किसान आंदोलन में आज गई तीन और किसानों की जान, कंपकंपाती ठंड के बीच अब बारिश की मार

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है। कड़कड़ाती ठंड और कोहरे समेत कई मुसीबतों के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर किसी डटे हुए हैं। किसान पहले ही तमाम परेशानियों का सामना कर रहे थे, लेकिन आज सुबह से हो रही बारिश उनके आंदोलन पर मुसीबत बनकर बरस रही है। अब मानवता की दृष्टि से भी किसानों का यह आंदोलन दर्दनाक रूप लेता जा रहा है। शनिवार को एक किसान ने सरकार से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। उनकी चिता अभी ठंडी भी नहीं हुई कि रविवार सुबह अलग-अलग प्रदर्शन स्थल पर तीन और किसानों की मौत हो गई।

टीकरी बॉर्डर पर किसान ने तोड़ा दम
आज सुबह टीकरी बॉर्डर पर एक किसान ने दम तोड़ दिया। मृतक किसान की पहचान जगबीर सिंह (60) के रूप में की गई है। माना जा रहा है कि जींद जिले के गांव इट्टल कला के रहने वाले जगबीर की मौत अत्यधिक ठंड के कारण हुई है। हालांकि जांच पूरी होने के बाद ही मौत की असली वजह का पता चलेगा। 

साथी प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वो हफ्ते भर से पिलर नंबर 764 पर डटे हुए थे। रविवार सुबह करीब सात बजे तबीयत अधिक बिगड़ने के बाद उनकी मौत हो गई। जगबीर के दो बच्चे हैं। उनके एक 32 वर्षीय लड़के और 28 वर्षीय लड़की हैं।

भारतीय किसान यूनियन (घासीराम नैन) के अध्यक्ष चौधरी जोगिंदर नैन ने बताया कि सुबह लोगों ने चाय पीने के लिए बुलाया तो उन्होंने बताया कि बेचैनी हो रही है। हालत ज्यादा खराब होने लगी, तो साथी प्रदर्शनकारी उन्हें बहादुरगढ़ अस्पताल लेकर गए, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

सोनीपत में दो किसानों की मौत
सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल दो और किसानों की मौत हो गई है। वहीं एक अन्य की हालत गंभीर है। मृतकों की पहचान सोनीपत के गांव गंगाना निवासी कुलबीर सिंह व पंजाब के जिला संगरूर के गांव लिदवा निवासी शमशेर सिंह के रूप में हुई है। वहीं गंगाना के ही युद्धिष्ठर को हृदयघात के चलते पीजीआई रोहतक रेफर किया गया है।

शनिवार को बाबा कश्मीर सिंह ने कर ली थी आत्महत्या
दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन में शनिवार को रामपुर के किसान बाबा कश्मीर सिंह ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। आत्महत्या करने से पहले गुरुमुखी में लिखे गए अपने सुसाइड नोट में उन्होंने अपने इस कदम का जिम्मेदार सरकार को बताया था। लिखा था कि आखिर हम कब तक यहां सर्दी में बैठे रहेंगे। ये सरकार सुन नहीं रही है और इसलिए अपनी जान देकर जा रहा हूं ताकि कोई हल निकल सके।

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