देवास के खनिज अधिकारी के 4 ठिकानों पर लोकायुक्त की दबिश

इंदौर, उज्जैन में आलीशान मकान, पीथमपुर में मिली फैक्ट्री

देवास/धार, अग्निपथ। देवास जिले के खनिज अधिकारी एमके खतेडिय़ा के चार ठिकानों पर लोकायुक्त ने मंगलवार सुबह दबिश दी। देवास के अलावा इंदौर के महालक्ष्मी नगर स्थित मकान, उज्जैन और पीथमपुर में भी सर्चिंग जारी है। इंदौर, उज्जैन में उनके मकान और पीथमपुर में एक फैक्ट्री मिली है। यह कार्रवाई आय से अधिक संपत्ति के मामले में की जा रही है। अब तक की जांच में लग्जरी गाडिय़ां और दूसरी कई प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले हैं। अधिकारी ने अपने भाई के नाम से इंदौर में मकान बनवा रखा है।

खनिज अधिकारी एमके खतेडिय़ा

इंदौर लोकायुक्त डीएसपी आनंद कुमार यादव ने बताया कि जिला खनिज अधिकारी डॉ। मोहन सिंह खतेडिय़ा देवास में पदस्थ हैं। देवास के अलावा इंदौर के तुलसीनगर, उज्जैन और पीथमपुर में उनके मकान, ऑफिस और फैक्ट्री में कार्रवाई की है। उनके यहां से काफी दस्तावेज मिले हैं। वर्तमान में इनका वेतन करीब डेढ़ लाख रुपए है। इनकी संपत्तियां उज्जैन, इंदौर, धार जिले में हैं। उज्जैन में मकान, पीथमपुर के ग्राम खंडवा के खेड़ा में आरएमसी प्लांट है। यह बेटे के नाम पर है। इंदौर में महालक्ष्मी नगर में भाई के नाम मकान है। पिछले पांच महीने से देवास में पदस्थ हैं। इसके पहले वे धार में पदस्थ थे। विभाग को सूचना मिली है, कि पीथमपुर मार्ग पर खतेडिय़ा के नाम पर जमीन भी है।

डीएसपी के अनुसार आय से अधिक संपत्ति होने की जानकारी सामने आने के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करने के बाद सर्वे शुरू किया गया है। इंदौर में दो टीम, एक टीम पीथमपुर और एक टीम उज्जैन में सर्चिंग की कार्रवाई कर रही है। सुबह 5:30 बजे से लोकायुक्त के अधिकारी घरों में मिले दस्तावेजों को खंगाल रहे हैं। प्रारंभिक पड़ताल में करीब साढ़े तीन लाख रुपए नकद, सोने की ज्वेलरी और गाडिय़ों के बारे में पता चला है। वेतन से लगभग तीन गुना ज्यादा प्रॉपर्टी होने की संभावना जताई गई है।

विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ। खतेडिया 1991 में खनिज विभाग में जियोलॉजिस्ट सहायक ग्रेड-2 के रूप में भर्ती हुए थे, जिसके बाद विभागीय अधिकारियों से सांठगांठ कर प्रभारी खनिज अधिकारी बन गए। धार जिले में भी खतेडिय़ा लंबे तक पदस्थ रहे। यहां से एक बार ट्रांसफर हुआ तो कुछ समय बाद फिर से वापस धार में पोस्टिंग करवा ली। पांच महीने पहले ही धार से देवास उनका ट्रांसफर हुआ था।

पिता माइनिंग अधिकारी, बेटा ठेकेदार

विभागीय सूत्रों के अनुसार जिला खनिज अधिकारी रहते हुए खतेडिय़ा ने अपने बेटे नयन को सरकारी ठेकेदार बनाया। जिस जिले में खतेडिय़ा पदस्थ रहते थे, उस क्षेत्र के सरकारी काम अपने बेटे को दिला दिया करते थे। इसके अलावा खदान वालों से औने-पौने दाम पर गिट्टी और रेत के ट्रक सस्ते दाम पर दिलाने का दबाव भी बनाते थे। पहले बेटे नयन द्वारा इंदौर के पास ग्राम सनावदिया में आरएमसी प्लांट डाला गया था, लेकिन जब पिता को धार में पदस्थापना मिली तो बेटे ने जुगाड़ लगाकर प्लांट भी पीथमपुर में स्थानांतरित कर लिया था। ठेकेदार बेटे की कंपनी में 4 बल्कर जैसे बड़े वाहन हैं, इन वाहनों से बड़े प्लांट से राख लाकर सीमेंट फैक्ट्री में डाली जाती है।

जांच में मिली ये अचल संपत्ति

इंदौर में तुलसी नगर स्थित तीन मंजिला भवन ,उज्जैन में महाकाल वाणिज्यिक सेक्टर-सी में तीन मंजिला एक अन्य भवन ,देवगुराडिय़ा में व्यावसायिक उपयोग का भूखंड,नायता मुंडला इंदौर में जमीन ,दाहोद (गुजरात) में पत्नी के नाम भूखंड ,पुत्र के प्रोपराइटरशिप में स्वयं के नाम से बनाई कंपनी एमएस कंस्ट्रक्शंस (मोहन सिंह कंस्ट्रक्शंस) के नाम से एक रेडी मिक्स क्रेशर प्लांट पीथमपुर में।

यह भी मिला

एमएस कंसट्रक्शन कंपनी के नाम पर टाटा बल्कर(22-व्हीलर) डंपर ट्रक -3 ट्रक, कंपनी के ट्रांजिट – मिक्सर (10-व्हीलर) ट्रक -4, एक महिंद्रा थार एसयूवी, एक मारुति ब्रेजा कार, घर से करीब साढ़े तीन लाख रुपए नकदी। इतनी ही राशि के आभूषण,5 बैंक खाते और एक बैंक लॉकर की जानकारी मिली।

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