नाराज कांग्रेसी कमलनाथ से मिले, नोटिस को लेकर की चर्चा

कांग्रेस प्रदेश अनुशासन समिति ने सौंपे थे 50 से अधिक नाराज कांग्रेसियों को नोटिस

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन कांग्रेस में दो फाड़ होने के बाद नाराज कांग्रेसियों को प्रदेश अनुशासन समिति की ओर से नोटिस देकर जवाब मांगा गया था। इससे नाराज कांग्रेसियों में हडक़ंप की स्थिति बनी हुई है। इसकी शिकायत कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता नूरी खान ने प्रदेश आलाकमान से की थी। इधर नाराज कांग्रेसी पूर्व मुख्यमंत्री कमनाथ से मिलने पहुंचे।

इसी को लेकर विगत दिनों नाराज कांग्रेसियों का एक धड़ा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलने के लिये पहुंचा था। यहां पर सौजन्य भेंट कर नोटिस को लेकर भी चर्चा की गई। बताया जाता है कि माया राजेश त्रिवेदी अपने पुत्र के शादी का कार्ड देने के लिये गई थीं। इसी बीच नोटिस के बारे में भी नाराज कांग्रेसियों के साथ चर्चा की गई।

पंडित राजेश त्रिवेदी ने बताया कि उनके पुत्र की शादी आगामी नवम्बर माह में की जाना है। इसी का आमंत्रण देने के लिये कमननाथ जी से मिले थे। ज्ञात रहे कि कांग्रेस के बड़े नेताओं में विधायक महेश परमार को जिलाध्यक्ष बनाने को लेकर रोष है। उनका कहना है कि पर्यवेक्षकों द्वारा विधायक के बारे में किसी से भी रायशुमारी नहीं की गई, इसके बावजूद उनको जिलाध्यक्ष बना दिया गया।

कुछ समय पहले चिमनगंज मंडी में कांग्रेस द्वारा भव्य किसान न्याय यात्रा का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह, नेता प्रतिपक्ष उमर सिंगार सहित अन्य बड़े नेताओं ने मंच साझा करते हुए भाजपा का विरोध प्रकट किया था। लेकिन नाराज कांग्रेसियों ने नगरनिगम गेट पर अपना अलग मंच बनाकर आयोजन से दूरी बना ली थी और अपनी अलग न्याय यात्रा चामुंडा चौराहा तक निकाली थी। इसी से संज्ञान लेेते हुए कांग्रेस प्रदेश अनुशासन समिति ने 50 से अधिक कांग्रेसियों को नोटिस थमाते हुए इसका कारण पूछा था।

कमलनाथ से मिलने के दौरान चेतन यादव, हेमंतसिंह, श्रीमती माया राजेश त्रिवेदी, मुजीब सुपारीवाला, रवि शुक्ला, नाना तिलकर, मुरली मोरवाल सहित अन्य नेतागण उपस्थित थे।

शहर के उम्मीदवार कर रहे ग्रामीण जिलाध्यक्ष का विरोध

वरिष्ठ नाराज कांग्रेसियों में से अधिकतर उज्जैन शहर के जिलाध्यक्ष पद के दावेदार हैं। लेकिन इनका विरोध ग्रामीण जिलाध्यक्ष महेश परमार के विरुद्ध चल रहा है, यह बात राजनीति के जानकारों के गले नहीं उतर रही है। केवल हेमंतसिंह चौहान को छोडक़र बाकी सभी शहर जिलाध्यक्ष पद की दावेदारी चाहते थे। लेकिन इनके द्वारा ग्रामीण जिलाध्यक्ष का विरोध करना किसी के भी गले नहीं उतर रहा है। जबकि इनका विरोध शहर अध्यक्ष मुकेश भाटी के खिलाफ होना था, लेकिन इनका नाम कहीं से कहीं तक इन नाराज कांग्रेसियों के मुंह पर नहीं है।

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