इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल स्टूडेंट ने अब तक वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लिया है। वह त्रिशूर जिले के माथिलाकम ग्राम पंचायत की रहने वाली है और चीन के वुहान में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी। हालांकि 23 जनवरी 2020 को भारत लौटने के बाद वह वापस वुहान नहीं गई है और ऑनलाइन पढ़ाई कर रही है।
पिछले साल 30 जनवरी को उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। त्रिशूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में चले इलाज के बाद वह ठीक हो गई थी।
कोलकाता के रास्ते लौटी थी केरल
माथिलाकम ग्राम पंचायत की हेल्थ इंस्पेक्टर शीबा ने कहा, ‘वुहान से जो स्टूडेंट लौटी, उसने सबसे पहले मुझे ही घर आने की जानकारी दी थी। वो कोलकाता के रास्ते लौटी थी। पहले दिन जब वो घर पहुंची तो मैं उसके संपर्क में थी। वो सरकारी अस्पताल में टेंपरेचर की जांच करवाने पहुंची और हमें उसकी जानकारी दी।’
शीबा ने बताया- मैं दिन में 2 से 3 बार उस स्टूडेंट को फोन करती थी। शुरुआत में उसमें कोई भी लक्षण नजर नहीं आ रहे थे, लेकिन तीन-चार दिन बाद जब मैंने फोन किया तो उसने बताया कि उसे गले में थोड़ा दर्द हो रहा है। मैंने तुरंत ये बात जिले की मेडिकल अथॉरिटीज को बताई और उसे अस्पताल ले जाया गया। बाद में उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। वो देश का पहला पॉजिटिव केस था।
घर लौटकर मनाया था भाई का बर्थ डे
हेल्थ इंस्पेक्टर शीबा ने बताया कि वुहान से लौटने के 2 दिन बाद मेडिकल स्टूडेंट ने छोटे भाई का बर्थ डे मनाया था। भाई ने कुछ दोस्तों को ट्रीट देने घर भी बुलाया था। जब दोस्त घर आए, तब लड़की घर पर थी, हालांकि वह क्वारैंटाइन थी।
पंचायत और प्रशासन ने एहतियातन उन बच्चों को प्राइमरी कॉन्टैक्ट माना था और परिवार समेत क्वारैंटाइन होने को कहा था। शीबा ने बताया कि मेडिकल स्टूडेंट हेल्थ वर्कर्स के साथ सहयोग कर रही थी। बस वह चाहती थी कि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो तुरंत उसके पेरेंट्स को नहीं बताया जाए, उसे डर था कहीं वो डर न जाएं।