विदेशों में भी किसानों के लिए लड़ाई:अमेरिका-कनाडा में बसे पंजाबियों ने सोशल मीडिया कैंपेन शुरू किया, प्रोटेस्ट की लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे

  • अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों में बसे पंजाबी किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक्टिव
  • आंदोलन के समर्थन में आई सपोर्ट फॉर्मर प्रोटेस्ट, किसान एकता जिंदाबाद, स्टैंड विद फॉर्मर जैसे हैश टैग ट्रेंड हो रहे हैं

चंडीगढ़. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को दुनियाभर में समर्थन मिल रहा है। खासतौर से कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दूसरे देशों में बसे पंजाबी सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन का सपोर्ट कर रहे हैं। इन देशों में आंदोलन के समर्थन में प्रोटेस्ट किया जा रहा है और इनकी सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीमिंग भी की जा रही है। पंजाबी सोशल मीडिया के हर जरिए से इस आंदोलन को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

आंदोलन को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर भाषा भी बदली

सोशल मीडिया पर पहले पंजाबी और अंग्रेजी में पोस्ट शेयर की जा रही थीं। अब ज्यादा समर्थन जुटाने के लिए हिंदी में स्टेटस डाले जा रहे हैं। भारत सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के फेवर में माहौल तैयार किया जा रहा है और ये हिंदी में पोस्ट डालने की रणनीति कामयाब हो रही है। विदेशों में बसे पंजाबी किसान आंदोलन को बढ़ाने के लिए एक एक्सपर्ट IT टीम की तरह काम कर रहे हैं।

आंदोलन को कमजोर करने के लिए हैश टैग की जंग, पर नाकाम

इस आंदोलन को कमजोर करने की कोशिशें भी हुईं। सोशल मीडिया पर पॉलिटिक्स, राजनीति, नकली किसान, फॉर्मर प्रोटेस्ट हाईजैक और खालिस्तान जैसे टैग देने की कोशिश की गई, लेकिन ये कारगर नहीं हुई। सपोर्ट में पंजाब, हरियाणा और विदेशों में बसे पंजाबियों ने किसान एकता जिंदाबाद, आई सपोर्ट फार्मर प्रोटेस्ट, ट्रैक्टर2ट्विटर, स्टैंड विद फार्मर चैलेंज जैसे कई हैश टैग चलाए और लगातार इसे बढ़ाया जा रहा है।

लुधियाना में डेयरी कारोबारी कुलदीप खैहरा कहते हैं- सोशल मीडिया पर जिसके समर्थन में ज्यादा लोग हो जाते हैं, आम आदमी उसे ही सही मान लेता है। यही सोचकर किसानों के समर्थन में लगातार सोशल मीडिया पर एक्टिव हूं। केंद्र कानून लाया, लेकिन उन्हें खेती पर आधारित पंजाब व हरियाणा की इकोनॉमी को फर्क समझना होगा।

वो बताते हैं कि खेती से कमाई होगी तो ही किसान शहर में आकर खरीदारी करेगा। केंद्र कानून वापस न लें, लेकिन फसल का MSP यकीनी बनाने के साथ स्टॉक व अधिकतम कीमत पर सरकार का नियंत्रण जरूरी है, इसे कॉरपोरेट सेक्टर पर छोड़ा गया तो किसानों के साथ आम आदमी पर भी मार पड़ेगी।

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