एक साथ दो तरह का कोरोना:बेल्जियम के बाद भारत में डबल इंफेक्शन का पहला मामला मिला, असम की डॉक्टर अल्फा के साथ डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित हुईं

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर में नए केस की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। पूर्वी असम के डिब्रूगढ़ जिले में एक महिला डॉक्टर कोरोना वायरस के ‘अल्फा’ और ‘डेल्टा’ दोनों रूपों से संक्रमित हो गई। एक्सपर्ट्स ने इसे देश में इस तरह का पहला मामला बताया है।

ICMR के अधिकारियों ने बताया कि असम में महिला डॉक्टर को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी थी। इसके करीब एक महीने बाद महिला और उसके पति कोरोना वायरस के अल्फा वैरिएंट से संक्रमित पाए गए। ये दंपति डॉक्टर हैं और कोविड केयर सेंटर में तैनात थे।

डबल वैरिएंट से संक्रमित महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं कराना पड़ा
ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. बोरकाकोटी ने बताया कि दंपति के जब दोबारा सैंपल लिए गए, तब महिला डॉक्टर में दोहरे संक्रमण की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया कि महिला डॉक्टर में गले की खराश, बदन दर्द और नींद न आने के हल्के लक्षण थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी।

एक्सपर्ट का मानना है कि महिला को वैक्सीन की दोनों डोज लगी हुई थी, इसलिए उसे अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी। वहीं बेल्जियम में डबल वैरिएंट से संक्रमित होने वाली पहली महिला की मौत हो गई थी। इसलिए लोगों को जल्द से जल्द कोरोना वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए।

डबल इंफेक्शन का पहला मामला बेल्जियम में मिला था
बेल्जियम के आल्स्तो शहर के एक अस्पताल में पिछले दिनों एक महिला पहुंची थी। वह बार-बार संतुलन खोकर गिर रही थी। हालांकि उसकी सांस ठीक चल रही थी। ऑक्सीजन लेवल भी 94% से ज्यादा था, लेकिन जांच में वह एक नहीं बल्कि कोरोना के दो अलग वैरिएंट यानी दो अलग तरह के कोरोना से संक्रमित निकली।

कुछ घंटों बाद ही उसके फेफड़े तेजी से बेकार होने लगे और पांचवें दिन उसकी मौत हो गई। महिला कोरोना के अल्फा और बीटा वैरिएंट से संक्रमित थी और उसे वैक्सीन नहीं लगी थी। यह दुनिया का पहला ऐसा मामला था, जिसमें किसी को दो वैरिएंट से यानी डबल इंफेक्शन हुआ।

डबल इफेक्शन की पहचान करने वाली जीनोम सीक्वेंसिंग है क्या?

  • जीन हमारी जैविक विशेषताओं जैसे हमारा कद, बालों का रंग, हमारी आंखों का रंग जैसी हर बात को तय करते हैं। यानी किसी जीव का पूरा जेनेटिक कोड जीनोम कहलाता है।
  • जीनोम किसी जीव को बनाने वाली किताब है, तो जीन उस किताब के चैप्टर।
  • किन्हीं भी दो जीवों का जीनोम एक जैसा नहीं हो सकता है। आसान शब्दों में कहें तो जीनोम जैविक दुनिया का पहचान पत्र है।
  • इंसान समेत ज्यादातर जीवों का जीनोम DNA वाला होता है, मगर कोरोना जैसे वायरस का जीनोम RNA वाला होता है।
  • जीनोम के अध्ययन से किसी भी जीव की बनावट, गुण-दोष और काम करने का तरीका समझा जा सकता है।
  • जीनोम को नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है। माइक्रोस्कोप से देखने पर भी इसे समझना बेहद मुश्किल होता है, इसलिए वैज्ञानिक इसे एक कोड में बदल देते हैं। यही जीनोम सीक्वेंसिंग है।
  • ​​​​​वायरस का जीनोम RNA वाला होता है, इसलिए उसकी सीक्वेंसिंग के लिए पहले DNA में बदला जाता है।

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