बाग क्षेत्र मादा तेंदुए की इंफेक्शन से मौत

धार, अग्निपथ। जहां एक ओर सरकार वन्य प्राणी बचाने की बात करती हैं वहीं दूसरी ओर जहां धार जिले के बाग़ वन परिक्षेत्र के ग्राम बरखेड़ा में झाडिय़ों में छिपी मादा तेंदुए की मौत हो गई। सोमवार को वन विभाग के अधिकारियों ने तेंदुए की मौत की पुष्टि करते हुए तीन सदस्यीय पशु चिकित्सकों से मृत तेंदुए का पीएम करवाया।

डॉक्टरों के अनुसार इंफेक्शन फैलने, भूखे रहने से आते सिकुडऩे एवं पेट में पानी तथा पस भर जाने से करीब 2 वर्षीय मादा तेंदुए की मौत हो गई। डी एफ ओ की मौजूदगी में मादा तेंदुए का पीएम एवं दाह संस्कार किया गया। समय पर रेस्क्यू करने वन्य जीवों के एक्सपर्ट की उपलब्धता एवं उपचार के अभाव के चलते मादा तेंदुआ को बचाया नहीं जा सका। वन परिक्षेत्र में तेंदुओं की लगातार आमद देखी जा रही है। आबादी के लगातार विस्तार के चलते वन्य जीवों की सुरक्षा, भरण पोषण और अस्तित्व पर संकट बढ़ते जा रहे है।

उपचार के लिए समय नहीं दिया

रविवार को ग्राम बरखेड़ा की झाडिय़ों में गुर्राहट के साथ कराहने की आवाज सुन ग्रामीणों ने वन विभाग को तेंदुए के होने की सूचना दी। शाम को वन अमला बरखेड़ा पहुंचा भी किंतु रात्रि में तेंदुए के निकट जाने की किसी की हिम्मत नहीं थी वन्य जीव एक्सपर्ट उपलब्ध नहीं होने से सिवाय निगरानी के कुछ नहीं किया जा सका। वन्यजीव एक्सपर्ट बुलवाने, मादा तेंदुए का रेस्क्यू कर इलाज करवाने के प्रति जिम्मेदारों की कोई जिम्मेदारी नहीं दिखाई दी। दुर्भाग्य से रात्रि में मादा तेंदुए ने दम तोड़ दिया। सोमवार सुबह मादा तेंदुए के शरीर में कोई हलचल नहीं होने पर वन विभाग द्वारा मौत की पुष्टि की गई।

आंत सिकुडऩे, इंफेक्शन फैलने की वजह से मौत

मृत तेंदुए का पीएम तीन पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा किया गया। डॉक्टरों के अनुसार करीब दो वर्षीय मादा तेंदुए के पेट में पानी एवं पस भर गया था । इंफेक्शन फैलने एवं आंत सिकुडऩे की वजह उसकी मौत का कारण बनी ऐसा प्रतीत होता है ।आते सिकुडऩे का एक कारण लगातार भूखे रहना भी होता है। स्थानीय रेंजर सन्तोष चौहान पत्रकारों को 11.30 बजे तक तेंदुए की मृत देह को उठाकर लाने की बात करते रहे जबकि ग्रामीणों के अनुसार सुबह ही मृत तेंदुए को उठा लिया गया था। जिला वन मंडल अधिकारी जी डी बरबड़े करीब 12 बजे बाग पहुंचे व मौके पर एसडीओपी पराशर व अन्य कर्मचारियों की मौजूदगी में मृत मादा तेंदुए का पीएम के पश्चात दाह संस्कार किया गया।

प्राकृतिक मौत

तेंदुए की मृत्यु प्राकृतिक है। उसे पुराना इंफेक्शन था, जिससे उसकी मौत हो गई। एक दिन पहले तक पास जाने पर वह घूर रहा था। वही डॉक्टरों की मौजूदगी के उसका फॉस्ट मॉडम करवाया गया मौके पर मैं वही मौजूद था।। – जीडी बरबड़े, जिला वनमंडलाधिकारी, धार

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