सिविल सर्जन कार्यालय मात्र 5 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के भरोसे
उज्जैन, अग्निपथ। स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। कहने को तो उज्जैन का जिला अस्पताल संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। लेकिन यहां पर भी डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का टोटा है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों वार्डबॉय, स्वीपर, आयाबाई की भर्ती तो सन-2016 से नहीं हुई है। सबकुछ आऊटसोर्स के भरोसे चल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग निर्माण कार्य लोगों को स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने के लिये कर तो रहा है। लेकिन इनको चलाने के लिये स्टाफ की कमी पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लिहाजा शासकीय स्वास्थ्य सुविधाएं लखखड़ा रही हैं। शहर के जिला अस्पताल, माधव नगर और चरक अस्पताल को ही देखें तो यहां पर वार्डबॉय, आयाबाई और स्वीपर के लगभग 170 पद रिक्त पड़े हुए हैं।
पूरे जिले में देखें तो करीब 500 पदों पर उक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आवश्यकता बनी हुई है। लेकिन केवल अस्पताल बनाये जा रहे हैं, लेकिन उनमें मेन पॉवर नहीं भरा जा रहा है। ऐसे में डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। जिसको पूरा करना आसान नहीं है। प्रदेश के दूसरे शासकीय अस्पतालों की स्थिति भी कुछ इसी तरह से है।
2016 से बंद है इन कर्मचारियों की भर्ती
जानकारी के अनु़सार सन-2016 से आयाबाई, स्वीपर और वार्डबॉय की भर्ती बंद है। बताया जाता है कि इन पदों की भर्ती पर स्टे लगा दिया गया था। तब से लेकर आज तक 5 साल से अधिक होने को आये हैं। इन पदों पर किसी की भी भर्ती शासकीय तौर पर नहीं की गई है। सन-2016 से पूर्व 54 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी या तो सेवानिवृत्त हो गये थे अथवा उनकी मृत्यु हो गई थी। लेकिन इन पदों पर भर्ती की ओर किसी ने भी ध्यान देना उचित नहीं समझा।
आऊटसोर्स से चला रहे काम
सिविल सर्जन कार्यालय मात्र 5 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है। वहीं सीएमएचओ कार्यालय में 6 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से अधिकांश चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती आऊटसोर्स कंपनी यश गोविंद से की गई है। आऊटसेोर्स से ही भर्ती कर किसी तरह से काम चलाया जा रहा है। इनमें इन कर्मचारियों का आर्थिक शोषण भी हो रहा है। बताया जाता है कि इनको कलेक्टर रेट से भी कम वेतन दिया जा रहा है।