उज्जैन पहुंचा पशुओं का काल लम्पी वायरस

आसपास के 35 गांवों में मिले लक्षण, जांच के लिए सैंपल भेजा

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन जिले की खाचरोद तहसील के अंतर्गत करीब 35 गांव में पशुओं में लम्पी बीमारी के लक्षण पाए गए है। सूचना के बाद से पशु चिकित्सक और किसानों में हडक़ंप मच गया। डाक्टर पशुओं के इलाज में जुटे हैं। वही पशुओं के सैंपल लेकर जांच के लिए मुख्यालय भेजे गए है। जिले से अभी तक लम्पी बीमारी के कारण किसी भी पशु के मौत होने की खबर नहीं मिली है। जिले के 35 गांव के पशुओ में लम्पी बिमारी के लक्षण मिले हैं।

पशुओं को होने वाली घातक बीमारी लम्पी ने राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में भी दस्तक दे दी है। जिले के खाचरोद विकासखंड के अंतर्गत आने वाले करीब 35 गांव में पशुओं के बीच इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं। सूचना के बाद से पशु चिकित्सक भी पशुओं के इलाज के लिए जुटे हुए हैं। वही पशुओं के सैंपल लेकर जांच के लिए लेब भेज दिए हैं।

संभव है कि एक-दो दिन में रिपोर्ट आ जाएगी। खाचरोद तहसील के पशु चिकित्सालय के विकास खंड अधिकारी विक्रम खराड़ी ने बताया कि विकास खंड के अंतर्गत कनवास, खाचरोद, नागदा, बनवाड़ा सहित 35 गांव में दुधारू पशुओं में लम्पी बीमारी के लक्षण देखे गए हैं। सभी गांव में एहतियात के तौर पर रखी जाने वाली सावधानी के संबंध में पशु पालकों को हिदायत दी गई है।

वही पशुओं का इलाज भी शुरू कर दिया है। खाचरौद विकासखंड के किसान भेरूलाल ने बताया कि कुछ पशुओं के बीच इस संक्रमण से संबंधित लक्षण देखे गए थे। इसके बाद पशु चिकित्सालय के डॉक्टरों से संपर्क करें डॉक्टरों द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन किया जा रहा है।

लम्पी बीमारी के लक्षण

पशुओं में होने वाली लम्पी बीमारी के प्रमुख लक्षण में पशुओं को बुखार आना शरीर पर गांठे निकल आना नाक बहना लार गिरना बीमारी से ग्रसित चारा व दाना पानी खाना छोड़ देते हैं। दूध देने वाले पशुओं में दूध देने की मात्रा कम हो जाती है।

बीमारी से बचाव

पशु चिकित्सक डॉक्टर विक्रम खराड़ी का कहना है यदि किसी पशु में लम्पी बीमारी से संबंधित लक्षण दिखाई देते हैं तो तत्काल उस संक्रमित पशु को अन्य पशुओं से अलग स्थान पर रखना चाहिए। यह ध्यान रखें कि संक्रमित पशु के पास कोई नहीं जाए। लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

इस बात का ध्यान रखें कि संक्रमित पशु को जहां रखा है वहां मच्छर और मक्खी नहीं हो जिससे कि अन्य पशुओं को संक्रमण नहीं हो सके। पशुओं में लक्षण देखने के बाद डॉक्टर की सलाह से इलाज कराने पर यह बीमारी 8 से 10 दिन में खत्म होती है।

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