कारागृह में कत्र्तव्य बोध: भैरवगढ़ जेल में 146 कैदी उच्च शिक्षा पाने में जुटे

बंदी साथियों को प्रशिक्षित कर रहे कलाकार

उज्जैन, (ललित जैन) अग्निपथ। भैरवगढ़ जेल याने अपराधियों को सजा भुगतने का स्थान, लेकिन अगर मन में अपराध बोध हो तो यहां भी व्यक्ति अपना जीवन संवारने का प्रयास कर सकता है। ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनों जेल में दिखाई दे रहा है। यहां 146 कैदी उच्च व तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर जीवन को सही दिशा में देने का प्रयास कर रहे हैं और यह सब हो रहा है जेल अधीक्षक अलका सोनकर के प्रयासों से।

रिकार्डनुसार जेल में फिलहाल 1265 सजायाफ्ता और 750 विचाराधीन बंदी है। नियमानुसार सजायाफ्ता कैदी को उनकी योग्यता अनुसार कार्य करवाया जाता है। लेकिन इन दिनों गंभीर प्रकरणों में सजा काट रहे 18 बंदी बीए द्वितीय वर्ष, 23 बीए तृतीय वर्ष, 60 आईटीआई और 45 इग्नू के भारत में समाज, आप और आपका भोजन जैसे सार्टिफिकेट कोर्स की पड़ाई कर रहे हैं। खास बात यह है कि इग्नू की तो मैनुअल परीक्षा होती है, लेकिन आईटीआई की ऑन लाइन परीक्षा के लिए लेपटॉप का इंतजाम जेल प्रशासन कर रहा है। यहीं नहीं मूर्ति कला, पत्तों पर चित्रकारी, बुनाई आदि में पारंगत कैदी अन्य को प्रशिक्षण देने में जुटे हैं।

ऐसे करते है चयन

जेल अधिकारी कैदियों का रिकार्ड देख उसे दूसरों कैदियों को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार करते है। काउंसलिंग के बाद चयनित प्रशिक्षक पांच-पांच कैदियों को ट्रेनिंग देता है। फिलहाल फ्लावर डेकोरेशन, चित्रकला और मूर्तिकला के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हाल ही में केबिनेट मंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी जेल निरीक्षण के दौरान कैदियों की कला को सराहा था।

27 कैदियों की होगी रिहाई

जेल रिकार्डनुसार 2015 कैदियों मेंं 3 फांसी की सजा प्राप्त और 12 रासुका के बंदी है। 15 अगस्त को 27 कैदियों को रिहा करने के आदेश आए है। रियायत पाने वाले कैदियों में 28 पुरुष व एक महिला है।

इनका कहना है

कैदियों की शिक्षा के लिए शासन स्तर पर ही जेल में व्यवस्था है। उच्च व तकनीकी शिक्षा के लिए कैदियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिससे वह रिहा होने के बाद समाज में पुनस्र्थापित हो सके। फिलहाल 146 कैदी विभिन्न कक्षाओं की पढ़ाई कर रहे हैं। – अलका सोनकर, अधीक्षक केंद्रीय जेल भैरवगढ़

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