हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजय अग्रवाल ने कहा, इन मरीजों को फीमर बोन यानी जांघ की हड्डी में दर्द महसूस हुआ। ये तीनी ही मरीज डॉक्टर थे जिसके कारण उन्हें लक्षण पहचानने में आसानी हुई और वे तुंरत इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए।
डॉ संजय अग्रवाल न कहा कि 36 साल के एक मरीज में कोरोना से ठीक होने के 67 दिन बाद एवैस्कुलर नेक्रोसिस की शिकायत हुई जबकि दो अन्य मरीजों में 57 और 55 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखें। उन्होंने बताया कि सभी मरीजों को कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिए गए थे।
इस बीच, कोयंबटूर के सरकारी अस्पताल में म्यूकोर्मिकोसिस के 264 मरीजों में से 30 मरीजों की एक आंख की रोशनी चली गई। अस्पताल के एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। अस्पताल के डीन डॉ एन निर्मला ने एक रिलीज में कहा कि भर्ती किए गए सभी लोगों की एंडोस्कोपी की गई और 110 मरीजों की सर्जरी की गई। लेकिन गंभीर संक्रमण वाले 30 रोगियों की एक आंख की रोशनी चली गई थी, उन्होंने कहा कि जो लोग शुरुआती चरण में आए थे वे बीमारी से पूरी तरह ठीक हो गए थे।