इंदौर। स्वच्छता में देश के नंबर वन शहर इंदौर को अब ‘वाटर प्लस’ की कसौटी पर परखा जाएगा। सबकुछ ठीक रहा तो इंदौर वाटर प्लस सर्टिफिकेट पाने वाला देश का पहला शहर बन सकता है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में सबसे कठिन माने जाने वाले वाटर प्लस सर्वे के लिए केंद्रीय टीम इंदाैर पहुंच चुकी है। टीम ने कम्युनिटी टॉयलेट पब्लिक टॉयलेट (सीटीपीटी) के साथ 11 पैरामीटर पर सर्वे शुरू किया है। सर्वे तीन-चार दिन चलेगा। व्यवस्थाएं चाक चौबंद दिखाने के लिए अधिकारियों ने इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को कंट्रोल रूम बना दिया है। 11 पैरामीटर्स पर करीब 200 लोकेशन देखने के बाद यह तय होगा कि शहर को वाटर प्लस सर्टिफिकेट मिलेगा या नहीं।
पिछली बार इंदौर के 200 नंबर कट गए थे, जिसके कारण वाटर प्लस सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया था। सेंट्रल मिनिस्ट्री ने वाटर प्लस सर्वे के लिए 11 पैरामीटर तय किए हैं। इसके कुल 1800 नंबर हैं। इनमें वाटर प्लस के 700 नंबर हैं। पिछली बार इंदौर को 500 नंबर मिले थे।
बारिश का सीजन ही सबसे बड़ी चुनौती
सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सड़क या ड्रेनेज से पानी बहता नजर नहीं आना चाहिए। बारिश का सीजन होने से ऐसे में इंदौर के लिए यह चुनौती बहुत बड़ी है। कहीं भी पानी ज्यादा देर जमा नहीं रहे। नालों और नदियों में कचरा नजर न आए इसके लिए 19 जोन पर तीन स्तर की व्यवस्था लगाई गई है। पहली लेयर में काम करने वाले निगमकर्मी हैं, दूसरी में सीएसआई-दरोगा और तीसरी में नियंत्रणकर्ता अधिकारी हैं। पूरी टीम सुबह 6 से मैदान संभाल रही है और रात 12 बजे तक व्यवस्थाओं पर नजर रखी जा रही है। निगमायुक्त प्रतिभा पाल व अपर आयुक्त संदीप सोनी इस पर नजर रखे हुए हैं।
19 जोन के 325 CTPT पर सबसे ज्यादा फोकस टीम का ध्यान शहर के 325 कम्युनिटी टॉयलेट और पब्लिक टॉयलेट पर सबसे ज्यादा है। 400 यूरिनल्स की भी व्यवस्था देखी जाएगी। जांच दल शहर की चार वाटर बॉडीज चेक करेगा। इसके तहत सरस्वती और कान्ह नदी के अलावा कोई भी दो नाले चेक किए जाएंगे। उनमें सीवर का पानी नहीं मिलना चाहिए और पानी में कोई सूखा कचरा नहीं होना चाहिए। चैंबर के ढक्कन से पानी निकलता हुआ नजर नहीं आना चाहिए। टीम किसी भी रहवासी क्षेत्र में पहुंचेगी और वहां के CTPT के साथ ही आसपास की सीवरेज की व्यवस्था चेक करेगी।
सर्टिफिकेट मिला तो सेवन स्टार का दावा पक्का
वाटर प्लस सर्टिफिकेट देश में किसी भी शहर को नहीं मिला है। इसके मिलने के बाद ही सेवन स्टार का दावा पक्का हो सकता है। देश में सूरत और अहमदाबाद के साथ नवी मुंबई भी वाटर प्लस के सर्वे के लिए इंदौर से मुकाबले में हैं। इंदौर ने इसी के लिए 300 करोड़ में नाला टैपिंग कर दोनों नदियों और 27 नालों को सीवर मुक्त किया है। शहर के पांच हजार से ज्यादा परिवारों ने 20 करोड़ खर्च कर नाले में सीधे गिरने वाले आउटफॉल को बंद कर घर खुदवाने के साथ ड्रेनेज लाइन में कनेक्शन लिया।
ये हैं 11 पैरामीटर : स्लम एरिया, रहवासी इलाके, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, सार्वजनिक स्थान, ट्रांसपोर्ट हब, बड़ी कंस्ट्रक्शन साइट, औद्योगिक इकाइयां, सड़कें और गलियां, जल स्रोत, डिकेंटिंग-डिस्लजिंग गाड़ियां, रिसाइकिलिंग और रीयूज पॉइंट।
7 बिंदुओं की सख्त गाइडलाइन का पालन जरूरी
- सभी घर ड्रेनेज लाइन या सेप्टिक टैंक से कनेक्टेड होने चाहिए। किसी भी घर का सीवरेज खुले में नहीं आना चाहिए।
- नालों और नदी में किसी प्रकार का सूखा कचरा तैरता नजर नहीं आना चाहिए।
- सीवरेज वाटर का ट्रीटमेंट कर कम से कम 25 प्रतिशत पानी सड़क धुलाई, गार्डन, खेती सहित अन्य में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- सभी ड्रेनेज के ढक्कन बंद होने चाहिए और उनसे गंदा पानी बहकर सड़क पर नहीं आना चाहिए।
- चैंबर और मेन होल साल में कम से कम एक बार साफ होने चाहिए।
- ड्रेनेज की लाइनें चोक नहीं होनी चाहिए।
- एप पर आने वाली ड्रेनेज संबंधी शिकायतों का त्वरित समाधान होना चाहिए।