से अवगत है? यदि हां, तो इसे दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब जल्द से जल्द मिलने चाहिए।
जनसुनवाई में भी उठा वेतन का मुद्दा: अब प्रशासन की बारी
सुरक्षाकर्मियों ने अपनी आवाज प्रशासन तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किया है। मंगलवार को ही महाकाल मंदिर के कुछ सुरक्षाकर्मी कलेक्टर कार्यालय भी पहुंचे और जनसुनवाई में अपनी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कलेक्टर को बताया कि उन्हें पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
इस मामले में कलेक्टर कार्यालय द्वारा महाकाल मंदिर प्रशासक को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। अब गेंद मंदिर प्रशासन के पाले में है। यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे क्रिस्टल कंपनी के साथ इस मुद्दे को तुरंत सुलझाएं और यह सुनिश्चित करें कि सुरक्षाकर्मियों को उनका बकाया वेतन जल्द से जल्द मिले। इसके साथ ही, भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए भी ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
आगे की राह: पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत
यह घटना भारतीय ठेका श्रमिकों की दुर्दशा को भी उजागर करती है, जहां कंपनियों द्वारा अक्सर कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में, जहां रोजाना हजारों लोग आते हैं, सुरक्षाकर्मियों के हितों की अनदेखी करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
मंदिर प्रशासन को चाहिए कि वे:
- तत्काल कार्रवाई करें: क्रिस्टल कंपनी को बकाया वेतन के भुगतान के लिए सख्त निर्देश दिए जाएं और एक निश्चित समय-सीमा तय की जाए।
- कंपनी पर जुर्माना: अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए क्रिस्टल कंपनी पर उचित जुर्माना लगाया जाए।
- भविष्य के लिए सुरक्षा उपाय: भविष्य में ऐसी स्थिति को रोकने के लिए अनुबंधों में सख्त खंड शामिल किए जाएं, जो समय पर वेतन भुगतान और कर्मचारियों के कल्याण को सुनिश्चित करें।
- वैकल्पिक व्यवस्था: यदि क्रिस्टल कंपनी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ है, तो मंदिर प्रशासन को अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए ताकि सुरक्षा व्यवस्था में कोई समझौता न हो।
यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि महाकाल मंदिर में सेवा दे रहे ये सुरक्षाकर्मी गरिमापूर्ण तरीके से अपना जीवन यापन कर सकें और बिना किसी वित्तीय तनाव के अपनी ड्यूटी निभा सकें। उनकी सुरक्षा और कल्याण, मंदिर की सुरक्षा और समग्र व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उम्मीद है कि प्रशासन इस मामले में त्वरित और प्रभावी कदम उठाएगा, ताकि बाबा महाकाल के धाम की सुरक्षा में लगे इन जवानों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।