लोकतंत्र को बचाने हेतु चुनाव व्यवस्था में करना होगा सुधार

कन्हैयालाल वैद्य स्मृति समारोह में बोले अतिथि

उज्जैन, अग्निपथ। प्रख्यात पत्रकार, स्वाधीनता सेनानी एवं पूर्व सांसद स्व.कन्हैयालाल वैद्य की 48वीं पुण्यतिथि के अवसर पर राजेन्द्र जैन सभागृह में लोकतंत्र में चुनौतियां और समाधान विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि वयोवृद्ध स्वाधीनत संग्राम सेनानी एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रेमनारायण नागर थे। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ कांग्रेस नेता शांतिलाल छजलानी ने की। समाजवादी चिंतक, लेखक एवं पूर्व विधायक डॉ.सुनीलम ने बतौर वक्ता विचार रखे। साहित्यकार डॉ.पुष्पा चौरसिया एवं चिंतक मामा बालेश्वरदयाल के शिष्य गोरासिंह भी मंचासीन थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि 97 वर्षीय सेनानी श्री नागर ने महात्मा गांधी, पं.जवाहरलाल नेहरू एवं सरदार वल्लभभाई पटेल के बीच आजादी के तत्काल बाद का एक संवाद का संस्मरण ताजा किया। देश में तब और अब की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए वे बोले, देश क्या था और अब क्या हो गया ? गांव अब उजड़ रहे हैं। आजादी को खतरा हो गया।

लोकतंत्र में चुनौतियां मुख्य वक्ता डॉ.सुनीलम ने कहा, लोकतंत्र को बचाना है तो चुनावी व्यवस्था में सुधार करना होगा। चुनाव आयेग इन दिनों स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर रहा है। यह सरकार की कठपुतली बन गया। उन्होंने इस मौके पर कार्यपालिका पर भी सवाल उठाए और बोले, देश में कार्यपालिका ही सबसे ज्यादा करप्ट हो चुकी है। लोकतंत्र पर तंत्र हावी है। चुनावी तंत्र तो लोकतंत्र के खिलाफ कार्य कर रहा है। यहां तक कि देश का सामाजिक ताना-बाना भी लोकतंत्र के विरोध में खड़ा है।

आज तानाशाही से संविधान को कुचला जा रहा है। सामाजिक व्यवस्था ने भी प्रजातंत्र को कबूल नहीं करने का कार्य किया है। राजनीति पर धनतंत्र का रूतबा है। आज देश में यह स्थिति है कि किसी भी दल में एक ईमानदार कार्यकर्ता के लिए चुनावी टिकट के लिए कोई गुंजाइश नहीं बची है।

लोकतंत्र को कैसे बचाया जाये, इसके समाधान के लिए डॉ.सुनीलम बोले – सरकार एवं राजनेताओं के भरोसे बैठने से यह तब्दीली नहीं आ सकती। नागरिकों को आगे आना होगा। लोकतंत्र को बचाने के लिए बुद्धिजीवी भी खड़े होकर बोलने को तैयार नहीं है। विरोध करने का डर आज सभी को सता रहा है। इस डर को निकालना होगा। जिस दिन डर दूर हो जाएगा उस दिन देश में बदलाव आ जाएगा।

जनादेश के बाद भी दूसरे दल की सरकार बनने की नीति का विरोध करते हुए वे बोले, जब जनता ही किसी दल को बहुत नहीं देती और वह विधायकों को प्रलोभन, खरीद फरोख्त कर सरकार बना लेते है तो क्या इसे लोकतंत्र कहेंगे। मीडिया की भूमिका पर वे बोले प्रेस पर पूंजीपतियों का बोलबाला है। आज एक अल्टरनेटिव मीडिया की तलाश करना होगी। कार्यक्रम के प्रारंभ में राजेन्द्र व्यास ने मंत्रोच्चार किया। प्राध्यापक मोहम्मद रफी नागोरी ने कविता पाठ किया। वरिष्ठ पत्रकार अर्जुनसिंह चन्देल, पत्रकार रामस्वरूप मंत्री एवं राहुल वर्मा ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम संयोजक क्रांतिकुमार वैद्य ने स्वागत भाषण दिया। इस मौके पर राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा के महानियंत्रक केसी यादव ने वैद्य स्मृति व्याख्यानमाला को निरंतर गति देने के लिए एक कन्हैयालाल वैद्य न्यास गठन का सुझाव रखा। जिसके लिए पत्रकार क्रांतिकुमार वैद्य का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया।

कार्यक्रम में सेनानी श्री नागर का सम्मान म.प्र.खादी संस्था संघ के प्रांतीय अध्यक्ष प्रदीप जैन ने किया। मौके पर म.प्र.स्वाधीनता सेनानी उत्तराधिकारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय चौबे ने सेनानी परिवार के उत्तराधिकारियों का सम्मान किया। पत्रकार विश्वास शर्मा के संपादन में मालवा संवाद पाक्षिक समाचार पत्र का विमोचन अतिथियों ने किया।

पत्रकार मोर्चा की ओर से पत्रकार प्रेमचंद द्वितीय (बडऩगर), कमलेश तलरेचा (थांदला), जवाहर डोषी (महिदपुर) आदि का सम्मान किया गया।  संचालन नरेश सोनी एवं आभार कैलाश सनोलिया ने माना। समारोह में बड़ी संख्या में सेनानी परिवार व गणमान्यजनों ने भाग लिया।

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