इधर किसानों के लिए कृषि विभाग दो माह बाद इस्तेमाल होने वाले यूरिया के आकंड़े जारी कर रहा
उज्जैन, अग्रिपथ। संभाग में गेहूं, बटला,चना, प्याज, लहसुन और आलू की बोवनी शुरू हो गई है। किसान बोवनी के समय डीएपी के लिए दुकान -दुकान परेशान हो रहा है। परन्तु उसे डीएपी नहीं मिल रही है। इसके अलावा यूरिया की कमी से नया संकट खड़ा हो गया है। वहीं बीज वाला गेहूं भी अब ऊंचे दाम पर मिलने लगे हैं। इससे भी किसान परेशान हो रहा है।
उधर कृषि विभाग डीएपी के स्थान पर यूरिया की उपलब्धता का राग अलाप रहा है। यानी किसानों को जिस उवर्रक की है। उसकी बात ही नहीं कर रहा है। कई किसान ब्लैक में दूसरे राज्यों से आने वाली डीएपी की बोरी 1200 के स्थान पर 2500 रुपए में खरीद रहा है।
उल्लेखनीय है कि बोवनी के समय किसानों को डीएपी की जरूरत होती है। इसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस रहता है। जो बिजाई के समय सबसे ज्यादा जरूरी होता है। दूसरे पानी पर यूरिया की जरूरत किसानों को पड़ेगी। लेकिन कृषि विभाग अभी यूरिया के आकंडे जारी कर रहा है। उसमें भी मजेदार बात यह है कि उज्जैन शहर में एक भी दुकान का जिक्र नहीं है। यानी संभाग के सबसे बड़े बाजार में फसल बेचने आने वाले किसान को यहां यूरिया या डीएपी नहीं मिलेगा। उसे सोसाटियों के पदाधिकारियों के रहमो-करम पर रहना पड़ेगा।
मार्कफेड ने डीएपी नहीं देने वाली कंपनियों के खिलाफ लिखा पत्र
बताया जाता है कि मप्र में डीएपी फर्टिलाइजर कंपनियां नहीं भेज रही है। इसका कारण मप्र में सहकारी सोसायटियों को ही डीएपी सप्लाई दी जाती है। सहकारी सोसायटी कंपनियों को तीन माह में पैसों का भुगतान करती है और निजी व्यापारी तत्काल भुगतान कर देता है। इसलिए अधिकांश कंपनियां मप्र में डीएपी भेजने की इच्छुक नहीं है और यहां डीएपी की कमी आने लगी है।
मुख्य रूप से देश में डीएपी एनएफएल, कृभको, इफको, कोरो मंडल, चंबल फर्टिलाइजर, पाराद्वीप जैसी कंपनियां सप्लाई करती है। उज्जैन में इफको और कृभको के ही रेक पाइंट हैं। इस वजह से मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ के मर्यादित के प्रबंध संचालक पी. नरहरि ने सभी कलेक्टरों को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 प्रावधानों के तहत कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है।
सरकार की नीति में बदलाव से व्यवस्था सुधरेगी
इस संबंध में मप्र कृषि आदान विक्रेता संघ के सचिव संजय रघुवंशी का कहना है कि मप्र सरकार ने उर्वरक 75 फीसदी सहकारी सोसायटी और 25 फीसदी निजी व्यापारियों के माध्यम से बेचने का नियम बनाया है। इससे सोसायटी का उवर्रक आम किसान को नहीं मिल पा रहा है और वह परेशान हो रहा है।
सोसायटी से रसूखदार और बड़े किसान यूरिया लेकर चले जाते हैं। छोटे किसान या दो सोसायटी के सदस्य नहीं रहते हैं या डिफाल्टर हो जाते हैं। ऐसे में वे उवर्रक से वंचित हो जाते हैं। अगर निजी क्षेत्र में भी उवर्रकों को बेचने की खुली छूट दूसरे राज्यों के मुताबिक मिलने लग जाए तो समस्या हल हो जाएगी।
जुगाड़ का सुझाव भी दे रहे
बताया जाता है कि डीएपी की किल्लत से परेशान अफसर और राज्य सरकार के लोग किसानों को सलाह दे रहे हैं कि वे एक बोरी यूरिया, 3 बोरी सुपर फास्फेट को मिलाकर खेत में डाले। इससे डीएपी की कमी पूरी हो जाएगी। परन्तु किसानों का कहना है कि यूरिया और सुपर फास्फेट भी मिलना आसान नहीं है।
प्रशासन का दावा 17 उर्वरक केन्द्रों पर उर्वरक उपलब्ध
जिले में रबी मौसम में उर्वरक उपलब्धता के बारे में जानकारी देते हुए उप संचालक कृषि आरपीएस नायक ने बताया कि जिले में 27 अक्टूबर की स्थिति में 17 उर्वरक विक्रेताओं के यहां उर्वरक उपलब्ध है। किसान भाई अपनी आवश्यकता अनुसार यूरिया उर्वरक यहां से प्राप्त कर सकते हैं। सभी विक्रेताओं को निर्देश दिये गये हैं कि वे उर्वरक का विक्रय पीओएस मशीन से ही करें एवं विक्रय की गई मात्रा की जानकारी संबंधित वरिष्ठ कृषि अधिकारी को उपलब्ध करवायें।
कहां कितना यूरिया उपलब्ध
उप संचालक द्वारा बताया गया कि बडऩगर तहसील के गणेश एग्रो के पास 89.91 मै.टन, श्रीपाल शंभुसिंह के पास 46,21, जय कृषि सेवा केन्द्र के पास 41.98, अग्रवाल कृषि सेवा केन्द्र के पास 35.19, अलका ट्रेडर्स के पास 31, राजेन्द्र ट्रेडर्स के पास 30.37, श्रीराम केएसके के पास 29.38, महिदपुर के लक्ष्मीनारायण नानूराम मांडलिया के पास 15.39, अवनि एग्रो के पास 12.97, गुरूनानक किराना स्टोर के पास 9.99, तराना के स्वस्तिक ट्रेडर्स के पास 10.8, नागदा के मोहता एण्ड कंपनी के पास 24.83, धनोतिया ब्रदर्स के पास 24.38, उज्जैन नरवर के मंगलम कृषि उद्यानिकी के पास 9.49, खाचरौद के नांदेचा फर्टिलाइजर के पास 26.9, राठी ब्रदर्स के पास 41.75 एवं सांवरिया एग्रीटेक के पास 15.55 मै.टन उर्वरक उपलब्ध है।