कांग्रेस का कमजोर नेतृत्व, भाजपा बनी सिर मोर

झाबुआ, अग्निपथ। बीते 20 दिनों से जिले के चार निकायों में चली आ रही चुनावी जंग के नतीजे आज चंद मिनटों में सामने आ गए। चारो निकायों में कुछ परिणाम चोकाने वाले सामने आए वही इन चुनावों ने कांग्रेस के कमजोर नेतृत्व की पोल खोल दी। जिले के पेटलावद में तो कांग्रेस जेसे तेसे अपना खाता खोल सकी यहां कांग्रेस से एक मात्र उम्मीदवार को जीत हासिल हुई।

आश्चर्य तो यह की पेटलावद नगर परिषद के आधे वार्डो यानी 7 वार्डो में मतदादताओ ने पार्टी न देखते हुए व्यक्ति की छवि देख मतदान किया यहां भाजपा के सात प्रत्याशी विजय हुए तो 7 पर निर्दलियों ने कब्जा जमाया है। 15 वार्डो वाली नगर परिषद में अध्यक्ष हेतु 8 पार्षदों का जिसे समर्थन मिलेगा उसी दल का अध्यक्ष चुना जाएगा। अब ये निर्दलीय गुटीय राजनीति को ताक में रख पार्टी को सर्वोपरि मान अध्यक्ष का चुनाव करते ही तो तय है भाजपा की परिषद एक बार पुन: कायम रहेगी। इधर थांदला की बात करे तो इस निकाय में पूर्व में भी भाजपा का कब्जा रहा और वर्तमान में भी भाजपा ही परिषद हेतु बड़त बना चुकी है।

यहा यह भाजपा ने 8 वार्डो में प्रचंड बहुमत हासिल किया। थांदला के वार्ड क्रमांक 5 में पूरे नगर की निगाहे लगी हुई थी। बोहरा बहुल यह वार्ड अभी तक के ज्ञात इतिहास में कांग्रेस के कब्जे में रहा यह पहली भर भाजपा के मंडल अध्यक्ष और पूर्व पार्षद समर्थ गोलू उपाध्याय ने कांग्रेस सहित बोहरा समुदाय के ही समाजसेवी निर्दलीय प्रत्याशी को करारी मात देते हुए इतिहास रच दिया इस वार्ड में पूर्व परिषद में उपाध्यक्ष रहे मनीष बघेल को भी हार का सामना करना पड़ा।अध्यक्ष को ले कर अब थांदला में कयासो का दौर चालू हो चुका है।

चुकी अध्यक्ष अजजा महिला के लिए आरक्षित है और भाजपा की ओर से वार्ड 1 से धापू स्व. गौर सिंह वसुनिया जोकि पूर्व जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अध्यक्ष रह चुके ही की पत्नी है ,वार्ड 3 से पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर की माताजी लीला डामोर और वार्ड 14 से संघ पृष्ठ भूमि के युवा सुनील पणदा की पत्नी लक्ष्मी पणदा शामिल है। संगठन सर्वो पारी होता है भाजपा में अब पार्टी किसके नाम पर मोहर लगाती यह फैसला अभी संगठन पास सुरक्षित है। चर्चा में वार्ड 14 से ही अध्यक्ष तय माना जा रहा है। जिला मुख्यालय की नगर पालिका की बात करे तो यह कुल 18 वार्डो में 9 पर भाजपा की विजई हुई तो कांग्रेस के 7 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की ओर दो निर्दलीय जीते है।

भाजपा इन दो निर्दलीय में से एक अपना मान रही है। आंकड़ों के अनुसार झाबुआ नगरपालिका में भी भाजपा की परिषद बनती दिखाई दे रही है।अगर गुटीय राजनीति हावी नहीं हुई तो अन्यथा कांग्रेस बहुमत के निकट ही है।

कुल मिला कर नगरीय निकाय चुनावों के परिणामों पर गौर करे तो पंचायती राज चुनाव के दीवान कांग्रेस ने ग्रामीण क्षेत्रों में तो बड़त बनाई किंतु नगरीय क्षेत्रों में कांग्रेस के कमजोर नेतृत्व,गुटीय राजनीति ने पार्टी को गर्त में धकेला आने वाला समय विधान सभा चुनावों का है और इसे ले कर कांग्रेस को रणनीति बनाना अवस्यक थी। चुनाव प्रचार में झबुआई नेताओं के अलावा कोई स्टार प्रचारक नही आ सका।

उम्मीद की जा रही थी की कांग्रेस संगठन प्रदेश के नेताओं को सभी निकायों में प्रचार हेतु भेजेगी किंतु ऐसा नहीं हुआ और भाजपा ने अपना दबदबा एक बार पुन: कायम कर लिया। कांग्रेस में अब कार्यकर्ता संगठन में बदलाव की आवज सोसल मीडिया के माध्यम से उठने लगे है।

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